अक्सर हम सब अपनी ज़िंदगी पहले से प्लान करने लगते हैं। इस कॉलेज से ये कोर्स करेंगें, मास्टर्स के लिए बाहर जायेंगें, और फिर इतने लाखों का पैकेज मिलेगा, और भी न जाने क्या-क्या। पर ज़रूरी नहीं कि हमने ज़िंदगी के लिए जो प्लान किया है वही हो। बहुत बार हमारी सारी प्लानिंग फेल हो जाती है और हम बिल्कुल ही एक नए रास्ते पर खड़े होते हैं।
फिर या तो हार मानकर आप उसी रास्ते पर खड़े रह सकते हैं या फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए फिर एक नई मंजिल तलाश सकते हैं। ऐसा ही कुछ दो साल पहले उत्तर-प्रदेश के लखनऊ में रहने वाले शुभम चंद के साथ हुआ। साल 2017 में उन्होंने मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की और इसमें गोल्ड मेडलिस्ट रहे।
उन्हें यकीन था कि उन्हें ज़रूर किसी अच्छी कम्पनी में जॉब मिल जाएगी और फिर कुछ समय बाद वे अपनी आगे की पढ़ाई के लिए बाहर चले जायेंगें। इसके लिए उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी थी। पर 2016 में हुई नोटबंदी का असर उनके कॉलेज की प्लेसमेंट पर भी पड़ा। बहुत-सी अच्छी कंपनी उस साल हायरिंग के लिए आई ही नहीं। वैसे तो शुभम को विप्रो कंपनी में नौकरी मिल गयी, पर ये वो जगह नहीं थी जहां वे काम करना चाहते थे।
इसके अलावा बाहर जाकर पढ़ने का अपना सपना भी कुछ पारिवारिक हालातों के चलते उन्हें बीच में ही छोड़ना पड़ा। यह समय उनके लिए मुश्किल था, पर उन्होंने हार मानने की बजाय खुद अपना रास्ता बनाने की ठानी। अपने संघर्ष और अपनी सफलता की कहानी द बेटर इंडिया के साथ साझा करते हुए शुभम ने कहा,
“जून 2017 तक मेरी ग्रेजुएशन पूरी हो गयी थी और मुझे तय करना था कि अब आगे क्या करना है? पापा ने खुद हमेशा प्राइवेट सेक्टर में बहुत मेहनत की तो उनके मन में यही था कि मैं कोई सरकारी नौकरी करूँ। वो तो चाहते थे कि मैं सिविल सर्विस के लिए ट्राई करूँ, लेकिन मैं इसके लिए तैयार नहीं था। इसलिए मैंने ऐसे किसी सेक्टर में जाने की सोची जहां मेहनत भले ही पूरी हो, लेकिन समय ज़्यादा न जाये।”
पहले अटेम्पट से सीखा सबक
उन्हें बैंकिंग सेक्टर में यह संभावना दिखी क्योंकि उनका मानना है कि बैंक पीओ की परीक्षा आप कुछ महीने सही दिशा में मेहनत करके पास कर सकते हैं। इसलिए शुभम ने अगस्त 2017 में होने वाले रीजनल रूरल बैंक पीओ (RRB PO) की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने सेल्फ-स्टडी और ऑनलाइन स्टडी की। शुभम बताते हैं कि पहली बार जब कोई बैंकिंग सेक्टर की परीक्षा में सवाल देखता है तो लगता है कि यह कोई भी कर सकता है।
“मैंने आसानी से प्रीलम्स पास कर लिया था और मुझे लगा था कि ये तो आसान है। पर जब मैन्स का पेपर आया तो पता चला कि बैंकिंग की परीक्षा का स्तर काफ़ी ऊँचा होता है और बिना सही मेहनत और पढ़ाई के आप इसे क्रैक नहीं कर सकते। भले ही उस समय मेरा मैन्स क्लियर नहीं हुआ लेकिन मुझे समझ में आ गया कि मुझे किस सिस्टेमेटिक ढंग से पढ़ाई करनी है।”
इस परीक्षा की असफलता ने शुभम को काफ़ी कुछ सिखाया और उन्होंने इसे अपने आगे की तैयारी के लिए अनुभव के तौर पर लिया। इसके बाद उन्होंने IBPS PO की तैयारी शुरू की। इस परीक्षा के लिए उन्होंने बहुत गंभीरता से पढ़ाई की। सबसे पहले पूरा सिलेबस- इंग्लिश, जीके, रीजनिंग और क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड को अच्छे से पढ़ा और फिर मॉक टेस्ट सीरीज पर भी पूरा फोकस किया।
उन्होंने आईबीपीएस का प्रीलिम्स भी पास कर लिया था। उनका मनोबल काफ़ी ज़्यादा था और उन्हें पूरा विश्वास था कि वे मैन्स भी अच्छे से पास कर लेंगें। उन्होंने अपना पूरा फोकस सिर्फ़ पढ़ाई पर रखा।
कैसे की पढ़ाई?
