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कैप्टन गोपीनाथ: बैलगाड़ी चलाने से लेकर सबसे सस्ती एयरलाइन चलाने तक का सफर

Inspiring Story

साउथ इंडियन मूवी स्टार सूर्या की आगामी 12 नवंबर को अमेजन प्राइम पर एक फिल्म रिलीज होने वाली है – ‘सोरारई पोटरू’। फिल्म के ट्रेलर के अनुसार, यह एक एक्शन ड्रामा फिल्म है। कहानी गाँव में रहने वाले एक शख्स की है, जो अपने सपने को ईमानदारी और सच्चाई के साथ पूरा करने के लिए राजनेताओं से लेकर कारोबारियों से लड़ता है।

ट्रेलर को देखकर लगता है कि फिल्म में कई रोचक मोड़ हैं, कई ऐसे दृश्य होंगे, जो आपको रूलाएंगे। इन सब चीजों के बीच जो सबसे खास होगा, वह है अभिनेता सूर्या का ट्रेडमार्क स्वैग।

इस फिल्म में सूर्या के अलावा, मोहन बाबू, परेश रावल एवं अपर्णा बालमुरली भी मुख्य भूमिका में हैं। वैसे आपको यह बताना जरूरी है कि मूल रूप से यह फिल्म कम लागत वाली एयरलाइंस कंपनी ऐयर डेक्कन के संस्थापक, एक सेवानिवृत आर्मी कैप्टन, कैप्टन जी.आर. गोपीनाथ की ऑटोबायोग्राफी “सिम्पली फ्लाई” पर आधारित है। 

साल 2011 में आई इस ऑटोबायोग्राफी में एक युवा लड़के की बैलगाड़ी की सवारी से लेकर एक एयरलाइन के मालिक बनने के सफर को दर्शाया गया है।

कैप्टन गोपीनाथ शुरू से ही एक ऊँची सोच रखने वाले शख्स थे और उनके इन्हीं विचारों ने देश के मध्यमवर्गीय परिवारों के जीवन को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया और उनके प्रयासों से ही आज एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति देश के हर बड़े शहर में हवाई यात्रा करने का खर्च उठा सकता है।

कैप्टन जी.आर. गोपीनाथ

लेकिन, कैप्टन गोपीनाथ का यह सफर आसान नहीं था। उनके जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए, एक वक्त ऐसा भी था, जब उन्हें लगा कि अब सब कुछ खत्म हो गया। हालांकि, हो सकता है कि फिल्म में इसे न दिखाया जाए, लेकिन हम यहाँ आपको उनके जीवन की पूरी कहानी बता रहे हैं:

कौन हैं कैप्टन जी.आर. गोपीनाथ

गोरूर रामास्वामी अयंगर गोपीनाथ का जन्म साल 1951 में कर्नाटक के गोरूर नामक एक छोटे से गाँव में हुआ था, वह अपने माता-पिता के आठ संतानों में दूसरे थे। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक और कन्नड़ उपन्यासकार थे और उन्होंने अपने बेटे की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा स्कूल के बजाय घर पर ही कराई।

फिर, कुछ वर्षों के बाद, गोपीनाथ का दाखिला पाँचवीं कक्षा में एक कन्नड़ स्कूल में हुआ। इसके बाद, साल 1962 में, उन्होंने बीजापुर स्थित सैनिक स्कूल में दाखिला लिया, जहाँ युवा लड़कों को सैन्य सेवा में भर्ती लेने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।

आगे चलकर, उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) की परीक्षा में सफलता अर्जित की और भारतीय सैन्य अकादमी से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। गोपीनाथ ने भारतीय सेना में 8 वर्षों तक अपनी सेवाएँ दीं और उन्होंने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में भी हिस्सा लिया।

28 साल की उम्र में, उन्होंने आर्मी से रिटायरमेंट ले लिया और इसके बाद डेयरी फार्मिंग, रेशम उत्पादन, पोल्ट्री फार्मिंग, होटल, एनफील्ड बाइक डील,  स्टॉकब्रोकर में अपना हाथ आजमाने के बाद वह अंत में, एविएशन इंडस्ट्री से जुड़े।

एक एविएशन एंटरप्रेन्योर के रूप में जीवन

कैप्टन गोपीनाथ का एविएशन करियर 1996 में शुरू हुआ था, जो तीन भागों में विभाजित है।

