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बौनेपन की वजह से जिम ट्रेनर ने नकारा, तो घर पर ही घटाया 29 किलो वजन

“My weight was 68 kilos, which is acceptable for a fully grown human. But as a dwarf, it is considered overweight."

यह कहानी है, इंदौर के रहने वाले कपिल बजाज की, जिन्हें एक समय पर जिम ट्रेनर ने ट्रेनिंग देने से मना कर दिया था। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों हुआ? दरअसल, इसका कारण था उनका बौनापन। कपिल, कद में काफी छोटे और मोटे थे। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी। कपिल ने तय किया कि जिम नहीं जा सकते, तो क्या? घर पर ही रहकर अपने आपको फिट करना है और अपने जैसे और लोगों के लिए Fitness Inspiration बनना है।

बस फिर क्या था, उन्होंने मेहनत करनी शुरू की और घर में ही खुद को फैट से फिट किया। कपिल ने साल भर में अपना 29 किलो वजन कम किया।

इंदौर के रहनेवाले कपिल बजाज का बौनापन, उनके जन्म से ही उनके साथ था। यह एक ऐसी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी है, जिसमें व्यक्ति का कद छोटा रह जाता है। बौनापन अपने साथ तमाम तरह की शारीरिक परेशानियां भी लेकर आता है, जिनसे कपिल जूझ रहे थे। उनकी निजी जिंदगी ठहर सी गई थी और वज़न बढ़ता ही जा रहा था। कुर्सी पर 5 मिनट बैठना भी उनके लिए असहनीय था।

XXXL साइज़ से Small तक

कपिल द बेटर इंडिया को बताते हैं, “मेरा वज़न 68 किलो था। सामान्य कद-काठी वाले व्यक्ति के लिए यह ठीक है, लेकिन एक नाटे व्यक्ति के लिए यह वज़न काफी ज्यादा है। इसने मेरी शारीरिक और मानसिक सेहत पर खासा प्रभाव डाला।”

26 वर्षीय कपिल की यह स्थिति साल 2015 में थी और आज उन्होंने सभी बाधाओं को पार कर लिया है। एक साल में 29 किलो वज़न कम करने के लिए, उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। लेकिन अब उनकी कमीज़ का साइज़ ट्रिपल एक्स से घटकर स्मॉल हो गया है।

कपिल ने अपने इस बदलाव की प्रेरक और दिल छू जाने वाली कहानी द बेटर इंडिया के साथ साझा की।

ग्रैजुएशन के दौरान ज्यादा बढ़ गई परेशानी

Kapil Bajaj with his Parents

कपिल बताते हैं, “बौनेपन के साथ-साथ, उन्हें जन्म से ही ऑथ्रोग्रिपोसिस बीमारी भी थी। इस बीमारी में नवजात शिशु के जोड़ सख्त, टेढ़े और सिकुड़े हुए होते हैं। जिस कारण जबड़े, कंधे, कोहनी, कलाई, उंगलियां, घुटने, पैर, पैर की उंगलियां, कुल्हे और रीढ़ की हड्डी के जोड़ पूरी तरह से मुड़ नहीं पाते।”

वह बताते हैं, “मेरे घुटने में नीकैप नहीं है और कुल्हे के जोड़ भी अव्यवस्थित हैं। इसके अलावा मैं, रीड़ की हड्डी में एक तरफ टेढ़ेपन वाली बीमारी ‘स्कोलियोसिस’ से भी जूझ रहा था। मुझे लॉड्रोसिस भी था, जिसमें रीढ़ की हड्डी आगे की तरफ खिसक जाती है। ऐसा नसों पर पड़ने वाले दबाव के कारण होता है। इसके चलते मेरे पैरों में नीचे तक बिजली के समान झटके, झुनझुनी, चुभन और सेंसिटिविटी महसूस होती थी।”

बचपन में कपिल के पैरों की सर्जरी हुई थी। वह ठीक से चल नहीं पाते थे। उन्होंने बताया, “मुझे स्कूल में सीढ़ियां चढ़ने या बैग लेकर चलने में काफी मुश्किल आती थी। मुझे हर समय किसी न किसी के मदद की ज़रुरत होती थी।”

