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खुद अनार उगाते हैं और फिर अपनी बनाई मशीन पर प्रोसेसिंग कर सालाना कमाते हैं लाखों

Pomegranate farming

यह कहानी महाराष्ट्र के स्वप्निल शिवाजी माली की है, जिन्होंने कृषि विज्ञान में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद खेती को ही रोजगार का जरिया बना लिया है। आज वह नई-नई तरकीब और तकनीकि के सहारे अनार की खेती से लाखों रुपए कमा रहे हैं।

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के सांगोला तालुका के हतीद गाँव के स्वप्निल ने कृषि विज्ञान में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद करीब डेढ़ एकड़ में अनार के 450 पौधे लगाए। शुरूआत में स्थानीय बाजार में उन्हें 70-80 रुपए प्रति किलो की दर से  पैसे मिलते थे। धीरे-धीरे उन्होंने महसूस किया कि कड़ी मेहनत के बाद भी उन्हें उनकी फसलों का उचित दाम नहीं मिल रहा है।  इसके बाद उन्होंने अनारदाना, जूस, सिरप और जेली जैसे उत्पादों का निर्माण शुरू करने का फैसला किया।

स्वप्निल द्वारा उगाये गए अनार

स्वप्निल ने एक मशीन का निर्माण करते हुए अनार बीज (अनारदाना) प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की, जिसकी क्षमता 2 टन प्रतिदिन है। इसमें वह अनार के खराब हो चुके फल को तोड़ते हैं और उससे तरह-तरह के उत्पाद बनाकर गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु, बिहार के विभिन्न इलाकों में भेजते हैं।

स्वप्निल 18 साल की उम्र से खेती कर रहे हैं। पढ़ाई के दौरान भी उन्होंने खेती की। उन्होंने कहा कि पहले से ही उनका मन कृषि में लगता था। वह पहले अनार, बैगन, शिमला मिर्च की खेती भी करते थे।

स्वप्निल ने द बेटर इंडिया को बताया,“कॉलेज के दिनों की बात है। हम सब कहीं घूमने गए थे। वहाँ काजू को फोड़ने वाली मशीन देखने को मिली। यह देख हमने भी एक मशीन बनाने की सोची। अनार का दाना निकालने के लिए हमने उसी तरह की मशीन बनाई, जिसका अब इस्तेमाल किया जा रहा है। इस मशीन से हमें यह फायदा हुआ कि अनार के जिस हिस्से को दाना निकालने के क्रम में फेंक देते थे, वह भी हमारे काम आने लगा।”

कैस काम करती है मशीन?

इसी वर्कशॉप में खुद की बनाई मशीन से प्रोसेसिंग करता हैं स्वप्निल

मशीन में दो कटिंग ब्लेड और जाली लगाई गई है। ब्लेड अनार को तोड़ती है। टूटने के बाद अनार का बीज जाली से होते हुए नीच गिर जाते हैं और छिलके अलग हो जाते हैं। इस दौरान अनार का रस भी निकलता है, जिसे भी इस्तेमाल में लाया जाता है। मशीन में खराब हो चुके अनार का भी इस्तेमाल आसानी से हो सकता है।

बीज को धूप या मशीन में लगे लाइट में ड्राई करने के बाद उसे पैक किया जाता है। बीज को सुखाकर बेचने का फायदा यह है कि यह काफी दिनों तक खराब नहीं होता है। कच्चे फल को कोल्ड स्टोरेज में रखने की आवश्यकता होती है, लेकिन बीज के लिए नहीं। बीज को सुखाने के बाद यह कम से कम चार से पांच महीने तक खराब नहीं होता है।

अनार के इन बीजों का इस्तेमाल अनार अचार, अनार चाट मसाला, हाजमोला जैसे उत्पाद बनाने में किया जाता है। स्वप्निल ने बताया कि मशीन को बनाने में ढाई लाख रुपए खर्च हुए।  बाद में अन्य किसानों ने भी इसे आजमाया।

मशीन और हाथ से अनार तोड़ने का अंतर समझाते हुए स्वप्निल ने कहा कि हाथ से हम एक दिन में चार से पाँच हजार फल को फोड़ पाते थे, लेकिन अब रोजाना अनार के आठ से नौ हजार फलों को फोड़ते हैं।

स्वप्निल ने कहा कि जब हम अनार को हाथ से फोड़ते थे तो महीने की कमाई करीब 25 हजार के आसपास होती थी। मशीन के इस्तेमाल करने के बद अब महीने में 50 हजार रुपए से अधिक कमाई हो जाती है।

हाथ से फोड़ा गया अनार(बायें ), प्रोसेसिंग के दौरान अनारदाना(दायें)

अनार की खेती साल में दो बार होती है। इसके अलावा 25 वर्षीय स्वप्निल ड्रमस्टिक की भी खेती करते हैं।

स्वप्निल जैसे युवा, किसानों के लिए एक उम्मीद की तरह हैं। द बेटर इंडिया उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है।

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