अपनी तैयारी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि बैंकिंग की परीक्षा के लिए आपको साल-दो साल तक लगे रहने की ज़रूरत नहीं होती है। यदि आप 5-6 महीने भी ईमानदारी से सही दिशा में मेहनत करें तो आप बैंक पीओ पास कर सकते हैं क्योंकि इसका सिलेबस सीमित होता है। बस आपको बहुत ही स्मार्ट और व्यवस्थित ढंग से पढ़ाई करनी है।
अपने रूटीन के बारे में उन्होंने बताया कि उन्हें जल्दी उठने की आदत थी तो वे सुबह एक दम तरोताज़ा दिमाग से वह विषय पढ़ते थे जिन्हें उन्हें याद रखने की ज़रूरत है जैसे कि जीके, इंग्लिश आय फिर शब्दावली (वोकेब्लरी)
बाकी पढ़ाई के लिए उन्होंने सेल्फ़-स्टडी पर ही ध्यान केन्द्रित किया। वैसे भी यह व्यक्तिगत सोच है कि किसी को कोचिंग क्लास में सही से समझ में आता है या फिर कोई ऑनलाइन स्टडी को ज़्यादा इम्पैक्ट वाला समझता है। आप कैसे भी पढ़ाई करने, बस आपका ध्यान अपने लक्ष्य पर होना चाहिए।
शुभम ने ऑनलाइन लेक्चर, टेस्ट सीरीज और प्रैक्टिस टेस्ट्स से ही अपनी तैयारी की। तैयारी के लिए अपने ऑनलाइन साधनों की लिस्ट भी उन्होंने बतायी- टेस्टबुक, ऑलिवबोर्ड, ग्रेडअप, बैंकर्स अड्डा, प्रैक्टिस मॉक!
