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देश का पहला चप्पल बैंक चलाते हैं ये युवा; 8000 से ज्यादा गरीब बच्चों को पहनाई चप्पलें!

ज हम ऐसे ही एक युवा की कहानी को जानेंगे, जिनकी एक शुरुआत ने न जाने कितनी ज़िंदगियाँ बदल दी। महज़ 18 साल की उम्र में ग्वालियर के युवा आयुष बैद (जैन) ने जिस ‛मानवता ग्रुप’ की नींव राखी थी, आज उसका नाम ‛लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स’ में शामिल है।

अपनी शुरुआत के पहले ही साल में आयुष और उनकी टीम ने ग्वालियर की कृष्णनगर बस्ती से सेवा की शुरुआत की, जिसकी खबर लेने कभी कोई नहीं पहुंचता था।

आयुष बताते हैं, “मानवता ग्रुप एक संस्था नहीं, परिवार है, जिसमें ऐसे लोग शामिल हैं जो निस्वार्थ रूप से समाज के लिए कार्य करने को तत्पर हैं। ‛मानवता ग्रुप’ की शुरुआत मैंने 2015 में की थी, तब मेरी उम्र 18 वर्ष थी। यदि उस समय मुझे मेरे माता-पिता का सहयोग नही मिला होता तो मेरा यह प्रयास आज यहां तक नहीं पहुंचा होता। मेरी माँ गृहिणी हैं और पिता मेडिकल स्टोर चलाते हैं। धीरे-धीरे मेरे स्कूल के साथी और अन्य दोस्त जुड़ते चले गए और सेवा का एक कारवां बन गया।”

आयुष के प्रयासों से पहली बार वहां स्कूल खुला, शिक्षा का प्रसार हुआ, वहां का बच्चा-बच्चा स्कूल पहुंचा। ग्रामीण क्षेत्र और पहाड़ी पर बसी होने के कारण वह बस्ती अब तक सामान्य क्षेत्र से कटी हुई थी।

स्कूल के बच्चों के साथ आयुष बैद

 

धीरे-धीरे मानवता टीम का हौसला मजबूत होता गया। एक-एक करके 6 अलग-अलग अभियानों – मानवता मिशन एजुकेशन, मानवता मिशन एडमिशन, देश का पहला चप्पल बैंक, ओरल हेल्थ अवेयरनेस मिशन, मानवता गर्ल्स सेफ्टी ग्रुप, नो स्मोकिंग अवेयरनेस कैंपेन की शुरुआत हुई। आज ग्रुप इन अभियानों के माध्यम से बिना रुके लगातार कार्य कर रहा है।

1. मिशन एजुकेशन

मात्र 4 सालों की मेहनत के बलबूते आज मानवता ग्रुप इतिहास रचने की तैयारी में जुट गया है। मिशन एजुकेशन के माध्यम से अब तक ग्वालियर में 25 से ज्यादा स्कूलों का विकास हुआ है। सुगम और अच्छे स्कूल बने हैं, जहां बिजली नहीं पहुंची थी, वहां ग्रुप के साझा प्रयासों से बिजली भी आई है।

कृष्णनगर बस्ती में मानवता ग्रुप ने खुद अपने स्तर पर कलेक्शन करके एक कमरे का स्कूल बनवाने में कामयाबी हासिल की। अन्य जगहों जहां पर बिजली और शौचालय की समस्या थी, प्रशासन के सामने आवाज़ उठाकर व्यवस्थाएं करवाने में कामयाबी हासिल की। इतना ही नहीं, विद्यालयों में खेलने का सामान, स्टेशनरी आदि ज़रूरत का सामान भी उपलब्ध करवाया। वे यह सभी कार्यक्रम ज्यादा से ज्यादा विद्यालयों में 10 हैप्पी स्कूल एवं अन्य संस्थाओं के सहयोग से करते हैं जिसमें उनकी टीम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

 

