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अब रेलगाड़ी पर होगी भारत की संस्कृति; देखिये ये खुबसूरत तस्वीरें!

क्सर जब भी हम रेलवे स्टेशन पर इंतजार करते हैं या फिर कहीं भी कोई ट्रेन देखते हैं तो सभी एक्सप्रेस ट्रेने हमें नीले रंग में ही दिखाई देती हैं। हम जब भी ट्रेन के बारे में सोचते हैं तो बस नीला या लाल रंग ही हमारी आँखों के सामने आ जाता है।

लेकिन, शुक्रवार को नई दिल्ली स्टेशन पर जैसे ही एक ट्रेन ने एंट्री की तो वह चर्चा का विषय बन गयी। क्योंकि यह ट्रेन न तो सादे से नीले रंग की थी और ना ही इसे पहले कभी यूँ देखा गया था। सभी यात्री अचरज में पड़ गए कि आखिर यह कौन-सी ट्रेन है? क्या भारतीय रेलवे ने कोई नयी ट्रेन चलायी है?

जिस ट्रेन को लेकर चर्चा जोर-शोर से हो रही थी, वह ट्रेन थी बिहार-सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस

वैशाली एक्सप्रेस के साथ-साथ उत्तर बिहार में बहुत जरूरी है यह ट्रेन। लेकिन ऐसा क्या खास है इस ट्रेन में?

दरअसल, पूरी ट्रेन पर पारंपरिक मिथिला कलाकृति बनायीं गयी हैं। इसे मधुबनी कला भी कहा जाता है, और यह देखने में बहुत ही खूबसूरत है।

भारत में बिहार के मिथिला क्षेत्र में यह कला प्रचलित है और मधुबनी कला में आकर्षक भौगोलिक पैटर्न होते हैं।

यह पेंटिंग प्राकृतिक रंगों का प्रयोग कर उँगलियों, माचिस की तीली, टहनियों और ब्रश के साथ की जाती है।

फोटो स्त्रोत

समस्तीपुर के डिवीजनल रेल मैनेजर (डीआरएम) आर के जैन के अनुसार, पारंपरिक कलाकृति को दर्शाने का यह इस तरह का पहला कदम है। इस तरह ट्रेन को मिथिला पेंटिंग से रंगना स्थानीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने और जनता के लिए कलाकृति की बारीकियों को प्रदर्शित करने के लिए एक बड़े प्रयोग का हिस्सा है।

“30 स्थानीय महिला कलाकारों की एक टीम को एक कोच को पेंट करने में चार दिन लगे। पहले चरण में चित्रकला कार्य 20 जुलाई को शुरू हुआ था,” रेलवे अधिकारी चंद्रशेखर प्रसाद सिंह ने बताया

ट्रेन में 9 कोच होते हैं, जिनमें पैंट्री कार, 4 एसी कोच, 3 स्लीपर क्लास कोच और एक सामान्य डिब्बा शामिल हैं।

संयोग से, हाल ही में आयोजित अखिल भारतीय रेलवे स्टेशन सुंदरता प्रतियोगिता में समस्तीपुर डिवीजन के तहत मधुबनी स्टेशन को दूसरा सर्वश्रेष्ठ स्टेशन घोषित किया गया था। ईस्ट-कोस्ट रेलवे के चीफ पब्लिक रिलेशंस ऑफिसर (सीपीआरओ) राजेश कुमार के अनुसार, पटना जंक्शन की दीवारों को भी मधुबनी चित्रों के साथ मिथिलांचल की कला और संस्कृति को लोकप्रिय बनाने के लिए सजाया गया है।

रेलवे जनता की ओर से अच्छी प्रतिक्रिया की उम्मीद कर रहा है। यदि यह सकारात्मक हुआ, तो इस तरह का प्रयोग अन्य ट्रेनों पर भी किये जाने का विचार किया जायेगा।

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बेशक, रेलवे द्वारा यह ‘आर्ट ऑन व्हील्स’ परियोजना बहुत ही खूबसूरत है।

मूल लेख: रेमंड इंजीनियर

संपादन – मानबी कटोच


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