इन ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर आपको सभी बैंकिंग परीक्षाओं का सिलेबस अच्छे से मिल जायेगा। साथ ही, तैयारी के लिए पर्याप्त मटेरियल भी यहाँ उपलब्ध है। इसके अलावा, ऑनलाइन लेक्चर के लिए शुभम ‘मेरिटशाइन युट्यूब चैनल‘ का सुझाव देते हैं।
बीमारी के चलते मिली पहली असफलता
शुभम की तैयारी बहुत ही अच्छी चल रही थी। उन्हें लग रहा था कि इस बार वे यह परीक्षा पास करके अपने लिए अच्छी नौकरी पा लेंगें। पर कहते हैं ना आपके हाथ में सिर्फ़ मेहनत होती है बाकी कुछ चीज़ें किस्मत तय करती है। और शुभम के साथ भी किस्मत ने यही किया। उन्हें अपनी परीक्षा से 20 दिन पहले डेंगू बुखार हो गया।
हम सब जानते हैं कि आज भले ही भारत में डेंगू बुखार का इलाज उपलब्ध है पर फिर भी इस बीमारी से उबरने में लोगों को महीने लग जाते हैं। शुभम भी इतनी जल्दी इससे बाहर नहीं आ सके और उनकी पढ़ाई पर एक ब्रेक लग गया। इस बीमारी ने उन्हें न सिर्फ़ शारीरिक तौर पर, बल्कि मासिक तौर पर भी दुःख पहुँचाया क्योंकि उन्हें अपनी इतनी मेहनत जाया नज़र आई।
फिर भी शुभम परीक्षा में बैठे और उन्होंने परीक्षा पास भी कर ली। लेकिन उनके इतने अच्छे नंबर नहीं आये कि वे फाइनल लिस्ट में अपनी जगह बना सकें।
अपनी इस नाकामयाबी से शुभम दुखी तो थे, लेकिन उन्हें यह बात भी समझ में आ रही थी कि उन्होंने अपनी मेहनत में कोई कमी नहीं छोड़ी है और जब वे यहाँ तक पहुँच सकते हैं तो आगे भी अच्छा कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी।
परीक्षा पास करके भी नहीं मिली जॉइनिंग
दिसंबर-2017 में उन्होंने RBI बैंक की असिस्टेंट पद की परीक्षा दी। पिछले छह महीनों में उनकी तैयारी हर दिन अच्छी ही हुई थी इसलिए उन्होंने यह परीक्षा आसानी से पास कर ली। उत्तर-प्रदेश से इस पद के लिए सिर्फ़ 22 खाली जगह थीं, इसलिए कम्पटीशन बहुत ज़्यादा था। पर फिर भी शुभम ने पूरे राज्य में सबसे ज़्यादा अंको के साथ इस परीक्षा को उत्तीर्ण किया।
इस सफलता ने न सिर्फ़ उन्हें बल्कि उनके माता-पिता को भी निश्चिन्त कर दिया कि अब उनकी नौकरी पक्की हो गयी है। कोई ज़्यादा फिक्रमंद होने की ज़रूरत नहीं है। लेकिन इस सफलता की ख़ुशी भी वे ठीक से मना नहीं पाए थे कि एक बार फिर किस्मत ने उनका साथ छोड़ दिया।
शुभम ने बताया कि इस परीक्षा पर कुछ कारणों के चलते एक कोर्ट केस हो गया और इस वजह से जॉइनिंग रोक दी गयी। “उस वक़्त मुझे लगा कि मेरी ही किस्मत इतनी बुरी क्यों है? क्यों मुझे मेरी मेहनत का नतीजा नहीं मिल रहा है? सबसे ज़्यादा निराशाजनक था कि ये सब बातें मेरे बस में ही नहीं थी कि मैं इसके बारे में कुछ कर पाता। इसलिए बस एक ही तसल्ली थी कि मेरे जैसे और भी बहुत से लोग हैं बस हम उनसे मिलते नहीं और उनकी कहानी नहीं जानते,” शुभम ने कहा।
प्राइवेट जॉब के साथ फिर से की तैयारी
मार्च 2018 में उन्होंने फिर एक फ़ैसला किया और सोचा कि कोर्ट केस जब भी खत्म हो, लेकिन मेरी नौकरी तो यहाँ सुरक्षित है। इसलिए जब तक कोर्ट केस चल रहा है तब तक प्राइवेट सेक्टर में ही कुछ ज्वाइन कर लेते हैं। क्योंकि लगभग 1 साल से घर बैठे रहने उन्हें भी खलने लगा था। इसलिए उन्होंने अक्सेंचर (Accenture) कंपनी में अप्लाई किया और उन्हें उनके बंगलुरु ऑफिस में जॉब मिल गयी।
