Site icon The Better India – Hindi

घर में नहीं है AC, कूलर और फ्रिज, सौर कुकर में खाना बनाकर बचाती हैं 15 दिन की गैस भी

पुणे निवासी पल्लवी पाटिल और उनका परिवार पिछले सात सालों से पर्यावरण के अनुकूल जीवन (Sustainable living) जीने के लिए प्रयासरत है। एक-एक कदम आगे बढ़ाकर, पल्लवी अपनी और अपने परिवार के जीवन को रसायन मुक्त बना रही हैं।

2003 में कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करनेवाली पल्लवी ने छह साल तक एक सॉफ्टवेयर कंपनी के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने निजी कारणों से नौकरी छोड़ दी। फिलहाल, उनका पूरा ध्यान अपने बच्चों की सही परवरिश पर है। 

पल्लवी ने द बेटर इंडिया को बताया, “मैं और मेरे पति, हम दोनों ही किसान परिवार से हैं। हम दोनों ने हमेशा अपने परिवार में देखा कि कैसे बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए भी जिया जा सकता है। जैसे कि अगर हम चाहें तो फ्रिज को अपनी जीवनशैली से हटा सकते हैं। इसके अलावा, बहुत सी चीजों को अलग-अलग रूप देकर बार -बार उपयोग में ले सकते हैं। रसायनिक क्लीनर्स की जगह प्राकृतिक चीजें इस्तेमाल में ले सकते हैं। इसके लिए आपको बस अपनी आदतों में बदलाव लाना होगा।” 

पल्लवी का कहना है कि अक्सर लोगों को लगता है कि यह सब पर्यावरण के लिए है, लेकिन उनका मानना है कि वह जो भी कर रहीं हैं अपने लिए कर रही हैं क्योंकि वह खुद को और अपने परिवार को स्वस्थ रखना चाहती हैं। उन्होंने बताया, “हम सब जानते हैं कि रसायनयुक्त खाना, रसायनिक क्लीनर्स जैसे साबुन, शैम्पू, डिटर्जेंट आदि हमारे लिए नुकसानदायक हैं। इसलिए आप अपने जीवन को स्वस्थ बनाने के लिए प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल करें।” 

पल्लवी पाटिल

खुद उगाती हैं और सौर कुकर में पकाती हैं 

पल्लवी ने सबसे पहले अपने घर में फ्रिज का इस्तेमाल बंद कर दिया। इसके बारे में उन्होंने कहा, “लोगों को लगता है कि फ्रिज के बिना गुजारा नहीं होगा। लेकिन फ्रिज के बिना हम ज्यादा स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। जैसे हम अपने बगीचे में ताजे फल और सब्जियां उगाते हैं। बाहर से कभी खरीदने की जरूरत पड़े तो जैविक किसानों से सीधा खरीदते हैं। जैविक फल और सब्जियां बिना फ्रिज के भी दो हफ्तों तक रहती हैं। साथ ही, हमारे घर में हमेशा जरूरत के हिसाब से पकता है और बहुत ही कम होता है कि हम कोई ‘पैकेज्ड फ़ूड’ खरीदें। इसके अलावा, दूध को दिन में दो-तीन बार उबाल लिया जाए तो यह आराम से चल जाता है।” 

अपने घर के बगीचे में पल्लवी देसी बीजों से कई तरह के फल, सब्जियां, और औषधीय पौधे उगाती हैं। उनके बगीचे में अनार, पपीता, केला जैसे फलों के पेड़ हैं और वह हर तरह की मौसमी सब्जियां जैसे बैंगन, टमाटर, लौकी, तोरई आदि लगाती हैं। 

वह कहती हैं, “हमें खाने के लिए सब्जी या फल बाहर से नहीं खरीदना पड़ता है। मैं अपने बगीचे में सब कुछ जैविक तरीके से उगाती हूँ। हमारा उद्देश्य है कि हम ज्यादा से ज्यादा लोकल किस्म की सब्जियां उगाएं। अदरक, हल्दी जैसे मसाले भी अपने बगीचे में ही उगा लेते हैं।” 

खुद साग-सब्जियां उगाने के साथ-साथ, पल्लवी बहुत सी चीजों की प्रोसेसिंग भी करती हैं। जैसे उन्होंने खाने में इस्तेमाल के लिए अपने बगीचे में उगी हल्दी का पाउडर बनवाया है और कुछ समय पहले उन्होंने टमाटर का सॉस भी बनाया था। वह कहती हैं कि दाल, चावल, ढोकला, पिज़्ज़ा, नानकटाई, केक, सांबर मसाला, गरम मसाला, रसम मसाला आदि भी सौर कुकर में ही तैयार करती हैं। हालांकि, रोटी, भाकरी बनाने और कोई चीज तलने के लिए बॉक्स सोलर कुकर का इस्तेमाल नहीं हो सकता है।

“पहले हमारा गैस सिलिंडर लगभग 60 दिन चलता था लेकिन सौर कुकर के इस्तेमाल से हम लगभग 15 दिन की गैस की बचत कर पा रहे हैं,” उन्होंने कहा। साथ ही, उनके घर में एसी या कूलर भी नहीं है। वह कहती हैं कि उनके घर में अच्छी हवा आती है इसलिए वे पंखा भी बहुत ही कम चलाते हैं। 

