हाल ही में, भारतीय रेलवे ने एक अहम फैसला लिया है। बीते गुरूवार, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने घोषणा करते हुए कहा कि जिन भी रेलवे स्टेशनों पर विकास कार्य होंगे और ऐसे स्टेशन, जहां सबसे ज्यादा लोगों का आना-जाना रहता है, वहां पर यात्रियों से ‘यूजर फीस’ ली जाएगी। इस पैसे का इस्तेमाल यात्रियों के लिए रेलवे को और भी ज्यादा सुविधाजनक बनाने के लिए होगा।
यादव ने कहा कि यह यूजर फीस काफी कम होगी और यह कुल 7000 रेलवे स्टेशन में से केवल 10 से 15 प्रतिशत स्टेशनों पर ही लागू होगी। किस स्टेशन पर यह लागू होगी और किस पर नहीं, इसके बारे में जल्द ही नोटिफिकेशन दिया जाएगा। फ़िलहाल, रेलवे ने 50 स्टेशनों को ‘रिडेवलपमेंट’ यानी कि नए सिरे से विकसित करने के लिए चुना है। इन स्टेशनों पर सभी तरह की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
रेलवे के रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत जिन स्टेशनों को डेवलप किया जा रहा है, उनमें मुंबई, जयपुर, हबीबगंज, चंडीगढ़, नागपुर, बिजवासन और आनंद विहार जैसे रेलवे स्टेशन शामिल हैं।
यादव ने आगे कहा, “यह फीस कम ही होगी लेकिन अगर हम रेलवे स्टेशन पर एयरपोर्ट जैसी वर्ल्ड-क्लास सुविधाएं चाहते हैं तो यह बहुत ज़रूरी है। हम अपने सभी बड़े स्टेशनों को अपग्रेड करना चाहते हैं।”
रिडेवलप किये गए स्टेशनों को ‘रेलोपोलिस’ के नाम से जाना जाएगा। यहां रेलवे अपनी जमीन को कमर्शियल यूज के लिए 60 साल की लीज पर देगी।
इस सबके बार में नीति आयोग के सीईओ, अमिताभ कांत का कहना है, “हम चाहते हैं कि रेलवे भारत के विकास को बढ़ाए। जापान, साउथ कोरिया जैसे देशों के विकास में रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर का अहम योगदान है। हमें भरोसा है कि आगे चलकर रेलवे भारत के विकास में 1 से 2 प्रतिशत योगदान देगा।”
जिन भी स्टेशन पर यूजर फीस लगेगी, वहां पर यात्रियों के लिए टिकट थोड़ी महंगी हो जाएगी। फ़िलहाल, 700 से 1050 स्टेशनों को इस सूची में शामिल करने की योजना पर काम चल रहा है।
रेलवे स्टेशनों के विकास का यह प्रोजेक्ट पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर किया जा रहा है। इसके लिए प्राइवेट कंपनियों को बिडिंग के जरिए चुना जाएगा। वहीं इन स्टेशनों को डेवलप करने के बदले में कंपनियों को यहां पर कमर्शियल कॉम्प्लेक्स आदि बनाने की अनुमति होगी।
स्टेशनों के रिडेवलपमेंट के लिए ज़िम्मेदार एजेंसी, इंडियन रेलवे स्टेशन रिडेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमटेड ने अब तक दो स्टेशन, मध्य-प्रदेश में हबीबगंज और गुजरात में गाँधीनगर को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत दिया है। इनके रिडेवलपमेंट का काम दिसंबर 2020 तक पूरा होने की संभावना है।
यात्रियों के लिए ट्रेन का सफर कितना महंगा होगा, यह अभी नहीं बताया जा सकता। इसके लिए हमें भारतीय रेलवे की इस बारे में अगली घोषणा का इंतज़ार करना होगा। लेकिन इतना तय है कि आने वाले समय में भारतीय रेलवे में बहुत से बदलाव होने जा रहे हैं और हम उम्मीद करते हैं कि ये बदलाव भारत को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाएंगे।
यह भी पढ़ें: Indian Railways: जानिए कब और कहाँ से कहाँ तक चलेंगी किसान रेल
संपादन – मानबी कटोच