गरीबी के कारण आठवी कक्षा के बाद पढाई छोड़ चुकी ज्योती ने आखिर 34 साल की उम्र में , दो बच्चो की माँ बनने के बाद टॉपर बनकर दसवी पास की। पर उनके लिए असल गौरव का क्षण तब था जब उनके बेटे ने भी उसी स्कूल में इस साल दसवी में टॉप कर के उनका इतिहास दुहराया। आईये जाने इस टॉपर माँ- बेटे की कहानी।
हर आम लड़की की तरह ज्योती की आंखों में भी कई सपने थे, उनमें सबसे उपर था शिक्षक बनने का सपना। अपने सपनों को पाने के लिए ज्योति ने खूब मेहनत की लेकिन परिवार की आर्थिक परिस्थिति ने ज्योती की इस ख्वाहिश को एक दूर का सपना बना दिया। परिवार की बुरी हालत देखते हुए ज्योति को आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी।
लेकिन, हौसला है तो जिद्द है और जिद्द से ही जुनून है। हौसला, जिद्द और जुनून के बूते ज्योति ने दो बच्चो की माँ बनने के बाद फिर से पढ़ाई शुरू की।
ज्योती ने 34 साल की उम्र में दसवीं की परीक्षा( मैट्रीक) स्कूल टॉपर बनकर पास की। बारहवीं की परीक्षा साईंस लेकर 90 फीसदी अंको के साथ इस साल उतीर्ण की और अपने गुम हुए सपने को जिंदगी की सच्चाई से जोड़ने के लिए लगातार मेहनत कर रही है।
मथुरा के चिंतागढ़ी की रहने वाली ज्योति गुप्ता एक सफल गृहणी और दो बच्चों की मां ने रेगुलर छात्रा के रुप में यूपी बोर्ड के श्री पामलिया सिंह इंटर कॉलेज से मैट्रीक की परीक्षा पास की। अपने हौसले का परचम दिखाते हुए ज्योति ने दसवीं की परीक्षा दी और स्कूल टॉपर बनी।
दो साल के बाद अब ज्योति के पुत्र साहिल की बारी थी इस वर्ष उसी स्कूल के मैट्रीक टॉपर के रुप में साहिल ने अपनी जगह बनाई। 94 फीसदी अंक लाकर टॉपर बना साहिल अपनी मां के रिकार्ड को नहीं तोड़ पाया, ज्योति 94.6 फीसदी अंक के साथ मैट्रीक टॉपर बनी थी।
साल 2014 में 34 साल की उम्र में दसवीं की टॉपर बनी ज्योति को गांव के स्कूल में आंठवी तक पढ़ाई करने के बाद घर की बुरी स्थिती की वजह से पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। लेकिन ज्योति ने कभी अपने पढ़ने के जज्बे को मरने नहीं दिया ना ही हार मानी। बस सही वक्त के इंतजार में ज्योति ने सालों करवटें बदली। 2013 में ज्योति ने दोबारा अपनी पढ़ाई नौंवी की रेगुलर छात्रा के रुप में शुरू की और फिर दसवीं की परीक्षा में टॉपर बनी।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए ज्योति ने बताया, “मैं ये जान रही थी की अच्छे नंबर से पास करूंगी लेकिन टॉपर बनने की उम्मीद मुझे भी नहीं थी।”
ज्योती यहीं नहीं रुकी मैट्रीक की परीक्षा तो एक पड़ाव था, असल मुकाम तो टीचर बनने की ख्वाहिश है जिसको छूने के लिए वो किसी भी हद तक मेहनत करने को तैयार है और उसका ताजा उदाहरण इस साल देखने को मिला जब ज्योति ने बारहवीं साईंस की परीक्षा भी 90 फीसदी अंको के साथ उतीर्ण की।
ज्योति बताती है, “अपने पास होने से ज्यादा खुशी मुझे मेरे बेटे के टॉपर बनने की है, दो साल पहले मैं जिस स्कूल की टॉपर थी आज मेरे बेटे ने वहां टॉप किया है। मेरे बारहवीं पास करने की खुशी उसने दोगुनी कर दी।”
अपने पुराने दिनों को याद करते हुए ज्योति बताती है, “एक पिता की कमाई पर हम 4-5 भाई –बहनों का गुजारा चलाना मुश्किल था , जिसके बाद हालात को देखते हुए मुझे अपनी पढ़ाई छोड़नी पढ़ी थी।”
आत्मविश्वास से लबरेज वो आगे बताती है कि अब वे अपने सपनों के बहुत करीब है और अब वे ग्रेजुएशन करेंगी और टीचर बनने का प्रशिक्षण लेकर शिक्षक तो बन कर दिखाएंगी।
ज्योति अपनी सफलता का श्रेय अपने जज्बे और हौसले के अलावा अपने पति अजय को भी देती है।
वो बताती है कि, “अजय के सहयोग के बिना मेरे लिए पढ़ाई शुरू कर पाना बहुत मुश्किल था, मेरी स्कूल वापसी में मेरे पति की बहुत बड़ी भूमिका रही है क्योकिं वो भी मेरे सपनों को साकार करना चाहते है।”
ज्योति अपने टॉपर बेटे को इंजीनियर बनाना चाहती है। वहीं अपनी पढाई जल्द पूरी कर शिक्षिका बनना चाहती है ताकि घर की आर्थिक स्थिती ठीक करने में पति का सहयोग कर सके।
टीबीआई से बात करते हुए साहिल ने बताया, “माँ ने जब स्कूल जाना शुरू किया तो लोग हंसते थे लेकिन जब वे टॉपर बनी तो सबका मुंह बंद हो गया, मेरी मां मुझे भी पढ़ाती है।”
ज्योती का मानना है कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है, जब जागो तभी सवेरा। वे कहती है कि शायद भगवान ने उनकी जिंदगी में पढ़ाई 33 साल की उम्र से लिखी थी।
ज्योति गुप्ता आज मिसाल है कि अगर हम बिना किसी शर्म के अपने सपनों को पाने के लिए आगे बढ़ते रहे तो मंजील भी हमारे करीब आएगी और हम सपनो को पा सकेंगे।
माँ बेटे की इस टोपर जोडी को हमारी शुभकामनाएं!