2. मिशन एडमिशन

मानवता मिशन एडमिशन के तहत 2015 से 2019 तक कुल 523 से अधिक बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलवाया गया। आज यहीं बच्चे पढ़-लिखकर कुछ बन जाने का सपना देख रहे हैं।

 

वैसे तो शासकीय विद्यालयों में फीस नही लगती, फिर भी बच्चे पढ़ने नहीं जाते। मानवता ने इसकी जड़ में पहुंचकर बच्चों के जरूरी कागजात बनवाए, घर-घर जाकर एडमिशन के लिए जागरुकता अभियान चलाया और जहां बच्चों की ओर से समस्या थी, वहां बच्चों के साथ पहुंच कर एडमिशन करवाया।

 

3. ओरल हेल्थ अवेयरनेस मिशन

इस मिशन के माध्यन से यह युवा हर साल 10 से ज्यादा डेंटल कैम्प आयोजित करते हैं। अब तक हज़ारों बच्चों को दांतों से जुड़ी समस्याओं में राहत मिली है।

 

4. नो स्मोकिंग अवेयरनेस कैंपेन

विद्यार्थियों को नशे के दुष्प्रभाव बताते मानवता ग्रुप के सदस्य।

नो स्मोकिंग अवेयरनेस कैंपेन के माध्यम से मानवता ग्रुप ने लाइव मॉडल तैयार कर धूम्रपान के नुकसान जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया है। बोतल के जरिये वे एक लाइव मॉडल बनाते हैं, जिसमें एक सिगरेट लगाकर प्रोसेस करके 2 मिनट में उसका टार निकालकर दिखाते हैं और आमजन को सावधान करते हैं।

मानवता ग्रुप यह मॉडल करीब 70 से ज्यादा बार दिखा चुका है, जिसमें 50,000 से ज्यादा लोग मौजूद रहे हैं।

 

5. गर्ल सेफ्टी ग्रुपग्वालियर पुलिस के साथ मिलकर ‘मानवता ग्रुप’ गर्ल सेफ्टी ग्रुप संचालित करता है, जिसके तहत किसी भी महिला को अपनी समस्या के लिए थाने जाने की जरूरत नहीं पड़ती, उनकी समस्या घर बैठे ही फोन पर सॉल्व की जाती है।

मानवता ग्रुप को वर्ष 2016 में इस समूह के लिए मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा सम्मानित भी किया गया था। ग्रुप की प्राथमिकता किसी सम्मान को पाने की कतई नहीं है, लेकिन मानवता को अपने उल्लेखनीय योगदान के लिए कई बार जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है।

आयुष और उनके युवा साथियों द्वारा संचालित मानवता ग्रुप केवल अपने अभियानों को संचालित करने तक ही सीमित नहीं है। वह किसी भी ऐसे कार्य जिसमें सामाजिक हस्तक्षेप की आवश्यकता होती हो, आगे बढ़कर समाज हित में लड़ाई लड़ता है।

 

6.  चप्पल बैंक

मानवता ग्रुप को सर्वाधिक लोकप्रियता उस वक़्त मिली जब इनके द्वारा संचालित भारत के पहले को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड 2018 में जगह मिली। इस चप्पल बैंक का काम गरीब और ज़रूरतमंद बच्चों के पैरो में नई चप्पलें पहनाना है। ग्रुप ग्वालियर के बाद अब पूरे मध्यप्रदेश और देश में ऐसी व्यवस्था बनाना चाहता है कि हर ज़रूरतमंद बच्चे को इस चप्पल बैंक के माध्यम से पैरों में पहनने की ब्रांड न्यू चप्पलें मिलें।

बस्तियों में शासकीय विद्यालयों में बच्चों को बिना चप्पल पहने लहूलुहान पैरों में देखकर बैद ने अपनी माँ से इसकी चर्चा की। उस समय यह आईडिया आया कि नई नहीं तो कम से कम कैसी भी हो, पर चप्पल तो सभी के पैरों में होनी ही चाहिए।