जब वे बंगलुरु शिफ्ट हुए, उसी दौरान SBI PO 2018 का नोटिफिकेशन जारी हुआ। शुभम ने बिना ज़्यादा सोच-विचार किये फॉर्म भर दिया।
“जॉब के साथ तैयारी करना लोगों को अक्सर मुश्किल लगता है। लेकिन अगर आप दृढ़-निश्चय कर लो तो यह बिल्कुल भी मुश्किल नहीं। हाँ, आपको अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में छोटे-बड़े समझौते करने होंगें। जैसे कि मैं अपने ऑफिस वालों के किसी पार्टी प्लान या फिर ट्रिप प्लेन में शामिल नहीं होता था। वीकेंड और फ्री टाइम को पढ़ाई के लिए ही रखता था।”
शुभम ने अपना पूरा रूटीन बनाया हुआ था जिसे वे हर दिन पूरी ईमानदारी से निभाते भी थे। सुबह-शाम रूम से ऑफिस और ऑफिस से रूम आते-जाते समय उन्हें लगभग 1 घंटे का समय लगता था। ऐसे में, सुबह 1 घंटा वे जीके रिवाइज़ करते और शाम में आते समय इंग्लिश पढ़ते थे।
“जीके और इंग्लिश दो ऐसे विषय हैं जो आप रेग्युलर न पढ़ो तो आपके दिमाग से उतर जायेंगें। साथ ही, एग्जाम में यही दो विषय आपका परिणाम बदल सकते हैं। आप इन दो विषयों पर अपनी पकड़ रखें और इनमें बिना किसी गलती के ज़्यादा से ज़्यादा नंबर लेने की कोशिश करें।”
शुभम आगे कहते हैं कि जीके के लिए आप StudyIQ, बैंकर्स अड्डा कैप्सूल और अफेयर्स क्लाउड फॉलो कर सकते हैं। इसके अलावा इंग्लिश के लिए दिन में जितना भी हो सके न्यूज़ आर्टिकल पढ़ें। क्योंकि उनके मुताबिक जीके का गुरुमंत्र है ‘रिवाइज़, रिवाइज़ एंड रिवाइज़’ और इंग्लिश का ‘रीड, रीड एंड रीड’!
रीजनिंग और क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड की रेग्युलर प्रैक्टिस उन्होंने अपने लंच टाइम में जारी रखी। इन दो विषयों के अच्छे सवालों के लिए उन्होंने ‘तरुण झा’ नामक एक शिक्षक का फेसबुक पेज का सुझाव दिया, जहां आपको प्रैक्टिस के लिए काफ़ी अच्छे प्रश्न मिल जायेंगें।
मॉक टेस्ट के लिए उन्होंने ऑलिवबोर्ड और प्रैक्टिस मॉक का सुझाव दिया। यहाँ से आप मैन्स के लिए हर 3-4 दिन में अगर एक टेस्ट भी देंगे और फिर उसकी समीक्षा करके अपनी कमियाँ सुधारेंगें, तो आप अपनी तैयारी को काफ़ी स्ट्रोंग कर पायेंगें।
शुभम ने अपनी लगातार मेहनत और तैयारी से प्री और मैन्स, दोनों ही परीक्षा पास कर ली। इसके बाद इंटरव्यू के लिए उन्होंने सबसे ज़्यादा करंट अफेयर्स पर फोकस रखा। SBI PO के साथ-साथ उन्होंने RRB-PO की परीक्षा भी पास कर ली थी। लेकिन उन्होंने SBI ज्वाइन किया।
आज वे एसबीआई बैंक की सुल्तानपुर ब्रांच में ट्रेनिंग पर हैं। शुभम सबके लिए बस एक ही संदेश देते हैं कि जब हम तैयारी करते हैं तो हर एक दिन कोसते हैं कि कब यह संघर्ष खत्म होगा। लेकिन यकीन मानिये तैयारी से सफलता तक का सफ़र बहुत खुबसुरत हो सकता है अगर आप सही दिशा में मेहनत करें तो। बस ज़िंदगी में खुद इतने आत्म-विश्वास और भरोसे के साथ आगे बढिए कि आपको भी और आपके अपनों को भी आप पर विश्वास रहे। चाहे हज़ार दिन बुरे हों लेकिन उम्मीद रखिये कि एक न एक दिन तो अच्छा होगा और बस वही एक दिन आपका होगा।