देश भर में इन दिनों रेलवे स्टेशनों को सुंदर और स्वच्छ बनाने के लिए एक से बढ़कर एक काम हो रहे हैं। कई स्टेशन तो अब मॉडल स्टेशन की तरह दिखने भी लगा है। इन सबके बीच कई जगहों पर कुछ अनोखी पहल भी हो रही है। आज हम आपको दक्षिण पश्चिम रेलवे के बारे में बता रहे हैं जहाँ रेलवे ने अपने कर्मचारियों की मदद से किचन गार्डन तैयार किया है।
कुछ समय पहले, दक्षिण पश्चिम रेलवे ने बेंगलुरु से मैसूर तक चले वाली 32 ट्रेनों में से 18 को डीजल से इलेक्ट्रिक किया है। इस पहल की वजह से लगभग 40% तक ट्रेनों की रनिंग कॉस्ट कम हुई है। इसके साथ ही, बेंगलुरु के डीआरएम अशोक कुमार वर्मा ने KSR बेंगलुरु स्टेशन पर इस रेलवे डिवीज़न का पहला वर्टीकल गार्डन भी बनाया है।
डीआरएम अशोक कुमार वर्मा बताते हैं, “पिछले एक साल में बेंगलुरु डिवीज़न के आसपास लगभग 50 गार्डन लगाए गए हैं। अगले साल तक यह पहल जारी रहेगी ताकि डिवीज़न को और खूबसूरत बनाया जा सके।” आए दिन बेंगलुरु डिवीज़न में कोई न कोई सस्टेनेबल कदम उठाया जा रहा है। डिवीज़न में सोलर पंप इंस्टॉल करने का प्रोजेक्ट भी शुरू हुआ है और दो रीसाइक्लिंग प्लांट भी सेट-अप हुए हैं।
आज द बेटर इंडिया, इस रेलवे डिवीज़न की एक और अनोखी पहल से आपको रू-ब-रू करा रहा है। बेंगलुरु डिवीज़न के बंगारपेट रेलवे स्टेशन पर रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम उठाया है। रेलवे स्टेशन की एक जगह को डंपयार्ड की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था। लॉकडाउन के दौरान अधिकारियों ने इस जगह को एक नया रूप देने पर विचार किया और अब यहाँ एक सुंदर सा किचन गार्डन है, जहाँ कई तरह की सब्जी उगाई जा रही है।
बंगारपेट रेलवे के सेक्शन इंजीनियर राघवेंद्र ने द बेटर इंडिया को बताया, “पूरे डिवीज़न में ही अलग-अलग जगहों पर इस तरह की पहल हो रही है और हमें भी वहीं से प्रेरणा मिली। बाकी जगह इस तरह की ज़मीनों को ग्रीन कवर में बदला जा रहा है।”
लगभग 50×20 फीट की इस ज़मीन को पहले नगर निगम की मदद से खाली कराया गया। कचरे को हटाया गया और फिर यहाँ पर गार्डन लगाने की तैयारी हुई। रेलवे कर्मचारियों में जिन्हें भी थोड़ी -बहुत कृषि के कामों की या गार्डनिंग की जानकारी थी, उन्हें इस प्रोजेक्ट से जोड़ा गया। यह ज़मीन भले ही कूड़े-कचरे से भरी थी लेकिन काफी उपजाऊ है।
इंजीनियर राघवेंद्र कहते हैं, “कर्मचारियों की मदद से हमने यहाँ लगभग 70-80 अलग-अलग सब्ज़ियों के पौधे लगाए। इनमें टमाटर, बैंगन, भिंडी, निम्बू, पपीता और कुछ पत्तेदार सब्जी शामिल हैं। 2-3 महीने तक सभी ने बारी-बारी से किचन गार्डन की देखभाल की ज़िम्मेदारी उठाई है।”
किचन गार्डन को सुरक्षित रखने के लिए रेलवे स्टाफ ने कुछ पैसे इकट्ठा करके इसकी फेसिंग भी कराई है। गार्डन से मिलने वाली उपज को रेलवे स्टाफ आपस में बांटते हैं। राघवेन्द्र कहते हैं कि गर्मियों की उपज लगभग खत्म होने आई है और अब सर्दियों के लिए इसे तैयार किया जाएगा।
उन्होंने आगे बताया कि इस किचन गार्डन के अलावा भी, बंगारपेट रेलवे और भी कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है जैसे ग्राउंड वाटर रिचार्ज के लिए एक जगह तालाब बनाया जा रहा है और रेलवे कॉलोनी में मियावाकी जंगल भी लगाया जा रहा है। “ये सभी प्रोजेक्ट्स अभी चल रहे हैं, पूरे नहीं हुए हैं। जैसे ही ये पूरे होंगे डिपार्टमेंट की तरफ से इनके बारे में भी जानकारी साझा की जाएगी,” उन्होंने आगे कहा।
बेंगलुरु डिवीज़न में भी साल 2016 से खाली पड़ी रेलवे की ज़मीन पर मियावाकी जंगल उगाए जा रहे हैं। यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के साथ-साथ भारतीय रेलवे पर्यावरण के लिए भी कार्यरत है। भारतीय रेलवे की ज़्यादातर रेलों को इलेक्ट्रिक करने पर काम किया जा रहा है और इसके साथ ही, भारतीय रेलवे सोलर ऊर्जा की तरफ भी सशक्त कदम बढ़ा रही है। रेलवे का फोकस कम से कम लागत में अभिनव पहल करने पर है।
बेशक, बंगारपेट रेलवे की यह पहल बहुत से और प्राइवेट और पब्लिक कंपनियों के लिए एक प्रेरणा है कि कैसे वह अपनी खाली और बेकार पड़ी ज़मीनों को किचन गार्डन या फिर मियावाकी जंगल में तब्दील कर सकते हैं। इससे हमारी प्रकृति की मदद होगी। बेंगलुरु डिवीज़न में होने वाले नए और अहम बदलावों के लिए आप DRM Bengaluru ट्विटर अकाउंट फॉलो कर सकते हैं!
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