मणिपुर के तामेंगलोंग जिले के जिला कलेक्टर आर्मस्ट्रोंग पामे हमेशा से अपने किसी न किसी अच्छी पहल या फिर नेक काम के लिए ख़बरों में रहते हैं।
साल 2012 में उन्होंने मणिपुर, नागालैंड और असम को जोड़ते हुए 100 किलोमीटर लंबे रोड का निर्माण करवाया था। इस रोड को ‘पीपल्स रोड‘ के नाम से जाना जाता है और इस के निर्माण के लिए उन्होंने सरकार से कोई वित्तीय मदद नहीं ली थी।
साल 2017 में उन्होंने स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को हर शुक्रवार अपने घर रात में खाने पर निमंत्रित करने की पहल शुरू की। इस पहल के पीछे उनका उद्देश्य बच्चों से बात कर, उनके सपनों और उनके विचारों को जानना है कि आने वाले समय में वे अपने जिले को किसा तरह का देखना चाहते हैं। उनकी इन्हीं सब अनोखी पहलों के कारण वे यहाँ ‘मिरेकल मैन’ के नाम से मशहूर हैं।
एक बार फिर मिज़ोरम के एक 11 साल के एक बच्चे की मदद करने के लिए यह आईएएस अफ़सर सुर्ख़ियों में है।
मिज़ोरम के लुंगलेई जिले में चुनावों के दौरान पामे की नियुक्ति हुई थी। यहाँ पर उनकी मुलाक़ात 11 वर्षीय लालरिंडीका से हुई, जिसके होंठों में क्लेफ्ट (कटा हुआ होंठ) था। विकृत होंठ या फिर पलैट (तालू) को क्लेफ्ट कहते हैं, जिसकी वजह से यहाँ की मांसपेशियां पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाती हैं और बोलने में व खाने में समस्या हो सकती है।
लालरिंडीका, मिज़ोरम में एक बहुत ही दूर-दराज के ज़ेहतात गाँव से है और उसके परिवार की भी आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं है। इसलिए उसके परिवार के लिए उसके क्लेफ्ट की सर्जरी करवाना मुमकिन नहीं था।
लेकिन जब पामे को यह पता चला तो उन्होंने अपने खर्चे पर इस बच्चे की सर्जरी करवाने का फैसला किया। सर्जरी इम्फाल में होनी थी, पर लड़के के माता-पिता इम्फाल तक जाने का पूरा खर्च नहीं उठा सकते थे। इसलिए पामे ने उनकी लुंगलेई तक आने की व्यवस्था करवाई, जहाँ वे खुद तैनात थे।
वहाँ से, लालरिंडीका और उनके पिता, जिला कलेक्टर की गाड़ी में इम्फाल गये। यहाँ पामे की टीम पहले से ही इन दोनों की मदद के लिए तैयार थी।
लालरिंडीका की सर्जरी सफ़ल रही, जिसके बाद उसके पिता ने कहा, “हम पूरी ज़िंदगी उनके (पामे) ऋणी रहेंगे। हमें लगता है कि भगवान ने उन्हें हमारे लिए भेजा है।”
सिविल सर्विस में उनकी शानदार पहल और काम के लिए, आर्मस्ट्रोंग पामे का नाम साल 2012 में सीएनएन-आईबीएन द्वारा पब्लिक सर्विस केटेगरी में ‘इंडियन ऑफ द ईयर’ अवार्ड के लिए नामित किया गया था। साल 2015 में, उन्हें ‘भारत के सबसे प्रतिष्ठित आईएएस अधिकारी’ के रूप में सम्मानित किया गया था। साल 2018 में उन्होंने 100 सबसे प्रभावशाली ‘भविष्य के लीडर’ सूची में भी जगह बनाई।
अपनी नौकरी और व्यक्तिगत तौर पर, दोनों ही जगह उनके काम में निरंतरता इस बात का प्रमाण है कि आम लोगों से मिलने वाले सम्मान और प्यार के वे सही हकदार हैं।
(संपादन – मानबी कटोच)