जब डिप्रेशन में चले गए थे कपिल

साल 2010 में 10वीं कक्षा के दौरान उनके पैर में फ्रैक्चर हो गया। उन्होंने बताया “एक सामान्य व्यक्ति को इससे उबरने में एक महीने का समय लगता है। लेकिन मेरी सेहत और बीमारियों के कारण मुझे ठीक होने में 2 साल लग गए।” ठीक होने के लिए उन्होंने फिजियोथैरिपी का सहारा लिया था।

कपिल ने बताया कि दो साल तक चले लंबे और दर्दनाक इलाज के बाद वह बिस्तर से उठने और चलने के काबिल हो पाए। लेकिन उनकी सुस्त जीवन शैली के कारण उनका वजन बढ़कर 68 किलो हो गया था।

ग्रेजुएशन (कॉमर्स) करने के दौरान, उन्हें एहसास हुआ कि उनकी तबियत ज्यादा खराब होती जा रही है। उन्होंने बताया, “मैं क्लास के लिए बैठ नहीं पाता था। कई बार तो दर्द के कारण बीच में ही लेक्चर छोड़कर जाना पड़ता था। फिजियोथेरेपी भी अब काम नहीं कर रही थी। जब 2015 में मेरा ग्रेजुएशन पूरा होने वाला था, उसी दौरान पैरों और जोड़ों में ऐसा दर्द था कि मैं पांच मिनट भी सीधा नहीं बैठ पाता था।” कपिल डिप्रेशन में चले गए और आत्महत्या का विचार उनके मन में आने लगा था।

जीवन को मिली नई राह

कपिल आगे बताते हैं “एक समय पर मुझे एहसास हुआ कि इन सबका कारण मेरा कद और मोटापा है। अपने कद का तो मैं कुछ नहीं कर सकता था, लेकिन मैंने अपना वजन कम करने का मन बना लिया। जब मैंने पास के ही एक जिम से संपर्क किया, तो उन्होंने मेरी शारीरिक परेशानियों को देखते हुए, मुझे ट्रेनिंग देने से मना कर दिया। वे किसी भी प्रकार का जोखिम नहीं लेना चाहते थे।”

तब कपिल ने खुद से प्रयास करने का फैसला लिया। वह बताते हैं, “इसके लिए मैंने सोशल मीडिया का सहारा लिया। यूट्यूब व इंस्टाग्राम से मैंने वर्कआउट और डाइट के बारे में जानकारी इकट्ठा की और प्रेरणादायक विचारों को पढ़ा। मैं हाई इंटेंसिटी वर्कआउट नहीं कर सकता था और ना ही ज्यादा वजन उठा सकता था। इसलिए वजन के लिए मैंने पानी की बोतलें उठाईं और दिन में जितना चल सकता था चला।”

उन्होंने मार्च 2015 में वजन घटाने की शुरुआत की थी और एक महीने में चार किलो वजन कम भी कर लिया। वह कहते हैं “लेकिन घटा हुआ वजन नजर नहीं आ रहा था, मैं निराश हो गया। लेकिन मैंने प्रयास जारी रखा। धीरे-धीरे वजन आठ से 14 किलो घट गया और कपड़े ढीले होने लगे थे। मार्च 2016 तक मैंने अपना 29 किलो वजन घटा लिया था।” वह कहते हैं, उसके बाद से उन्होंने अपने वजन को कभी 40 किलो से ऊपर नहीं जाने दिया।

शारिरिक के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य भी है ज़रूरी

वर्कआउट के साथ-साथ कपिल ने अपने खान-पान की आदतों पर पर भी खासा ध्यान दिया। वह एक दिन में 600 से 800 कैलोरी लेते हैं। वह कहते हैं “मैं भारी कसरत नहीं कर सकता था, इसलिए मैंने अपने खाने में बदलाव किए।”

हालांकि वह अपने शारीरिक बदलाव पर काम कर रहे थे, लेकिन उन्हें खुद को मानसिक रूप से भी मजबूत करना था। वह बताते हैं, “खुद को शीशे में देखना मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा थी। मेरे पास अपने कम होते वजन को जानने का यही एक तरीका था। इसके अलावा जैसे-जैसे मेरे कपड़ों का साइज कम हो रहा था, मेरे पास विकल्प बढ़ रहे थे। अब मैं अलग-अलग तरह के कपड़े पहन सकता था। मैं सकारात्मक बदलावों की तरफ बढ़ रहा था।”

