4 अगस्त को कश्मीर के श्रीनगर से 125 कोलीमेटर दूर बांदीपोरा ज़िले में एलओसी पर हुए एनकाउंटर में शहीद होने वाले चार भारतीय सैनिकों में से एक, 29 वर्षीय मेजर कौस्तुभ राणे भी थे।
मुंबई के मीरा रोड के रहने वाले राणे को इसी साल जनवरी में मेजर की पोस्ट पर पदोन्नति मिली थी। मेजर राणे अपने माता-पिता, प्रकाश राणे व ज्योति राणे के इकलौते बेटे थे। मेजर कौस्तुभ राणे 36 राष्ट्रीय राइफल्स का हिस्सा थे। वे अपने पीछे अपनी पत्नी कनिका और ढाई साल के बेटे अगत्सय को छोड़ गए हैं।
कौस्तुभ को हमेशा से भारतीय सेना में शामिल होना था। दुःख की इस घड़ी में भी मेजर कौस्तुभ के पिता प्रकाश राणे ने कहा, “मेरा बेटा देश के काम आया है। वह बहादुरी दिखाकर शहीद हुआ।”
दरअसल, 4 अगस्त को लगभग 8 घुसपैठिये भारतीय सीमा में आने की कोशिश कर रहे थे। उनके पास हथियार भी थे। मेजर राणे और उनके तीन साथियों ने उन्हें रोकने की कोशिश करते हुए गोलीबारी शुरू की। लेकिन घुसपैठियों ने भी गोलियां बरसाना शुरू कर दिया। मेजर राणे और उनके बाकी तीन साथी सिपाहियों ने शहीद होने से पहले 2 आंतकवादियों को मार गिराया। पर बाकी छह आंतकवादी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भागने में सफल रहे।
कल दोपहर, तिरंगे में लिपटा हुआ मेजर राणे का शव उनके घर पहुंचा। जिसके बाद उनके अंतिम संस्कार में हज़ारों की संख्या में लोग शामिल हुए। उनके सम्मान में मीरा रोड पर फूलों की वर्षा की गयी। सभी लोग भारत माँ के इस बेटे की बस एक झलक देखना चाहते थे। ‘वन्दे मातरम’, ‘भारत माता की जय’ और ‘मेजर कौस्तुभ अमर रहे’ नारों के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी।
उत्तर कश्मीर के गुरेज सेक्टर में आतंकवादियों से लड़ते हुए मेजर कौस्तुभ के साथ ही तीन सिपाही मनदीप सिंह रावत, हमीर सिंह और विक्रम जीत भी शहीद हुए।