सबसे पहले, उन्होंने डेक्कन एविएशन नाम से एक चार्टर्ड हेलीकाप्टर सेवा शुरू की थी। इसके तहत, उनका उद्देश्य वीआईपी लोगों के लिए चार्टर्ड हेलीकॉप्टर की सेवा को उपलब्ध कराना था। उनकी इस सेवा का लाभ कई राजनेताओं ने उठाया।

अपने पहले वेंचर में सफलता का स्वाद चखने के बाद, उन्होंने मध्यमवर्गीय परिवार के लिए हवाई यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराने का फैसला किया। यह एक सपना था, क्योंकि उस वक्त एक आम नागरिक के लिए हवाई यात्रा करना बेहद खर्चीला था।

आर्मी में नौकरी छोड़ने से पहले कैप्टन जी.आर. गोपीनाथ

इसके तहत, उन्होंने अपने दूसरे वेंचर ‘एयर डेक्कन’ को साल 2003 में शुरू किया गया। इसके तहत यात्री बेंगलुरू और हुबली से यात्रा कर सकते थे। यह वह दौर था जब भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही थी। गोपनाथ ने इस एयरलाइन को लॉन्च करने के लिए 5 करोड़ रुपये का निवेश किया, जिसे उन्होंने अपनी सेविंग, दोस्तों और परिवारजनों से जुटाए थे।

साल 2006 तक, एयर डेक्कन का देश के सात एयरपोर्ट बेस से संचालन शुरू हो गया और अपने कम टर्नअराउंड समय बनाए रखा। उन्होंने नो-फ्रिल एप्रोच को अपनाते हुए, अपने ग्राहकों को अन्य एयरलाइन की तुलना में आधे दर पर टिकट की पेशकश की। इसमें एक यूनिफार्म इकोनॉमी केबिन क्लास और यात्रा के दौरान खाने-पीने का भुगतान, आदि भी शामिल था।

जल्द ही, कैप्टन गोपीनाथ ने 43 विमानों और हर दिन 60 से अधिक गंतव्यों के लिए 350 उड़ानों के साथ इंडियन एविएशन इंडस्ट्री में 22 से अधिक हिस्सेदारी पर अपना धाक जमा लिया। उन्होंने विमान के भीतर और बाहर लगे विज्ञापनों के जरिए भी राजस्व अर्जित किया। इसके साथ ही, उन्होंने अपने यात्रियों को 24 घंटे कॉल सेंटर की सेवा उपलब्ध की, ताकि वे कभी भी टिकट बुक कर सकते हैं।

डेक्कन एविएशन की हेलीकाप्टर सेवा।

लेकिन, साल 2007 में, कंपनी को दूसरे एयरलाइन से कड़ी प्रतियोगिता मिलनी शुरू हो गई, जिससे उन्हें भारी नुकसान हुआ और गोपीनाथ को इसे उद्योगपति विजय माल्या को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस तरह, एयर डेक्कन का किंगफिशर एयरलाइंस में विलय हो गया और इसे किंगफिशर रेड के रूप में पुनः स्थापित किया गया।

उनका तीसरा वेंचर, डेक्कन 360 नाम से एक एयर-कार्गो सेवा थी। लेकिन, राजस्व के अभाव में इसे साल 2013 में बंद करना पड़ा।

आज क्या करते हैं गोपीनाथ?

एयर डेक्कन ने न केवल देश के एविएशन इंडस्ट्री को हमेशा के लिए बदल दिया, बल्कि हर मध्यमवर्गीय भारतीय के लिए हवाई यात्रा को एक वास्तविकता में बदल दिया। बाद में, साल 2014 में, गोपीनाथ ने लोकसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा।

कई मीडिया हाउस के लिए कॉलम लिखने के बाद, साल 2017 में, उन्होंने अपनी दूसरी किताब “यू मिस नॉट दिस फ्लाइट: एसेज ऑन इमर्जिंग इंडिया” लिखी, जो कैप्टन गोपीनाथ के हितों और उनकी प्रतिबद्धता की गहराई को दर्शाता है।

फिलहाल कहाँ हैं गोपीनाथ?

68 वर्षीय कैप्टन गोपीनाथ, फिलहाल अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ बेंगलुरू में रहते हैं।

मूल लेख – (ROSHINI MUTHUKUMAR)

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