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जबलपुर का अनोखा घर: 150 साल पुराने पीपल के पेड़ में घर है या फिर घर में पेड़

आजकल लोग अपनी सुविधा के लिए घर के बाहर लगे पेड़ों को हटवा देते हैं, ताकि उनकी गाड़ियों को खड़ा करने के लिए जगह बन सके। हम सभी अपनी सुविधा के लिए प्रकृति को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रहे हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे परिवार के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने अपनी जमीन के बीचों-बीच लगे पेड़ को कटवाने की बजाय, इसके चारों तरफ ही घर बना लिया, वह भी पेड़ को बिना कोई नुकसान पहुंचाए। आज यह पेड़ भी अच्छा फल-फूल रहा है और घर भी एकदम मजबूती से खड़ा है। 

यह कहानी है मध्य प्रदेश के जबलपुर में रहने वाले केशरवानी परिवार और उनके अद्भुत घर की। आप शहर में जाकर किसी से भी पूछेंगे कि पेड़ वाले घर में जाना है तो लोग खुद ही आपका रास्ता दिखा देंगे। दिलचस्प बात यह है कि इस अनोखे घर की कहानी सिर्फ जबलपुर ही नहीं बल्कि विदेशों तक भी पहुंची है। द बेटर इंडिया से बात करते हुए केशरवानी दंपति ने अपने इस निराले घर के बारे में विस्तार से बताया। 

योगेश केशरवानी और उनकी पत्नी, नीलू केशरवानी बताते हैं, “यह घर हमारे पिताजी स्वर्गीय डॉ. मोतीलाल केशरवानी ने बनाया था। हमारे दादाजी के जमाने में इस जगह खपरैल का घर हुआ करता था और यह पीपल का पेड़ शायद उसी समय से यहां खड़ा है। लोग कहते हैं कि इस पेड़ की उम्र 150 साल से ज्यादा है।” 

Kesharwani Family

पेड़ को बिना काटे बनाया अपना आशियाना 

साल 1990 में योगेश के पिता नए सिरे से घर बनवा रहे थे। लेकिन जमीन के बीचों-बीच खड़े पीपल के पेड़ को देखकर, उन्हें लोग यही सलाह देते कि वह पेड़ को कटवाकर खूबसूरत-सा घर बनवाएं। लेकिन प्रकृति प्रेमी मोतीलाल ने उनकी बातों पर ध्यान न देते हुए अपने एक सिविल इंजीनियर दोस्त से बात की। योगेश कहते हैं, “आज उनके वह दोस्त, केपी सोनी जी भी हमारे बीच नहीं है। लेकिन पिताजी की चाह पर उन्होंने जो कमाल किया, वह कभी भी उनके नाम को भूलने नहीं देगा। पिताजी चाहते थे कि परिवार के लिए मजबूत घर भी बने और पेड़ को भी कोई नुकसान न हो और इसकी जिम्मेदारी उनके दोस्त ने ली।”

घर को इस तरह से डिज़ाइन किया गया कि इसके सभी कमरों में पेड़ की कोई न कोई टहनी निकलती है। यह घर चार मंजिला है और केशरवानी परिवार के लिए पर्याप्त है। योगेश बताते हैं कि घर का निर्माण पेड़ के विकास को ध्यान में रखकर किया गया है। सब जानते हैं कि पीपल का पेड़ कितना ज्यादा फैलता है, इसलिए पहले ही सभी दीवारों में से टहनियों के बाहर निकलने की व्यवस्था की गयी। वह भी ऐसे कि अगर टहनियां कभी आकार में या मोटाई में बढ़े तो न घर को और न ही पेड़ को कोई नुकसान हो। 

“आप अगर आकर देखेंगे तो एक बार आपको अचरज लगेगा कि ऐसा कैसे हो सकता है। लेकिन रहते-रहते आपको अंदाजा भी नहीं होगा कि आपके कमरे से कोई पेड़ की टहनी गुजरती है। क्योंकि घर की डिजाइनिंग ही ऐसी है,” उन्होंने कहा। 

