यह राष्ट्रीय आपदा का वक्त है। बिहार में बच्चे मर रहे हैं। मरते जा रहे हैं। एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस), जिसे यहां की स्थानीय भाषा में चमकी बुखार कहा जाता है, से अब तक सवा सौ से भी ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। और इससे भी कई गुणा बच्चे उत्तरी बिहार के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं। बिहार के तीन जिलों; मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय खास तौर से इस बीमारी की चपेट में हैं। मुजफ्फरपुर में हालत सबसे ज्यादा खराब है। अकेले इस जिले में ही सौ से ज्यादा बच्चे इस बीमारी से मर चुके हैं। डॉक्टरों की कमी है, एक ही बेड पर तीन-तीन बच्चों का इलाज करने के लिए उपस्थित डॉक्टर्स और नर्स मजबूर हैं। जरूरत से बहुत ही कम आईसीयू हैं।
हर रोज दर्जनों की संख्या में मरते बच्चे और बेसुध चीखते-रोते उनके मां-बापों की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहे हैं। देश भर से लोग अपनी सहानुभूति जता रहे हैं। हर कोई इन बच्चों की सलामती के लिए दुआ कर रहा है।
इसी बीच बिहार के पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक समूह उठ खड़ा हुआ। यह समूह गाँव-गाँव जाकर चमकी बुखार के प्रति जागरूकता फैला रहा है। साथ ही, क्राउडफंडिंग से इकट्ठा की गई राहत सामग्री और दवाएं भी बांट रहा है।
पटना में रहने वाले द बेटर इंडिया के पत्रकार पुष्यमित्र ने इस मुहिम के लिए यलगार बोला है।
उन्होंने बताया, “हमारा एक बड़ा सा वॉट्सएप ग्रुप है, जो हमने पिछली बार जब बिहार में बाढ़ आई थी, तब बनाया था। इसी ग्रुप पर हमने ने ये बात उठाई कि हमारे छोटे-छोटे प्रयासों से भी इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। चलिए कहीं से तो शुरुआत करते हैं। उसी ग्रुप से कुछ युवा साथियों ने एक टीम बना ली और फिर सोशल मीडिया के जरिए इस कैंपेन के बारे में जानकारी दी गई।”
इस युवा टीम के सदस्य सत्यम कुमार झा ने हमें बताया, “हमारी पाँच सदस्यीय टीम 18 जून से काम पर लगी है। मेरे अलावा ऋषिकेश शर्मा, सोमू आनंद, रोशन झा और विकास आदित्य इस टीम का हिस्सा हैं. सोशल मीडिया और वॉट्सऐप ग्रुप के जरिए महज 12 घंटों के अंदर हमारी टीम ने तकरीबन पौने दो लाख रुपए जुटा लिए हैं। इस क्राउडफंडिंग में हमारे बिहार से ताल्लुक रखने वाले दो पत्रकारों आनंद दत्त और भारती द्विवेदी से खासा सहयोग मिला है। अकेले आनंद भैया ने ही तकरीबन आधी क्राउड फंडिंग की है। और अब वे खुद भी यहाँ पहुंच गए हैं और मोर्चा संभाले हुए हैं। हमारे साथ आदित्य झा की लीड वाली MSU (मिथिला स्टूडेंट यूनियन) टीम भी जुड़ गई है। हमने डॉक्टर के परामर्श से दवाइयों की एक लिस्ट तैयार की है, जिसे सोशल मीडिया पर डाल दिया गया है। बहुत सारे लोग दिए गए पते पर ये दवाईयां भी पहुंचा रहे हैं। क्राउड फंडिंग के जरिये हमें बिहार, उत्तरप्रदेश, दिल्ली समेत देश के विभिन्न हिस्सों से सहायता पहुंच रही है।”
एमएसयू के को-ऑर्डिनेटर आदित्य झा ने बताया कि उनकी पाँच टीम मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर में काम कर रही है। विभिन्न टीमों वाली उनकी इस एकीकृत मुहिम को काफ़ी जनसहयोग मिल रहा है। बुजुर्गों के लिए काम करने वाली एक संस्था, हेल्पएज होम ने अलग-अलग हिस्सों से आ रहे वॉलंटियर्स के लिए रहने की व्यवस्था कर दी है। उनके कुछ साथी दरभंगा और मधुबनी जिलों में भिक्षाटन करके भी फंड इकट्ठा कर रहे हैं। समस्तीपुर में माया फाउंडेशन नाम की एक संस्था भी बच्चों को इस महामारी से बचाने के लिए इनके साथ आ खड़ी हुई है।
