बेंगलुरू में रहने वाले 66 वर्षीय संपत एस एक रिटायर्ड बैंकर हैं। छह साल पहले, जब वह जक्कुर में अपना घर बना रहे थे, तो उन्होंने 40 हजार लीटर के एक भूमिगत पानी की टंकी बनाने का फैसला किया। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह टंकी बारिश के पानी से भरा हुआ है। इस पानी को वह फिल्टर कर इस्तेमाल करते हैं।
संपत ने द बेटर इंडिया को बताया, “इससे पहले, मैं आरटी नगर में रह रहा था, जहाँ कावेरी जल आपूर्ति की वजह से मेरी सभी जरूरतें पूरी हो जाती थी। लेकिन, जक्कुर में, ऐसी कोई सुविधा नहीं थी। ऐसी स्थिति में, बोरवेल की खुदाई करने या टैंकर से पानी खरीदने की जरूरत थी। लेकिन, हर दिन पानी खरीदना महंगा था और बोरिंग का पानी इस्तेमाल करने के लायक नहीं था, क्योंकि यहाँ भूमिगत जलस्तर 600 फीट से अधिक नीचे गिर गया है। इसलिए मैंने, घर में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए बारिश के पानी को संरक्षित करने का फैसला किया। लेकिन, इसे एक चुनौती के रूप में लेते हुए मैंने इसे खुद से बनाने का फैसला किया।”
शुरूआत में, उन्होंने पानी को फिल्टर करने के लिए व्यावसायिक रूप से उपलब्ध फिल्टरों को लगाया, जिसमें सेल्फ-क्लिनिंग गुण मौजूद थे। लेकिन, ये फिल्टर न सिर्फ महंगे थे, बल्कि इस प्रक्रिया में बहुत अधिक पानी बर्बाद होता था और संपत, इससे बिलकुल संतुष्ट नहीं थे। इसके बाद, उन्होंने सूती या नायलॉन के कपड़े से DIY फिल्टर तकनीक को अपनाया।
संपत कहते हैं, “इसे काफी रखरखाव की जरूरत होती थी, क्योंकि हर बार बारिश होने के बाद किसी को वहाँ उपस्थित रहना जरूरी था। क्योंकि, कपड़े पर पानी के साथ छत की काफी गंदगी जमा होती है। इसलिए, इसे हर 15-20 मिनट में साफ करना पड़ता था। कभी-कभी, यदि बारिश ज्यादा होती थी, तो दबाव की वजह से कपड़ा फट जाता था और गंदगी टैंक में चली जाती थी।”
लेकिन, पिछले साल, कई नए-नए प्रयोगों को आजमाने के बाद, उन्होंने इस समस्या का प्रभावी समाधान खोज निकाला। इससे उन्हें न सिर्फ घरेलू जरूरतों के लिए, बल्कि पीने योग्य पानी की उपलब्धता भी सुनिश्चित हुई।
DIY रेन वाटर हार्वेस्टिंग फिल्टर
एक प्रभावी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को विकसित करने के लिए, संपत ने इंटरनेट पर काफी रिसर्च किया और छत के पानी को फिल्टर करने की अवधारणाओं को समझा। इसके तहत, उन्होंने घर बनाने के दौरान इस्तेमाल में लाए गए पेंट के 20 लीटर के बाल्टियों और जालीदार तारों की मदद से एक फिल्टर सिस्टम को विकसित किया।
इसमें छत से पानी लाने के लिए पीवीसी जमीन से 6 फीट ऊपर होता है। संपत ने, यहाँ एक टी-पाइप को लगाया है, जिससे पानी का बहाव दो दिशाओं में होता है। इसमें, एक सॉक पिट की ओर जाती है, जो वर्षा के पहले 15 मिनट के दौरान फ्लश पानी को जमा करता है।
संपत कहते हैं, “यह एक मैनुअल प्रक्रिया है। इस फ्लश वाटर में गंदगी भी होती है, जो छत पर और पाइप में जमा हो जाती है। 15 या 20 मिनट के बाद, सॉक पिट का कोई इस्तेमाल नहीं होता और एक अन्य नल, फिल्टर सिस्टम की ओर खुल जाता है।”
वह आगे बताते हैं, “वहीं, दीवार पर 6 बाल्टियों को एल-एंगल स्टैंड के रूप में लगाया गया है। इसमें, बाल्टी में एक छेद बनाया गया है, जिसकी मदद से पीवीसी पाइप के जरिए छत से पानी लाई जाती है। यहाँ, एक एल्बो पाइप को लगाया गया है, जिससे पानी को निकाला जा सकता है।”
स्टेज 1 फिल्टरेशन
इसके लिए एक ही मात्रा की दो बाल्टी की जरूरत पड़ती है – एक पानी लाने के लिए और दूसरा एक आउटलेट बनाने के लिए।
संपत कहते हैं, “वर्षा जल को ले जाने वाला पाइप, आंशिक रूप से बाल्टी से जुड़ा हुआ है, ताकि पानी तेजी से अंदर गिर सके। इससे गंदगी किनारे लग जाती है। अंदर के बाल्टी के निचले हिस्से पर, चार छेद हैं, इसके आधार से 1 इंच ऊपर, परिधि पर एक स्लिट बनाया गया है, ताकि छकनी लगाया जा सके। बाहरी बाल्टी के तल पर, अगले चरण में, पीवीसी पाइप के जरिए पानी ले जाने के लिए एक गोलाकार आउलेट बनाया गया है।”
छकनी कैसे लगाएं?