शारीरिक परेशानियों के अलावा, कई अन्य परेशानियां भी थीं, जिनसे कपिल जूझ रहे थे। वह लगातार तीन सालों से बैंक परीक्षा दे रहे थे, लेकिन सफलता उनके हाथ नहीं लगी। वह बताते हैं “ग्राफिक डिजाइन में मेरी दिलचस्पी थी। मैंने इस क्षेत्र में भी पैर जमाने की कोशिश की। लेकिन जब मैंने एक कंपनी में नौकरी के लिए आवेदन किया, तो उन्होंने मुझे प्रति माह 2500 रुपये की मामूली सी राशि की पेशकश की। माता-पिता मेरे दर्द को समझ रहे थे, लेकिन वे भी मेरी ज्यादा मदद नहीं कर सकते थे।”

पत्नी पायल ने भी प्रेरित होकर कम किया वज़न

कपिल ने 2018 में फिर से बैंक परीक्षा देने का फैसला किया और नए सिरे से तैयारी की। इस बार सफलता उनके हाथ लगी। 2017 में वह यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में जूनियर सहायक के पद पर नियुक्त किये गए। यह एक सरकारी नौकरी थी, उनके माता-पिता भी हमेशा से उनके लिए गवर्नमेंट जॉब ही चाहते थे।

कपिल बताते हैं कि शरीर में आए इन बदलावों ने उनकी कई तरह से मदद की है। वह कहते हैं, “मुझे स्कूल में परेशान किया जाता था। यहां तक की मुझे सड़क पर छेड़ा भी जाता था। मेरा मोटापा और शारीरिक बनावट मुझे घर से बाहर कदम रखने से रोक रही थी। मेरे अंदर कुछ करने और जिंदगी को आगे बढ़ाने का हौसला नहीं था। लेकिन अब सब बदल गया है। मेरा शरीर अधिक चुस्त और लचीला हो गया है। अब मैं घंटों तक शारीरिक मेहनत करने के काबिल हो गया हूं। ऑफिस में लंबे समय तक काम करने के बाद भी अब मुझे थकान नहीं होती।”

Kapil Bajaj with his wife Payal

उनकी पत्नी पायल थवानी का कद भी छोटा है। वह भी बौनेपन की शिकार हैं। उन्होंने कहा कि कपिल के इस सफर से उन्हें और उनके भाई, दोनों को वजन कम करने की प्रेरणा मिली। वह बताती हैं, “बौने लोगों में सेहत संबंधी परेशानियां आम बात हैं। कपिल के वजन कम करने के सफर ने मुझे काफी प्रेरित किया। उनके सुझावों को मानते हुए, मैंने 10 किलो और मेरे भाई दीपक ने 14 किलो वजन कम किया है।”

मुझे गिराने की बहुत कोशिशें की गईं

कपिल और पायल का इंस्टाग्राम पेज है। उनके 60,000 फॉलोअर्स हैं, जिनके लिए वे वीडियो बनाते हैं। वह कहती हैं, “पहले मुझे सोशल मीडिया पर सामने आने में शर्म आती थी। लेकिन वजन कम करने के बाद अब आत्मविश्वास काफी बढ़ गया है। बौनेपन से जूझ रहे अनेक व्यक्ति हमारे फॉलोअर्स हैं। अब हम उनके अंदर के डर को दूर करने में उनकी मदद कर रहे हैं।”

कपिल ने क्वोरा पर अपने सफर की जानकारी साझा की है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी उन्होंने अपनी जिंदगी के बारे में बात की है। उनका कहना है, “मेरा इरादा अपने सफर के बारे में डींगे हांकना या बड़ी-बड़ी बातें करने का नहीं है। मेरा मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रेरित करने का है। स्वास्थ्य संबंधी इतनी सारी परेशानियों को झेल रहा व्यक्ति, अगर यह उपलब्धि हासिल कर सकता है, तो फिर किसी के लिए भी यह नामुमकिन नहीं है। बस ज़रूरत है तो समर्पण की। मुझे गिराने की कोशिशें तो बहुत की गईं, लेकिन मैं विश्वास के साथ उठ खड़ा हुआ।”

मूल लेखः हिमांशू नित्नावरे

संपादनः अर्चना दुबे

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