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Naturals Ice Cream: पिता बेचते थे फल, फलों के स्वाद ने ही बेटे को बनाया ‘Ice Cream King’

Raghunandan Kamath, founder of Naturals

गर्मी हो या सर्दी, आप किसी भी मौसम में Naturals Ice Cream पार्लर में चले जाएं, आपको हमेशा ग्राहक कतारों में मिलेंगे। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक, सभी को यहां के अलग-अलग Natural Ice cream flavors भाते हैं। Naturals Ice Cream की टैग लाइन ‘टेस्ट द ओरिजिनल’ सिर्फ कहने भर के लिए नहीं है, बल्कि यह सच्चाई है। हमेशा से ही, यह ब्रांड अपने नाम पर खरी उतरती आई है। शायद यही कारण है कि देश में पुरानी और बड़ी से बड़ी आइसक्रीम ब्रांड्स को आज यह कंपनी टक्कर दे रही है। 

Naturals Ice Cream के अलग फ्लेवर्स, स्वाद और गुणवत्ता ने, उन्हें बाजार में एक अलग पहचान दिलाई। आज देश के लगभग सभी कोनों में कंपनी के आउटलेट हैं और सालाना टर्नओवर 300 करोड़ रुपए से ज्यादा है। लेकिन क्या आपको पता है कि इस कंपनी की शुरुआत एक छोटे से आउटलेट से हुई थी? इसके पीछे सोच थी, एक साधारण से फल-विक्रेता के बेटे की, जिन्होंने कभी कॉलेज नहीं देखा और न ही कोई MBA की डिग्री की। लेकिन फिर भी, उन्होंने अपनी सूझबूझ और अलग-अलग एक्सपेरिमेंट करके यह भारतीय ब्रांड खड़ी कर दी। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए कंपनी के डायरेक्टर, श्रीनिवास कामत ने ब्रांड की सफलता के बारे में बताया। Naturals Ice Cream को उनके पिता, रघुनन्दन कामत (Raghunandan S Kamath) ने शुरू किया था, जिन्हें आज ‘Ice Cream Man’ के नाम से भी जाना जाता है। श्रीनिवास और उनके छोटे भाई, सिद्धांत कामत, आज अपने पिता के साथ मिलकर कंपनी को आगे बढ़ा रहे हैं।

Raghunandan S Kamath

गाँव से निकलकर पहुंचे मुंबई: 

मूल रूप से, कर्नाटक के एक गाँव से संबंध रखनेवाले रघुनंदन कामत (Raghunandan S Kamath), अपने सभी भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनके पिता फलों की खेती करते थे और इन फलों को बेचकर ही, उनके घर का खर्च चलता था। सभी तरह की परेशानियों के बावजूद, उनके माता-पिता ने अपने बच्चों को एक बेहतर जिंदगी देने की कोशिश की। साल 1966 में, कामत अपने भाइयों के पास मुंबई जाकर रहने लगे। उनके भाई मुंबई में ‘गोकुल’ नाम से एक फ़ूड इटरी चलाते थे, जहां वे ग्राहकों को इडली, डोसा, चटनी आदि के साथ आइसक्रीम भी देते थे। 

हालांकि, आइसक्रीम उनके बिज़नेस का छोटा-सा हिस्सा था। लेकिन कामत के मन में आइसक्रीम को लेकर हमेशा से ही बड़े-बड़े आईडिया होते थे। उनका मानना था कि कर्नाटक से आनेवाले ज्यादातर लोग इडली, डोसा का काम करते हैं। ऐसे में, वे आइसक्रीम में अपनी अलग पहचान बना सकते हैं। लेकिन उस समय छोटे होने के कारण, बड़े भाइयों से वह ज्यादा कुछ कह नहीं पाते थे। 1983 में अपनी शादी के बाद, उन्होंने अपने इस बिज़नेस आईडिया पर काम करने का फैसला किया। उनके भाई भी बिज़नेस को अलग कर रहे थे, इसलिए उन्होंने अपने आईडिया को आगे बढ़ाने की सोची। 

उस समय लोगों के लिए आइसक्रीम एक ‘लक्ज़री’ फूड आइटम हुआ करती थी। उन दिनों ज्यादातर लोग घर पर बनी कुल्फी ही खाते थे। लेकिन बात अगर ब्रांड की हो, तो उस जमाने में वाडीलाल, क्वालिटी, और वोल्गा जैसे नाम बाजार में थे। इनकी आइसक्रीम ज्यादातर बड़े होटलों और रेस्टोरेंट्स में खाने के बाद परोसी जाती थी। आइसक्रीम पार्लर तो न के बराबर थे। तब बॉम्बे में एक ‘यंकी डूडल’ हुआ करता था, लेकिन वह भी एक होटल का हिस्सा था। लेकिन कामत ने यह रिस्क लिया कि वह सिर्फ आइसक्रीम पार्लर चलाएंगे। 

1984 में शुरू हुआ पहला पार्लर 

मुंबई में 14 फरवरी 1984 को Naturals Ice Cream Mumbai का पहला आउटलेट शुरू हुआ। कामत जानते थे कि उन्हें आइसक्रीम बेचने के लिए अमीर और घूमने-फिरने वाले ग्राहकों की जरूरत है। इसलिए उन्होंने जुहू (Juhu Natural Ice Cream) को चुना, क्योंकि इस इलाके में सभी नामी-गिरामी लोग रहते हैं।
“लेकिन फिर भी यह बहुत बड़ा रिस्क था कि लोग सिर्फ आइसक्रीम खाने हमारे आउटलेट पर आएं। इस रिस्क को कम करने के लिए शुरुआत में, उन्होंने एक योजना के तहत आइसक्रीम के साथ पाव भाजी भी बेचना शुरू कर दिया। गर्म-गर्म और मसालेदार पाव भाजी के बाद लोगों को कुछ ठंडा और मीठा खाने की चाहत होती और उन्हें वह आइसक्रीम परोसते,” श्रीनिवास ने बताया। 