इसके तहत छकनी को एक ऐसे आकार में काटा जाता है, जो बाल्टी की परिधि से 1 इंच अधिक हो। बाल्टी के किनारों पर एक छेद बनाकर, छकनी को बाल्टी के निचले हिस्से में लगाया जाता है। संपत ने जोड़ों से रिसाव रोकने के लिए एम सील का इस्तेमाल किया है।
इस चरण में, कीट या मच्छरदानी के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली जाली का उपयोग किया जा सकता है। इसका उद्देश्य सिर्फ ठोस अशुद्धियों को फिल्टर करना है।
स्टेज 2 फिल्टरेशन
इसमें बाल्टी के निचले हिस्से पर चार छेद होने के अलावा, इसके साइड में भी दो छेद होते हैं। इन छिद्रों को एम-शील का इस्तेमाल करते हुए छकनी से कवर किया जाता है। इसके पहले चरण में जहाँ बड़ी छकनी लगी होती है, तो दूसरे चरण में 75 माइक्रोन के छकनी का इस्तेमाल किया जाता है। इससे गंदगी को रोकने में मदद मिलती है।
संपत बताते हैं कि इसमें 304 ग्रेड स्टेनलेस स्टील से बनी छकनी का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है, इसमें आसानी से जंग नहीं लगती है।
अंत में, तीसरी बाल्टी में पानी समान आउटलेट से बहता है।
स्टेज 3 फिल्टरेशन
यहाँ, बाल्टी को पहले चरण के समान ही स्थापित किया गया है, लेकिन जाली 50 माइक्रोन का है, जिसमें छिद्र काफी महीन होते हैं और रेत जैसी छोटी अशुद्धियों को रोक सकते हैं। इसके जरिए पानी को वर्षा जल संरक्षण प्रणाली से जोड़ा जाता है।
संपत कहते हैं, “भूमिगत जल भंडारण की क्षमता 40,000 लीटर है और यह तीन भागों में बँटा हुआ है। ये सभी आपस में जुड़े हुए हैं। इसमें जब एक टैंक भर जाता है, तो पानी स्वतः दूसरे में भरने लगता है। इसके अलावा, मेरे छत पर 10,000 लीटर की एक और टंकी है, जो मोटर के जरिए भूमिगत टैंक से जुड़ा हुआ है।”
रखरखाव:
फिल्टर को प्रभावी रूप से संचालित करने के लिए संपत बाल्टियों को हटाने और फिल्टर को नीचे करने का सुझाव देते हैं, ताकि ठोस अशुद्धियों को दूर किया जा सके। यह पाइप को जाम होने से रोकता है और फिल्टर किए गए अशुद्धियों को साफ करता है। इसके साथ ही, वह फिल्टर सिस्टम को सहजता से संचालित करने के लिए नियमित रूप से छत की सफाई करने का सुझाव देते हैं।
फिलहाल, कुछ ही देर की बारिश के बाद, संपत अपने 1700 वर्ग फुट के छत के जरिए 50,000 लीटर पानी इकट्ठा कर सकते हैं।
दूसरों की भी कर रहे हैं मदद
हालांकि, संपत पानी को फिल्टर करने के लिए सभी तीन चरणों से गुजरने की सलाह देते हैं, लेकिन पहले दो चरणों के जरिए भी बारिश के पानी को फिल्टर किया जा सकता है।
एक व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए संपत को जानने वाले मोहन एम ने अपने घर में दो चरणों वाली फिल्टर सिस्टम को विकसित किया है। हालांकि, इसमें उन्होंने एक प्लंबर की मदद ली है, लेकिन इसमें उन्हें 20 हजार से भी कम खर्च हुए।
वह कहते हैं, “हालांकि, मेरे पास एक 10,000 लीटर की भूमिगत टैंक है, मैंने वर्षा जल को संग्रहित करने के लिए 5,000 लीटर की एक अतिरिक्त टैंक को भी स्थापित किया है। हम तकनीकों को समझने के लिए संपत के घर गए और उसकी मदद से सभी जरूरी संसाधनों को जुटाया। प्लंबर ने संपत के निर्देशों का पालन करते हुए, हमें फिल्टर सिस्टम बनाने में मदद की। पहले हमें अपने घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी खरीदना पड़ता था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से हम वर्षा जल का इस्तेमाल कर रहे हैं।”
यदि आप रेन वाटर हार्वेस्टिंग फिल्टर सिस्टम के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो संपत से sampaths144@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं।
मूल लेख – (ROSHINI MUTHUKUMAR)
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