28 जून, 2018 को मुंबई के घाटकोपर के पास एक निजी विमान जुहू एयरपोर्ट पर अपनी लैंडिंग के दौरान एक बिल्डिंग से टकरा कर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह दुर्घटना इस 26 वर्षीय चार्टर प्लेन की टेस्ट फ्लाइट के दौरान हुई। इस दुर्घटना में पांच लोगों की जान चली गयी, जिसमें से चार विमान में मौजूद थे और एक मजदूर बिल्डिंग में काम कर रहा था।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दुर्घटना में विमान के दोनों पायलट, कप्तान प्रदीप राजपूत और कप्तान मारिया ज़ुबैरी के साथ-साथ मेन्टेनन्स इंजीनियर सुरभि गुप्ता और जूनियर इंजीनियर मनीष पांडेय की मृत्यु हो गयी। इसके अलावा जिस इमारत से विमान टकराया वह अभी बन ही रही थी। उसमें काम कर रहे एक मजदूर गोविन्द दुबे के भी हादसे में मौत हो गयी।
स्थानीय निवासी नमी और मलय शाह ने बताया कि उन्होंने जलते हुए एक विमान को गिरते देखा। लेकिन यह सब इतना जल्दी में हुआ कि पता ही नहीं चला कि वह कब गिरकर धुएं में तब्दील हो गया।
बताया जा रहा है कि विमान अपने मैकेनिकल अक्षमता के चलते क्रैश हुआ। इसके अलावा मौसम भी टेस्ट फ्लाइट के लिए उपयुक्त नहीं था क्योंकि मुंबई में भारी बारिश हुई थी।
इस दुर्घटना में हुए नुकसान की भर-पाई तो कोई नहीं कर सकता है। लेकिन यहां पर एक पहलु है जिसे उजागर करना आवश्यक है। विमान गिरने से पहले घाटकोपर की इमारतों के ऊपर चक्कर लगा रहा था। बहुत से स्थानीय लोगों को लगा कि विमान घाटकोपर में गिरेगा। जिसमें बहुत से लोगों की जान जाने की सम्भावना थी। क्योंकि घाटकोपर मुंबई का बड़ी जनसंख्या वाला इलाका है।
लेकिन विमान के दोनों पायलट अपनी सूझ-बुझ दिखाते हुए, विमान को खाली जगह पर लेकर गए ताकि स्थानीय लोगों की जान बच सके। इस दुर्घटना में दोनों पायलट ने अपनी जान गंवा दी लेकिन बहुत से लोगों की जान बचाई। पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री, प्रफुल पटेल ने पायलट के लिए एक सराहनीय ट्वीट किया।
Saddened to hear about the unfortunate incident at #ghatkopar as Charter plane crashes in an open area. Salute to the pilot who showed presence of mind to avoid a big mishap, saving many lives at the cost of her own life. #RIP to all the 5 Dead. My deepest condolences.
— Praful Patel (@praful_patel) June 28, 2018
यह विमान मुंबई की यु. वाई. एविएशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने यूपी सरकार से खरीदा था। कल पुरे नौ साल बाद इस विमान ने उड़ान भरी थी।
( संपादन – मानबी कटोच )