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संकट की घड़ी में नहीं छोड़ा कर्तव्य, चीन में रूक कर इलाज कर रहा है यह भारतीय डॉक्टर

से समय में जब, पूरी दुनिया में लोग कोविड-19 जैसे खतरनाक वायरस से बचने के लिए खुद को अपने-अपने घरों में बंद कर रहे है, एक कम्युनिटी है जो आपार सम्मान का हक़दार है। ये है ‘मेडिकल कम्युनिटी’, जो वायरस से निपटने के लिए दिन-रात काम कर रहा है। दुनिया भर में, डॉक्टर अपनी जान की परवाह किए बगैर, मानवजाति को इस खतरनाक वायरस से बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

ऐसे ही सेवा और समर्पण की एक मिसाल हैं, डॉ. अमीष व्यास। अपनी जान की फिक्र किए बिना, डॉ. व्यास लगातार चीन में कोरोनो वायरस से प्रभावित इलाका, हांगझाऊ में मरीज़ों का इलाज कर रहे हैं। डॉ. अमीष व्यास भारत के मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। उनके स्वास्थ्य को लेकर उनकी मां और परिवार परेशान है लेकिन संकट की इस घड़ी में वह जी-जान से अपने कर्तव्य के पालन में लगे हुए हैं।

Dr. Amish Vyas

द बेटर इंडिया (TBI) से बात करते हुए, उनकी बहन पारुल व्यास ने अपने भाई के दृढ़ संकल्प और उदारता के बारे में बताया जो चिकित्सा कर्तव्यों से भी ऊपर है। डॉ. व्यास ना केवल लाखों लोगों का इलाज कर रहे हैं बल्कि ज़रूरतमंदों के साथ अपना खाना भी बाँट रहे हैं।

हमसे बात करते हुए पारुल ने बताया, ” हम मध्य प्रदेश के रतलाम में पैदा हुए और यहीं बड़े हुए। मेरा भाई अमीश मेडिसिन की डिग्री हासिल करने के लिए साल 2007 में चीन के हांगझोऊ शहर गया। उसने वहां अपनी मास्टर्स और पीएचडी की पढ़ाई पूरी की और एक प्लास्टिक सर्जन की विशेषज्ञता हासिल की। बाद में, उसने चीन में ही बसने का फैसला किया। अब वह अपनी पत्नी, बेटी और सास के साथ हांगझोऊ में रहता है।”

2019 के अंत में, जब चीन का वुहान प्रांत कोरोना वायरस प्रकोप के केंद्र के रूप में उभरा, तो पूरा प्रांत तुरंत एक आपातकालीन लॉकडाउन में चला गया। धीरे-धीरे वायरस वुहान के पड़ोसी प्रांतों में फैलना शुरू हो गया और हज़ारो लोग इससे संक्रमित हो गए।

पारुल बतातीं हैं, “वह कोरोना वायरस से प्रभावित क्षेत्र वुहान में सेवा करना चाहता था। वुहान से हांगझाऊ की अच्छी-खासी दूरी (757 किमी) है, लेकिन जैसे ही मेरे भाई ने संकट के बारे में सुना, तो वह मदद करने के लिए बेताब हो गया।”

दरअसल, अमीष इस ज़रूरत के समय वुहान पहुंच कर अपने साथी डॉक्टरों व मेडिकल कर्मचारियों की मदद करना चाहता था। लेकिन मेडिकल कॉलेज में उनके वरिष्ठों ने उन्हें यह खतरनाक कदम उठाने से मना किया। इसी बीच, हांगझाऊ में भी वायरस तेज़ी से फैल गया। डॉ. अमीष और उनकी डॉक्टर पत्नी, दोनों ने फौरन चिकित्सा संस्थान में बनाए गए क्वारंटीन कैंप में सेवा करने का फैसला लिया। तब से वे दोनों वहां लगातार काम कर रहे हैं।

Dr. Amish Vyas in Hangzhou

कर्तव्य से कहीं ज़्यादा

अपने काम और कर्तव्य के प्रति अमीष इतने ज़्यादा समर्पित हैं कि कैंप में सेफ्टी मास्क की कमी होने पर उन्होंने अपने कपड़ों से मास्क बना लिया। एक अनुभवी डॉक्टर होने के नाते, वह अच्छी तरह जानते थे कि खुद को कैसे सुरक्षित रखना है। खुद का ख्याल रखते हुए, दूसरों की जान बचाने के लिए उन्होंने दिन-रात, लगातार, बिना सोए काम किया।

पारुल बताती हैं, “उन्होंने न केवल इलाज के माध्यम से लोगों की जान बचाई, बल्कि उन्होंने जरूरतमंद लोगों के साथ अपना भोजन भी बांटा। शहर में लॉकडाउन होने के कारण, हर दो दिन पर प्रत्येक परिवार से केवल एक व्यक्ति को बाहर जाने की अनुमति थी। बाहर जाते समय काफी ज़्यादा सावधानियां बरतनी पड़ती थी। इस संकट के समय अमीष अपना राशन भी जरूरतमंदों के साथ बांटने से पीछे नहीं हटे।”

इन सबके बीच, रतलाम में डॉ. अमीष की माँ को जबसे से चीन में फैल रही महामारी के बारे में पता चला है, वह अपने बेटे की सलामती को लेकर बेहद परेशान हैं। हर समय उनका मन डर और आशंकाओं से घिरा रहता है।

पारुल गर्व से बताती हैं, “ माँ अक्सर भाई को परिवार के साथ रतलाम आ कर रहने की बात कहतीं हैं। लेकिन मेरा भाई इस संकट के समय वहां रह कर लोगों की सेवा करने के संकल्प पर अड़ा है।”

अभी तक कोई नये मामले की पुष्टि नहीं

उनका परिवार फोन और वीडियो कॉल के जरिए उनके साथ नियमित संपर्क में है और डॉ. अमीष ने उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर आश्वस्त किया है।

“हाल ही में, उन्होंने खुशी से हमें सूचित किया कि इलाज किए गए किसी भी मामले में किसी भी प्रकार की रिलैप्स के लक्षण दिखाई नहीं दिए हैं और ज्यादातर मामलों को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया गया है। अब ना के बराबर नए मामले सामने आ रहे हैं।” – पारुल

हांगझाऊ से लॉकडाउन एक हफ्ते पहले हटा ली गई थी और स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। लेकिन, दुनिया भर में, अमीष व्यास जैसे समर्पित डॉक्टरों के लिए संघर्ष अब भी जारी है। विश्व भर के अपने समकक्षों से डॉ. अमीष शांत रहने और जीवन बचाते रहने की अपील कर रहें हैं।

मूल लेख – सयंतनी नाथ
संपादन – अर्चना गुप्ता


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