Naturals Ice Cream Outlet

अपने आइसक्रीम के स्वाद और गुणवत्ता को लेकर, कामत पहले से ही स्पष्ट थे। इसलिए उन्होंने पहले दिन से ही अपनी आइसक्रीम में सिर्फ तीन चीजों का इस्तेमाल किया- फल, दूध और चीनी। इसके अलावा, वह किसी भी तरह के एडिटिव, फ्लेवर या प्रेज़रवेटिव का इस्तेमाल नहीं करते थे। आज भी उनकी यही USP फॉलो होती है। इसी कारण, उनके आइसक्रीम का स्वाद एकदम प्राकृतिक होता है। उन्होंने बताया कि शुरुआत में सिर्फ पांच फ्लेवर की आइसक्रीम लॉन्च की गयी थीं- सीताफल, काजूद्राक्ष, आम, चॉकलेट और स्ट्रॉबेरी। 

पाव भाजी और आइसक्रीम को साथ में बेचने की कामत की योजना काम कर गयी। एक साल में ही, उन्होंने अपने निवेश से ज्यादा कमाई की। लेकिन कामत संतुष्ट नहीं थे, क्योंकि उनका उद्देश्य हमेशा से ही खुद को आइसक्रीम ब्रांड के रूप में स्थापित करना था। इसलिए 1985 में, उन्होंने पाव भाजी की बिक्री बंद कर दी। उस समय यह बहुत बड़ा कदम था, क्योंकि उनकी पूरी मेहनत बर्बाद हो सकती थी। लेकिन कामत को खुद पर और अपने आइसक्रीम के फ्लेवर (Natural Ice Cream flavors), उनके स्वाद और गुणवत्ता पर भी भरोसा था। इसलिए उनका आउटलेट (Juhu Naturals Icecream) चलता रहा और इस तरह से कामत ने मुंबई में सिर्फ और सिर्फ ‘आइसक्रीम पार्लर’ की नींव रखी। 

कम नहीं थी चुनौतियां 

कामत का आइसक्रीम पार्लर का कॉन्सेप्ट चल गया। लेकिन इसके बाद उन्हें दूसरे बड़े ब्रांड्स से कॉम्पीटीशन मिलने लगा। लेकिन उन्होंने हार मानने की बजाय अपने उत्पादों पर काम किया। बहुत से सेलिब्रिटी उनके नियमित ग्राहक थे, जो अलग-अलग देशों से घूमकर आते थे और उन्हें बताते कि बाहर उन्होंने कौन-कौनसे आइसक्रीम के फ्लेवर खाए। उनके फीडबैक और सुझाव के आधार पर, Naturals Ice Cream ने अपने पांच शुरूआती उत्पादों के अलावा, कटहल, कच्चा नारियल और काला जामुन जैसे फलों की आइसक्रीम बनाना भी शुरू किया। लेकिन यह आसान काम नहीं था। क्योंकि इन फलों की प्रोसेसिंग बिल्कुल भी आसान नहीं थी। 

साथ ही, जैसे-जैसे बिज़नेस बढ़ रहा था तो मांग भी बढ़ रही थी। शुरुआत में कई सालों तक, फलों को छीलने, काटने और प्रोसेस करने का काम हाथों से ही होता था। जैसे सीताफल उनकी सबसे ज्यादा बिकनेवाली आइसक्रीम है। लेकिन हाथ से एक दिन में वह सिर्फ 24 किलो सीताफल प्रोसेस कर पाते थे। इसलिए कामत को महसूस हुआ कि अब उन्हें अपने बिज़नेस में मशीनों की जरूरत होगी। लेकिन मशीनों से काम करने के बावजूद, उन्हें अपने उत्पादों में वही स्वाद चाहिए था, जो वह पहले दिन से ग्राहकों को परोस रहे थे। 

इसलिए कामत ने खुद अपनी कंपनी के लिए मशीनें बनवाई। उन्होंने अपनी जरूरत के हिसाब से मशीनें डिज़ाइन करके मैन्युफैक्चरिंग करवाई। इसके बाद उनका उत्पादन बढ़ने लगा। अब एक दिन वह लगभग एक टन सीताफल की प्रोसेसिंग कर पा रहे थे। उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ कंपनी के आउटलेट भी बढ़ने लगे। उन्होंने ज्यादातर आउटलेट फ्रेंचाईजी पर दिए। आज पूरे देश में Naturals Ice Cream के 135 से ज्यादा आउटलेट हैं, जिनपर आपको कभी भी 20 से ज्यादा फ्लेवर्स की आइसक्रीम मिल जाएंगी। 

Naturals Ice Cream के ज्यादातर फ्लेवर्स ग्राहकों के सुझाव के बाद शुरू किए गए हैं। कामत के लिए हमेशा से ही ग्राहक सबसे पहले रहे हैं। इसलिए उन्होंने कभी भी अपनी गुणवत्ता से समझौता नहीं किया और हमेशा फीडबैक के आधार पर आगे बढ़ते रहे हैं। शायद इसीलिए, कंपनी को KPMG के Customer Experience के भारत के टॉप 10 ब्रांड्स में शामिल किया जा चुका है। 

अंत में, श्रीनिवास कामत कहते हैं, “बिज़नेस की शुरुआत के लिए आपको किसी बहुत बड़े आईडिया का इंतजार करने की जरूरत नहीं होती है। आप छोटे-छोटे आइडियाज से भी बड़ी जीत हासिल कर सकते हैं। इसलिए अपनी शुरुआत करें।” 

संपादन- जी एन झा

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