Site icon The Better India – Hindi

Gucci की तरह, क्या हम भारतीय भी अपना देसी कुर्ता 2.5 लाख रुपये में नहीं बेच सकते?

Gucci

क्या आपको, Gwen Stefani का 90 के दशक में आया एक म्यूजिक वीडियो No Doubt – Don’t Speak याद है। जहां उन्होंने सफेद पोल्का डॉट्स वाली एक नीली ड्रेस पहनी थी और माथे पर एक छोटी लाल बिंदी भी लगाई थी। उस समय एक वेस्टर्न ड्रेस के साथ बिंदी पहनना, कई लोगों को अजीब लगा होगा। लेकिन वह वेस्टर्न ट्रेंड का शुरुआती दौर था। 

Gwen Stefani के एल्बम रिलीज़ होने के दो साल बाद, 1997 में शिकागो ट्रिब्यून में ‘बिंदी’ को नया फैशन बताया गया था। उन्होंने बताया था कि किस तरह  मशहूर पॉप आइकन माइकल जैक्सन जैसी और हस्तियां, बिंदी के ट्रैंड को अपना रहे हैं। उस समय, अपने मनपसंद स्टार को ऐसा करता देख, अमेरिका के कई युवा भी बिंदी लगाने लगे थे। बिंदी लगाने का चलन इतना बढ़ गया था कि वहां की दुकानों में 12 बिंदी के 1 पैक के लिए लोग 10$ यानी 700 रुपये तक देने को तैयार थे। 

पॉप गायिका मैडोना भी 1998 के एमटीवी म्यूजिक वीडियो अवार्ड के दौरान, एक काले रंग की ड्रेस के साथ बिंदी और मेंहदी का टैटू लगाकर पहुंची थीं।

20वीं सदी की शुरुआत तक बिंदी का फैशन  Jessica Simpson, Natalie Portman, Miley Cyrus और Selena Gomez जैसी हॉलीवुड हस्तियों के बीच भी छाया रहा। 

वेस्टर्न म्यूजिक के मशहूर कलाकारों की वजह से, भारतीय बिंदी को दुनियाभर में काफी प्रसिद्धि मिली। बिंदी को भारत में आमतौर पर साड़ी या सलवार-कमीज़ के साथ ही पहना जाता था। लेकिन हॉलीवुड में इन कलाकारों ने बिंदी को वेस्टर्न ड्रेस के साथ पहनकर एक अलग ही ट्रेंड शुरू किया था। इस ट्रैंड का सीधा असर बिंदी की कीमत पर पड़ा, आज भी US की अमेज़न वेबसाइट पर एक पैक बिंदी की कीमत करीबन 600 रुपये है। 

ठीक उसी तरह, हाल ही में जब एक Twitter User ने इटेलियन लक्जरी फैशन ब्रांड Gucci की 2.5 लाख रुपये वाली ‘फ्लोरल एम्ब्रायडरी ऑर्गेनिक काफ्तान’ की फोटो उसकी कीमत के साथ पोस्ट की, तो कई लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ।  क्या भारतीय मूल की इन रोज़मर्रा की चीज़ों के लिए पश्चिमी देशों के खरीददार इतना ज्यादा खर्च कर सकते हैं?

Gucci के इस कढ़ाईदार कुर्ते को ‘आइवरी इको सोलराइज़्ड ऑर्गेनिक लाइनेन’ से बनाया गया है। ट्विटर पर कई लोगों ने यह दावा किया है कि यह काफ्ताननुमा कुर्ता, उनके शहर के शॉपिंग मॉल में मात्र 500 रुपये का मिल रहा है। 

जब लुंगी और पगड़ी बना फैशन 

1968 में रॉक बैंड The Beatles का ग्रुप ऋषिकेश में योगी महर्षि के आश्रम में आया था, जिसके बाद Mia Farrow, Steve Jobs और The Beach Boys जैसी हॉलीवुड की कई और हस्तियां भी भारत आईं। भारतीय लोगों की तरह ही, इस आश्रम में कई विदेशी लोग भी दिखने लगे। कुछ यहां योग सीखने आते और सफेद भारतीय कुर्ते और माला पहने दिखाई देते थे। 

