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जानिये भारत की पहली महिला जासूस, रजनी पंडित के दिलचस्प किस्से !

भारत की पहली महिला जासूस के हिसाब से ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां महिलाये काम करे और सफल ना हो पांए। आइये जानते है एक महिला जासूस की दिलचस्प कहानियाँ और काम के दौरान उनके द्वारा निभाये गये विभिन्न भूमिकांओ के किस्से।

“मैं भारत की पहली महिला हूँ जो इस क्षेत्र में काम कर रही है। लोग हमेशा मुझे ताने देते थे, कहते थे मुझे कोई और काम नहीं मिलता इसलिये जासूसी का काम करना पढ रहा है। वो कहते थे ये काम महिला का नहीं है”, ५० वर्षीय रजनी पंडित कहती है।

मुंबई में रहने वाली रजनी भारत की पहली महिला जासूस है। जब रजनी ने १९९१ में ‘रजनी पंडित डिटेक्टिव सर्विसेस’ नामक एजेंसी की स्थापना की तब वो सिर्फ १९ साल की थी। आज इस एजेंसी में २० लोग काम करते है और अब तक उन्होंने ७५००० से भी ज्यादा मामले हल किये है। पुरुष-प्रधान क्षेत्र में महिला का काम करना आसान नहीं था। रजनी को बहुत सारी मुश्किलें झेलनी पड़ी, इतना ही नहीं उसे न्यूज़पेपर में विज्ञापन देने में भी दिक्कत आयी।

इतनी सारी मुश्किलों के बावजूद भी रजनी ने हिम्मत नहीं हारी। अपनी मेहनत और लगन के बलबूते पर वो एक सफल जासूस बनी और आज उनके ग्राहक सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी है।

रजनी बताती है, “मुझे किसी भी चीज का डर नहीं लगा। मुझे पता था कि लोग सिर्फ मौत से डरते है। मौत तो कभी भी आ सकती है, फिर उससे क्या डरना। आप की मौत पंखा गिरने से घर पे भी हो सकती है, इसलिये निडर होकर अपना काम करना चाहिये।”

कॉलेज के दिनों से रजनी को जासूस बनने में दिलचस्पी थी:“मुझे पता था कि ज़्यादातर घरों में कठिनाईया है और साथ साथ रहस्य भी छुपे है। मुश्किल ये है कि इन कठिनाईयों से निपटने के लिये उन्हें बाहरी मदद की जरुरत होती है। सबूत ना होने की वजह से उन्हें क्या करना चाहिये इसका उन्हें पता नहीं होता। इसलिये जासूस की मदद उन्हें लेनी पड़ती है।”

पहला केस उन्हें हर केस की तरह ऑफिस में बैठे बैठे नहीं मिला था। रजनी ने देखा कि कॉलेज की एक दोस्त का स्वभाव धीरे धीरे बदल रहा था। रजनी ने कुछ दिन उसके ऊपर नजर रखी और ये पता किया कि उनकी दोस्त गलत काम में उलझ गयी थी। कुछ लोग उसका नाजायज फायदा उठा रहे थे। रजनी ने दोस्त के अविभावको को इस सब के बारे में बता दिया और अपने दोस्त को सही राह पर लाने का प्रयास किया। इस वाकये के बाद उनकी उस दोस्त के पिता ने रजनी से पूछा कि क्या वो एक जासूस है। तब उन्हें अहसास हुआ कि उसमे जासूस बनने के सारे गुण है।

रजनी ठाणे के एक मध्यम वर्गीय परिवार में पली बढ़ी थी। उन्होंने रुपारेल कॉलेज से मराठी साहित्य में पढाई पूरी की। पढाई के बाद उन्होंने एक कंपनी में ३ महीने तक काम किया और उसके बाद खुद की एजेंसी की स्थापना की। उनके पिता ने शुरुआती दौर में  उनका साथ नहीं दिया पर उनकी माँ हमेशा उनका साथ देती थी।

वो कहती है, “पिताजी का कहना था कि ये क्षेत्र सिर्फ पुरुषों के लिये है। पर मेरी माँ को पता था कि मैं बचपन से ही बहुत जिद्दी हूँ इसलिये वो हमेशा कहती थी कि रजनी को जो अच्छा लगता है वो उसे करने दीजिये।”

रजनी हमेशा एक केस को याद करती है जिसमे उन्हें एक अनजान घर में ६ महीने के लिये घरेलु नौकर का काम करना पड़ा। लेकिन आखिरकार ख़ूनी पकड़ा गया।

