राजस्थान के झुंझनू जिले के 70 वर्षीय चौधरी सुमेर राव ऐसे लोगों के लिए मिसाल हैं जो 60 की उम्र पार करते ही सोचते हैं कि अब उनका वक्त नहीं रहा। सुमेर राव इस उम्र में कीनू की बंपर खेती कर रहे हैं और सालाना केवल कीनू से ही पाँच लाख रुपया कमा रहे हैं।
चौधरी सुमेर राव ने 62 साल की उम्र में कीनू की खेती शुरू की। उन्होनें 6 साल पहले अपने एक शिक्षक मित्र की सलाह पर एक हेक्टेयर जमीन पर कीनू का बगीचा लगाया था। मेहनत रंग लाई और आज यह बगीचा पाँच लाख सालाना की कमाई दे रहा है। इतना ही नहीं, पानी की कमी वाले राजस्थान के इस इलाके में अब दर्जनों किसान कीनू की खेती करने लगे हैं।
चौधरी सुमेर के बगीचे की खास बात यह है कि उन्होंने इसमें रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया है। अपने खेतों में तैयार जैविक खाद का ही इस्तेमाल वह कीनू उगाने में कर रहे हैं। मसलन गोबर, नीम के पत्ते और दूसरी सामग्री से ही बनी खाद का प्रयोग कर रहे हैं। पौधों को पानी देने के लिए उन्होंने ड्रिप सिस्टम लगाया है। आलम यह है कि वह आज लाखों में कमाई कर रहे हैं और उनसे प्रेरित होकर आज 200 से ज्यादा किसान भी जैविक खेती को अपना चुके हैं।
चौधरी सुमेर राव का यह कार्य अनवरत जारी है। वह हर किसान को जैविक खेती से जोड़ने का सपना देखते हैं और इसकी कोशिश में लगे हैं।
200 पौधे लगाकर की शुरुआत, आज 500 पौधे लगे हैं
चौधरी सुमेर राव बताते हैं कि उन्होंने 2014 में अपने गाँव घरडाना कलां (तहसील सिंघाना) में एक हेक्टेयर जमीन पर सबसे पहले 200 पौधे रोपे थे। अच्छी देख-रेख और बढ़िया खाद से इन पौधों ने अच्छी बढ़त पाई। कीनू से पेड़ लद गए। पहले साल ही इनकी बिक्री से उन्होंने साढ़े तीन लाख से अधिक की कमाई की। इससे वह उत्साहित हुए और बगीचे की देखभाल में अपना समय व्यतीत करने लगे।
सुमेर कहते हैं कि यदि हनुमानगढ़ में कार्यरत शिक्षक दोस्त की सलाह न मानी होती तो निश्चित रूप से अफसोस हो रहा होता। दोस्त ने सुमेर को खेतों में मेहनत से काम करते देखा था। उन्होंने सलाह दी थी कि सुमेर को कुछ अलग उगाना चाहिए और जैविक खेती पर ध्यान देना चाहिए। बस यहीं से सुमेर की जिंदगी में मोड़ आया। इसी का नतीजा है कि आज उनकी जमीन पर 20 तरह के पाँच सौ से भी ज्यादा पेड़ तैयार खड़े हैं। इन पेड़ों पर आने वाली बढ़िया फसल का नजारा साफ दिखाई देता है।
स्थानीय स्तर पर किन्नू की अच्छी डिमांड, हाथों हाथ उठ जाता है
चौधरी सुमेर राव बताते हैं कि उनके बगीचे की कीनू की स्थानीय स्तर पर भी अच्छी डिमांड है। सुमेर बताते हैं, “कीनू का पौधा सामान्य तौर पर चार साल में पेड़ बनकर फल के लिए तैयार होता है। मैंने गाँव में ही अपनी नर्सरी भी लगाई है। मैं जैविक उत्पाद पर भरोसा करता हूँ। जैविक खेती ही मेरी पहली प्राथमिकता है। लोगों को देसी गाय का दूध, दही, छाछ, घी और गोमूत्र मुहैया कराता हूँ।”
पानी बचाओ, जहर मुक्त खेती अभियान भी चला रहे हैं
चौधरी सुमेर राव पानी बचाओ अभियान से जुड़े हैं। इसके अलावा वह बेटी बचाओ अभियान से भी जुड़े हैं और लोगों को बेटी को पढ़ाने की भी नसीहत देते हैं। इसके साथ ही उन्होंने जहर मुक्त खेती अभियान भी चलाया हुआ है। यह अभियान रासायनिक खेती के खिलाफ और जैविक खेती की तरफ लोगों को प्रेरित करने के लिए चलाया जा रहा है। इतना ही नहीं, इसके साथ ही चौधरी सुमेर राव अपने खुद के खर्च पर हर साल 50 से लेकर 100 फलदार पौधे सार्वजनिक जगहों पर लगाते हैं। उन्होंने दहेज के खिलाफ भी आवाज उठाई है। अपने दोनों बेटों की शादी उन्होंने बगैर दहेज लिए की है।
फसल को बच्चों की तरह स्नेह करें
सुमेर का कहना है, “यदि आप अपनी फसलों की बच्चों की तरह देखभाल करेंगे, तभी उनसे बेहतर पैदावार ले सकेंगे। आखिर प्यार की भाषा तो पेड़-पौधे भी समझते हैं। उनका साफ कहना है कि यदि आप केवल अपने मुनाफे की सोचेंगे और फसल से प्यार नहीं करेंगे, उसका ख्याल नहीं रखेंगे तो कभी भी जमीन आपको मन माफिक नतीजा नहीं देगी।”
बड़ी संख्या में उनका काम देखने आते हैं लोग
चौधरी सुमेर राव के खेत और उनके नवाचार को देखने के लिए बड़ी संख्या में किसान और अन्य लोग उनके गाँव पहुँचते हैं। सुमेर बताते हैं कि एक महीने में करीब पाँच सौ से ज्यादा लोग उनके खेतों पर पहुँचते हैं। सिंचाई की ड्रिप विधि देखने के साथ ही जैविक खाद बनाने का तरीका सीखते हैं। उन्हें बताया जाता है कि किस तरह इस विधि के जरिये वह कम पानी में अच्छी फसल उगा सकते हैं। इसके बाद नए किसान अपने खेतों में उसे उपयोग करते हैं।
चौधरी सुमेर राव नौकरी को बुरा नहीं मानते, लेकिन उनका कहना है कि यदि युवा जैविक खेती की ओर मुड़ेंगे तो इससे देश को भी फायदा होगा। देशवासियों को खाने को ऐसी सब्जियाँ व फल मिलेंगे, जो उन्हें सेहतमंद बनाए रखेंगे। इसके लिए वह प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने युवाओं से जैविक खेती शुरू करने की अपील भी की है।
सुमेर राव से 9414778555 पर संपर्क किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: नौकरी के साथ अपने छोटे से खेत में जैविक खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं पवन!