मानवता ग्रुप का प्रयास रहा है कि जब कोई भी बच्चा बड़ा हो, तब उसके बचपन की स्मृतियों में ये न हो कि उसके पैर गर्मी में धूप में चप्पल न होने की वजह से झुलसे थे, या भरी ठण्ड में बिना चप्पल के उसने दिन गुज़ारे हैं।

मानवता ग्रुप का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में देश के पहले चप्पल बैंक बनाने, पहले वर्ष में 2000+ बच्चों को चप्पल पहनाने के लिए शामिल हुआ है। चप्पल बैंक द्वारा अभी तक ढाई साल में 8000 से ज्यादा बच्चों को चप्पलें पहनाई जा चुकी हैं। यह रिकॉर्ड पूरी टीम और सहयोगियों की अथक मेहनत के सम्मान का प्रतीक है।

 

‛मांगो नही कमाओ’ के सिद्धांत पर चलता है मानवता ग्रुप!

 

मानवता ग्रुप ने नया कांसेप्ट दिया है, ‛मांगो नही कमाओ’, जो कि अभी अपने शुरुआती चरण में है। मानवता ग्रुप अपने आपको सुचारू रूप से चलाने के लिए कहीं भी दान के लिए नहीं जाता, जो भी इससे जुड़े सहयोगी हैं, वे स्वयं सहयोग करते हैं और बाकी अवश्यकताओं के लिए मानवता ग्रुप खुद अपने स्तर पर कमाई करने का प्रयास करता है।

‛मांगो नहीं कमाओ’ के अंतर्गत ग्रुप के सहयोग हेतु ‛चोकोलेट फ़ॉर चैरिटी’ जैसे स्टार्टअप की शुरुआत भी की गई, जो 2 वर्ष पहले मात्र 13,000 रुपयों से शुरू हुआ एक प्रयास है। आज इनका लगभग 4 लाख का टर्नओवर है। इसका उद्देश्य स्वयं और संस्था को इंडिपेंडेंट बनाना है, जिससे फण्ड लेकर किसी पर निर्भर होने की बजाय खुद को स्वाभिमानी बनाना है।

बैद कहते हैं, “एक समाज सेवक जब स्वतंत्र होता है, तब ही वह अपना बेस्ट दे पाता है! ऐसी मेरी सोच है। ‘मानवता’ कोई ग्रुप नहीं बल्कि एक परिवार की परिकल्पना है, जहां कोई बड़ा नहीं, कोई छोटा नहीं, किसी को कोई पद नहीं, कोई औपचारिता नहीं है। यहां किसी कामयाबी पर कोई पार्टी नहीं होती, एक भी पैसा भी व्यर्थ में बर्बाद नहीं किया जाता, किसी तरह का कोई प्रदर्शन नहीं होता, सब एक साथ मिलकर अपना योगदान देते हैं।”

मानवता ग्रुप के सभी साथी अपनी पॉकेट मनी से सहयोग करते हैं और जो प्रशंसक हैं, वे भी कभी-कभी सहयोग करते हैं। ग्रुप शासन से किसी तरह की कोई मदद नहीं लेता और आज तक का ट्रैक रिकॉर्ड है कि कभी भी नेक कार्य के लिए फण्ड की कोई कमी नहीं हुई।

अन्य किसी भी बैंक में रुपयों के बदले ब्याज मिलता है, यहां सहयोग के बदले ब्याज तो नहीं मिलता, लेकिन अपार खुशियां अवश्य मिलती हैं जो किसी भी तरह के अन्य ब्याज से बढ़कर है!

‘मानवता ग्रुप’ से संपर्क करने के लिए आप उनके फेसबुक पेज से जुड़ सकते हैं। आप आयुष से 09179561844, 09340193069 पर बात भी कर सकते हैं।

 

संपादन – मानबी कटोच 


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