बहुत कम ही लोग जानते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता में भी कुर्ते का उल्लेख मिलता है।  दिव्यांशी शारदा ने अपने एक लेख (पारंपरिक भारतीय सलवार कुर्ता का ऐतिहासिक विश्लेषण: प्राचीनकाल से वर्तमान तक) में लिखा है, “पूर्व-मौर्य युग के दौरान चौथी-पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में एक कांसे के दर्पण की खोज की गई थी, जिसमें महिलाओं को एक तंग-फिटिंग वाली चोली या कमर तक की लंबाई वाला ब्लाउज पहने हुए चित्रित किया गया है, जो एक तरह की कुर्ती ही है।” 

वह आगे लिखती हैं, “तीसरी शताब्दी के ईसा पूर्व में ओडिशा के उदयगिरी और खंडगिरी गुफाओं में एक योद्धा की मूर्ति मिली थी। उस मूर्ति में उन्होंने भी अचकन या पुराने स्टाइल का अंगरखा (घुटने की लंबाई या टखने की लंबाई वाला लंबा कुर्ता, बिना कटा हुआ) पहना हुआ था।”

पहले के ज़माने में जो कुर्ता, कभी युद्ध में जानेवाले पुरुष पहना करते थे, आज वह उत्तरी राज्यों में एक आम पारंपरिक वस्त्र बन गया है। कई भारतीय, गर्मियों में इस तरह के कुर्ते पहनते हैं। 

लेकिन यह पहली बार नहीं है, जब इस लक्जरी ब्रांड ने हमारे सांस्कृतिक परिधान को इस्तेमाल किया है। इसके पहले भी Gucci को, 2018 में सिख समुदाय के विरोध का सामना करना पड़ा था, सिखों का कहना था कि उनकी पगड़ी “केवल फैशन एक्सेसरी (sic) नहीं थी।”

सिखों की पगड़ी को इस ब्रांड ने शुरू में ‘इंडी टर्बन’ के रूप में प्रदर्शित किया था और बाद में इसे ‘इंडी फुल हेड रैप’ के नाम से  790 US डॉलर यानी  लगभग 56,000 रुपये में बेचा भी था।

2018 में, फास्ट फैशन स्पैनिश ब्रांड ज़ारा (Zara) ने तक़रीबन 7,210 रुपये में एक ‘चेक्ड स्कर्ट’ बेची थी, जो बिल्कुल भारतीय लुंगी के जैसी थी।

कुछ लोगों का कहना है कि Gucci के नाम के कारण, कुर्ते की कीमत इतनी ज्यादा है। वहीं कुछ लोगों को इस बात से आपत्ति है कि ये बड़े ब्रांड भारतीय पारंपरिक परिधानों का इस्तेमाल करते हैं। ध्यान देनेवाली बात तो यह है कि बिल्कुल ऐसे ब्रांडेड कपड़ो जैसे ही दिखनेवाले कपड़े, दिल्ली के सरोजनी मार्केट या मुंबई के फैशन स्ट्रीट में दर्जियों द्वारा सीलकर कई गुना कम कीमत में बेचे जाते हैं। 

हो सकता है, आनेवाले दिनों में हममें से कोई इस तरह के ‘ऑर्गेनिक काफ्तान’ बनाना शुरू कर दे और उसे इन पश्चिमी देशों में एक बड़ी कीमत के साथ बेचने भी लगे।

मूल लेख- योशिता राव

संपादनः अर्चना दुबे

यह भी पढ़ें: Induben Khakhrawala: घर चलाने के लिए बनाने लगी थीं खाखरा, 60 साल में बन गया मशहूर ब्रांड

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Exit mobile version