घर के अंदर और छत से निकलती हैं पीपल की टहनियां

छात्रों से लेकर NRI तक, सब आते हैं देखने 

नीलू बताती हैं, “शादी से पहले इस घर की बहुत चर्चा मैंने सुनी थी और हैरानी भी होती थी कि यह वाकई सच है कि पेड़ के ऊपर ही घर बना दिया है। लेकिन जब मैं यहां आई और खुद देखा तो बहुत ही आश्चर्य हुआ। लेकिन फिर रहते-रहते इस पेड़ से मुझे भी प्यार हो गया। अब बहुत ही ख़ुशी होती है कि मैं इस तरह की किसी चीज का हिस्सा हूँ।” हालांकि, बहुत से लोगों ने योगेश के पिता को कहा कि घर में पीपल का पेड़ शुभ नहीं होता है, आपको बाद में परेशानी होगी। लेकिन वह अपने फैसले पर अडिग रहे और यह कमाल कर गए। 

योगेश कहते हैं, “पीपल का पेड़ 24 घंटे ऑक्सीजन देता है। साथ ही, यह खूब घना फैलता हो इसकी छांव भी काफी होती है और अपने आसपास के वातावरण को शुद्ध व ठंडा रखता है। हमारे घर का तापमान बाहर के तापमान से हमेशा कम ही रहता है। इसलिए हमें गर्मियों में भी बहुत ही कम एसी चलाने की जरूरत पड़ती है।” उन्होंने बताया कि इस घर का निर्माण साल 1993 में पूरा हुआ था और इसके बाद यह लोगों के बीच एक कौतुहल का विषय बन गया। योगेश कहते हैं कि पहले बहुत से सिविल इंजीनियरिंग छात्र भी उनके घर के दौरे पर आते थे। 

इसके अलावा, दूसरी जगहों से भी लोग उनका घर देखने आते हैं। वह कहते हैं कि बहुत से लोग तो अपनी शादी की वीडियो में भी उनके घर की क्लिप डलवाते हैं। केशरवानी परिवार सभी का पूरे दिल से स्वागत करता है। उन्हें ख़ुशी मिलती है कि उनका घर दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा बन रहा है कि अपनी सुविधा के लिए प्रकृति को नुकसान पहुँचाना जरुरी नहीं है। आप प्रकृति के साथ संतुलन में भी रह सकते हैं। 

लगाए हैं और भी पेड़-पौधे 

“हमारे घर में लगे इस एक पेड़ की बदौलत हमारा प्रकृति से हमेशा जुड़ाव रहा है। अपने पारिवारिक व्यवसाय के साथ-साथ हम जैविक खेती से भी जुड़े हुए हैं। अपने घर के लिए साग-सब्जियां और फल हम खुद ही उगाते हैं। हमारे बाग में लगभग 50-60 फलों के पेड़ हैं, जिनमें जामुन, पपीता, आम आदि शामिल हैं। ये सभी पौधे हमने अपने पिताजी के साथ लगाए थे और आज हम इनके फल खा रहे हैं। इससे ज्यादा खुशी की बात और क्या होगी,” उन्होंने कहा। 

इसके अलावा, वह अपने बगीचे में पौधों की नर्सरी भी तैयार करते हैं ताकि किसी को वृक्षारोपण के लिए पौधे चाहिए तो उनसे निःशुल्क ले जा सकते हैं। वे कहते हैं, “हिन्दू पुराणों में मान्यता है कि पीपल के पेड़ में ईश्वर का वास होता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि इस पेड़ की वजह से ही हमारा परिवार खुशहाल है और प्रगति कर रहा है। हम सब समाज के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।” 

अगर आप जबलपुर में हैं और इस अनोखे घर को देखना चाहते हैं तो किसी से भी इसके बारे में पूछकर जा सकते हैं। केशरवानी परिवार हमेशा लोगों के स्वागत के लिए तैयार रहता है। 

यकीनन, यह परिवार और यह घर हम सबके लिए एक प्रेरणा है और अब हम सबको सोचना चाहिए कैसे बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए हम अपना जीवन जी सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

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