रजनी बताती है ,“रिपोर्ट के अनुसार एक शादीशुदा महिला के विवाहबाह्य संबंध थे इसलिये उसने सुपारी देकर अपने पति का क़त्ल कर दिया। उसने बाद में अपने बेटे का भी क़त्ल कर दिया क्योकि उसे सब पता चल गया था। पुलिस को लगता था कि महिला के आशिक ने ये खून किया है पर उसका पता नहीं चल पा रहा था इसलिये उन्होंने मुझे इस केस पर काम करने के लिये कहा।”

रजनी उस संदिग्ध व्यक्ति पर नजर रखने लगी । पर आदमी उस घर में रात के समय आता था इसलिये उसे ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाती थी। तब रजनी ने ठान लिया कि किसी भी तरह से उसे उस व्यक्ति के घर में घुसकर जानकारी निकालनी पड़ेगी। उसने घरेलु काम करने वाली महिला से बात की और बताया कि उसे काम की बहुत जरुरत है। अगले दिन से उस व्यक्ति के घर रजनी ने काम करना शुरू कर दिया।

रजनी याद करते हुए कहती है, “एक दिन जब मैं उस घर में काम कर रही थी तब अचानक वो महिला बेहोश हो गयी। मैंने उसे दवाई दी और डॉक्टर को बुलाया। और मेरे काम से खुश होकर उसने मुझे केयरटेकर का काम दे दिया ।”

जब उस महिला का आशिक घर आया तब दोनों में अनबन हुयी और महिला ने कहा कि उनपर शायद नजर रखी जा रही है इसलिये वो घर ना आया करे। रजनी को पता था कि अगर वो आदमी आज भाग गया तो फिर कभी हाथ नहीं लगेगा। उस वक्त उसके पास मोबाइल फोन भी नहीं था इसलिये वो पुलिस को नहीं बता पायी। रजनी तुरंत किचन में गयी और चाकू ले आयी। उसने जान बुझकर चाकू उस आदमी के पैर पर गिराया। उस महिला ने रजनी से डॉक्टर को बुलाने के लिये कहा। रजनी ने तुरंत बाहर जाकर पुलिस को खबर दीऔर २० मिनट में उस आदमी गिरफ्तार कर लिया गया।

एक दुसरे केस में एक महिला बहुत परेशान थी क्योकी उसके गहने चोरी हो रहे थे। जबसे उसके ३ बेटों में से एक बेटे की शादी हुयी थी तब से ये सिलसिला शुरू हुआ था इसलिये उसे अपने बहू पर शक था। पर जब तक उसे इस बात की सच्चाई का पूरा पता ना चले तब तक उसने चुपचाप रहना पसंद किया।रजनी ने उसे मदद करने का वादा किया। रजनी ने घर पर नजर रखना शुरू किया और उसे पता चला कि उस महिला का ही एक बेटा गहनों की चोरी करता था और चुराये गये गहने अपने दोस्त के घर रखता था।

रजनी ने केस को हल करने के लिये अब तक बहुत सारे किरदार निभाये है जैसे घरेलु काम वाली महीला, अंधी महिला, गर्भवती महिला, फेरीवाली महिला इत्यादि। अपने केस का हल निकालने के लिये उसने हर तरह का प्रयास किया। बहुत सारे मामलो में एक बात समान थी कि जैसे पति-पत्नी में अविश्वास के कारण झगडा, विवाहबाह्य सम्बन्ध, शादी के पहले लड़का या लड़की के बारेमे जानकारी निकालना इत्यादी।

रजनी हँसकर कहती है “मैं हमेशा से लोगो के कठिन समय पर उनकी मदद करती हूँ, उन्हें हौसला देती हूँ और जिन्दगी में आगे बढने के लिये प्रोत्साहन देती हूँ। इस तरह से मैं एक प्रकार से समाजसेवा भी करती हूँ।”

रजनी कहती कि आजकल जासूस बनना आसान है क्यूंकि आजकल बेहतर रिकॉर्डर्स, बग्स, और स्पाई कैमरा जैसे अत्याधुनिक साहित्य आसानी से मिलते है।

रजनी कहती है, “अगर आप को कुछ हासिल करना है तो आपको मेहनत करके उसे पाना चाहिये। अगर कोई काम आपको अच्छा लगता है तो उसे उत्साह के साथ करना चाहिये। आत्मविश्वास, साहस और जिद्द से आप हमेशा आगे बढ़ सकते है। मैं मानती हूँ कि अगर महिला एक बार ठान ले तो वो कुछ भी कर सकती है।”

जासूस रजनी पंडित से आप rajanipanditpd7@gmail.com पर संपर्क कर सकते है।

मूल लेख तान्या सिंग द्वारा लिखित।

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