क्या आपने कभी रेलवे टिकट रद्द कराई है और यदि हाँ, तो क्या आपको समय पर उसका रिफंड मिला है? अक्सर हम टिकट रद्द होने के बाद रिफंड पर ध्यान नहीं देते क्योंकि हमें लगता है कि पैसे हमारे अकाउंट में आ ही जायेंगें, लेकिन जरूरी नहीं कि ऐसा हो!
दरअसल, मुंबई के अनिरुद्ध शेम्बवनेकर ने एक टिकट रिफंड के लिए आईआरसीटीसी के खिलाफ चार साल लम्बी लड़ाई लड़ी है।
अप्रैल 2014 में, विले पार्ले निवासी अनिरुद्ध ने अपनी पत्नी और बेटे के लिए हावड़ा मुंबई मेल में ट्रेन टिकट बुक किए थे। उन्हें जून 2014 में जबलपुर से मुंबई तक यात्रा करनी थी। लेकिन बाद में अनिरुद्ध को सुचना मिली कि ट्रेन किसी कारणवश रद्द हो गयी है।
फिर उन्होंने जबलपुर से नागपुर तक ट्रेन और फिर मुंबई के लिए फ्लाइट बुक करने का फैसला किया।
अक्टूबर 2014 में उन्होंने एक शिकायत दायर की जिसमें उन्होंने बताया कि आईआरसीटीसी (जिससे वे पहले ही बात कर चुके थे) ने उन्हें टिकट के पैसे रिफंड नहीं किये। इसके बजाए, उन्हें बताया गया कि टिकट जमा रसीद (टीडीआर) भरने की समय सीमा घटाकर 72 घंटे कर दी गयी है और निर्धारित समय निकल जाने के कारण उन्हें पैसे नहीं लौटाए जायेंगें।
फर्म की लापरवाह कार्यवाही से परेशान अनिरुद्ध ने दक्षिण मुंबई जिले के उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग मंच में शिकायत दर्ज कराई। इस आयोग ने हाल ही में इस मामले पर अपना फैसला सुनाया है।
डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, आयोग ने फैसला सुनाया है कि अनिरुद्ध को टिकट का रिफंड दिया जाये, क्योंकि रेलवे ने ट्रेन को रद्द कर दिया था। आयोग ने रेलवे सहायक फर्म के दावे की आलोचना की और कहा कि 72 घंटे में टीडीआर का दावा ‘अस्थिर और आधारहीन’ है। क्योंकि उपभोक्ता ने इसका कोई लाभ नहीं उठाया, ऐसे में फर्म को पैसे वापिस करने होंगें।
आयोग ने आईआरसीटीसी को अनिरुद्ध को 1,855 रुपये की टिकट राशि वापस करने का आदेश दिया। इसके अलावा, उन्हें मानसिक पीड़ा के लिए 7,500 रुपये और उनके मुकदमा दायर करने के शुल्क के लिए 2,500 रुपये की अतिरिक्त क्षतिपूर्ति करने के लिए कहा गया है।
संपादन – मानबी कटोच