युवाओं की यह टीम, जिसमें ज्यादातर पत्रकार हैं, अब तक बीस से भी ज्यादा गांवों में पहुंच चुकी है।
यह टीम जनप्रतिनिधियों, सरकारी स्वास्थ्यकर्मियों, आशा कार्यकर्ताओं से भी सहयोग ले रही है, क्योंकि गांव वालों में इनकी पहुंच और पूछ ज्यादा है। इकट्ठा किए गए पैसों से थर्मामीटर, साफ पानी की बोतलें, पथ्य, बेबी-फूड, ग्लूकोज- ओआरएस घोल के पैकेट खरीदे गए हैं, जो घर-घर जाकर गाँव वालों तक पहुंचाए जा रहे हैं।
बिहार सामाजिक विकास मंच नाम के वॉट्सएप ग्रुप से शुरू हुआ यह कारवां आगे ही बढ़ता जा रहा है। हर बीतते घंटे के साथ वॉलंटियर, डॉक्टर्स, समाजसेवी इसके साथ जुड़ते जा रहे हैं। फंडिंग का एक हिस्सा पैम्पलेट छपवाने में लगाया जा रहा है। इन पैम्पलेट में चमकी बुखार के कारण और निदानों को समझाया गया है। ये पैम्पलेट्स भी ज्यादा से ज्यादा बांटे जा रहे हैं।
हमें कुछ गाँव वालों से भी बात करने का मौका मिला। छितरपट्टी, कांटी प्रखंड में नाथी नाम की महिला ने बताया कि ये लोग बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, ऐसा काम पहले से ही होना चाहिए था। गाँव की एक और महिला ने बताया कि स्कूल सब बंद है. इसलिए बच्चों को मिडडे मील मिलना भी बंद है। आंगनबाड़ी भी बंद है, छोटे बच्चों को भी पोषाहार नहीं मिल पा रहा है। एक बुजुर्ग ने बताया कि अंन्त्योदय योजना के तहत मिलने वाला अनाज हम तक नहीं पहुंच रहा।
इन युवाओं की टीम पल-पल का ब्यौरा सोशल मीडिया पर दे रही है. जुटाए गए फंड का इस्तेमाल पूरी पारदर्शिता से हो रहा है। लोगों को इस ईमानदार कोशिश पर भरपूर यकीन है। तभी इतने कम समय में इतनी सहायता राशि इकट्ठा हो गई। राहत सामग्री और दवाओं का कूरियर लगातार इनकी टीम तक पहुंच रहा है।
टीम के साथी रवि ने एक फेसबुक पोस्ट में अभी के हालातों और चुनौतियों के बारे में बताते हुए लिखा है, “इन सब के अलावा यह जानना भी जरूरी है कि हम क्या कर रहे हैं, या क्या कर सकते हैं:
1. जागरूकता की कमी एक बड़ी चुनौती है। गांवों में लोगों को इसके लक्षण और अन्य पहलुओं के बारे में बताना है। साथ ही उन्हें बुखार मापने का तरीका भी सिखाना है।
2. दो-तीन परिवारों के बीच एक थर्मोमीटर, सब लोगों के बीच ORS, बेबी फ़ूड सप्लीमेंट्स, ग्लूकोज इत्यादि का वितरण करना है, कुपोषण भी एक बड़ी वजह है।
3. SOP, यानी कि स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर, जिसे सरकार ने जारी किया है, इसमें आंगनवाड़ी सेविकाओं, आशा दीदियों, PHC या अन्य अस्पतालों के लिए कई अहम दिशा निर्देश दिए गए हैं, जिनके बारे में मरीज के परिवारों और खुद स्वास्थ्य कर्मियों को भी पूरी जानकारी नहीं है। इसका भी प्रसार करना है।
4. इन सब के अलावा जो भी बड़े अस्पताल हैं जहां मरीजों की भीड़ है, वहां बड़े लेवेल पर फ़ूड कैम्प लगाकर जो भी लोग रुके हैं, उनके लिए भोजन उपलब्ध करवाना है।
5. साथ ही जहाँ कहीं भी वाटर प्यूरिफिकेशन का सिस्टम खराब है या उपलब्ध नहीं है, उन सारी जगहों पर पीने के पानी की व्यवस्था ठीक करनी है।
अगर आप इस अभियान में किसी भी तरह की आर्थिक मदद करना चाहते हैं तो ये रही बैंक डीटेल:
AC- 00031140291318
Name ANAND KUMAR DUTTA
Ifsc code – HDFC0000003
Bank- HDFC
UPI ID: 9709555542@upi
पैसों से भी ज्यादा इस वक्त ज्यादा से ज्यादा वॉलंटियर्स की जरूरत है इस टीम को। चमकी बुखार का कहर बढ़ता जा रहा है और गाँव-गाँव जाकर जागरूकता अभियान चलाए जाने की जरूरत है। आप अगर वहां जाकर कुछ मदद कर सकते हैं, तो तुरंत निकल पड़िए।
इन मोबाइल नंबर्स पर संपर्क करिए, आनंद दत्त: 9709555542, सत्यम कुमार झा: 7042320464