खाने की चीजों से लेकर साबुन, शैम्पू तक भी बनाती हैं खुद 

पल्लवी अपने बगीचे में उगने वाली चीजों से बहुत-से खाद्य उत्पाद बनाती हैं जैसे पपीते से टूटी-फ्रूटी, गुलाब से गुलकंद, टमाटर से सॉस, केले के चिप्स और अलग-अलग तरह की चटनी और अचार भी वह खुद बना लेती हैं। वह इन उत्पादों में किसी भी तरह का केमिकल या प्रेज़रवेटिव इस्तेमाल नहीं करती हैं। उन्होंने बताया कि वह जितना हो सके अपने परिवार के लिए जैविक और शुद्ध खाद्य उत्पाद ही लेती हैं। वह सुपरमार्केट या मॉल से कुछ नहीं खरीदती हैं। बल्कि स्थानीय दुकानों और किसानों से ही घर का ज्यादातर राशन लेती हैं। वह भी कपड़े के थैलों या स्टील के डिब्बों में। 

कुछ चीजें जैसे चायपत्ती आदि प्लास्टिक के पैकेट में आती है, तो इन पैकेट्स को इकट्ठा करके रीसायकलर्स को दिया जाता है। पल्ल्वी कहती हैं वह घर की साफ़-सफाई के लिए क्लीनर बनाने के साथ-साथ साबुन, शैम्पू, डिशवाश, स्क्रबर और डिटर्जेंट भी खुद ही बनाती हैं। 

टूटी-फ्रुटी और गुलकंद

उन्होंने बताया, “मैं अपनी रसोई से निकलने वाले फल-सब्जियों के छिलके कभी नहीं फेंकती हूँ। बल्कि मैं इन्हें बायो एंजाइम बनाने में इस्तेमाल करती हैं। बायो एंजाइम बहुत ही काम की चीज है, इसे आप पौधों के साथ-साथ घर की साफ-सफाई के लिए ‘क्लीनर’ के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। कई बार मैं पपीते, अनार के छिलकों को सुखाकर इनका पाउडर बना लेती हूँ। अनार के छिलकों के पाउडर को आप टूथ पाउडर की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे बाल भी धो सकते हैं। इन पाउडर को आप अपने साबुन में इस्तेमाल कर सकते हैं।”  

#DIY डिशवॉश पाउडर और स्क्रबर 

पल्लवी कहती हैं कि सूखे नारियल के छिलके को आप बर्तन धोने के लिए स्क्रबर की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि बेहद आसान तरीके से घर में डिशवॉश पाउडर भी बनाया जा सकता है।

डिशवॉश पाउडर बनाने की विधि

यह आपकी त्वचा और बर्तन, दोनों के लिए सुरक्षित है। साथ ही, बर्तनों को धोने के बाद इस पानी को आप बगीचे में डाल सकते हैं। 

आप वीडियो यहां देख सकते हैं। 

#DIY प्राकृतिक लिक्विड डिटर्जेंट 

पल्ल्वी सौर कुकर में इस मिश्रण को उबालती हैं, लेकिन आप गैस पर भी इसे उबाल सकते हैं। 

साथ ही, रीठा और शिकाकाई का जो मिश्रण बच गया है, उसे आप बॉडी स्क्रब के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर इससे आप रसोई या बाथरूम साफ़ कर सकते हैं। 

वीडियो आप यहां देख सकते हैं। 

#DIY आयुर्वेदिक साबुन: 

होममेड साबुन

घर पर साबुन बनाने के लिए आपको गुलाब की पंखुड़ियां (30-40 ग्राम), तुलसी के पत्ते (200 ग्राम), एलोवेरा की 4 बड़ी पत्तियां, 150 ग्राम नीम की पत्तियां, 150 ग्राम संतरे के छिलकों का पाउडर, 50 ग्राम हल्दी, एक किलो मुल्तानी मिट्टी पाउडर, 60 ग्राम हल्दी, 100 ग्राम जेष्ठमध, 80 ग्राम रीठा, 70 ग्राम सुगन्धि कचोरा, 70 ग्राम नगर मोठा, 150 ग्राम आंवला पाउडर, 150 ग्राम चंदन पाउडर, 100 ग्राम मंजिष्ठा, 100 मिली गुलाब जल चाहिए। सर्दियों में आप इसमें आधा लीटर तिल का तेल और गर्मियों में नारियल का तेल मिला सकते हैं।

वीडियो आप यहां देख सकते हैं। 

पल्लवी कहती हैं कि रीठा, शिकाकाई, आंवला आदि की मदद से आप शैम्पू भी घर पर ही बना सकते हैं। इस तरह घर पर बनाए हुए रसायन मुक्त उत्पाद इस्तेमाल करने से अपनी त्वचा सुरक्षित रहेगी और पानी भी प्रदूषित नहीं होगा। आप रसोई और बाथरूम के पानी को इकट्ठा करके बगीचे के लिए इस्तेमाल कर सकेंगे जैसे कि पल्लवी खुद करती हैं। अंत में वह कहती हैं कि इस तरह से वह न सिर्फ अपने परिवार को स्वस्थ रख पा रही हैं बल्कि काफी बचत भी कर रही यहीं। क्योंकि अब उन्हें कॉस्मेटिक पर हजारों रुपए खर्च नहीं करने पड़ते हैं। 

बेशक, पल्ल्वी की जीवनशैली (Sustainable living) हम सबके लिए एक प्रेरणा है। अगर आप पल्लवी से संपर्क करना चाहते हैं तो उन्हें pallavi.vitthal@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

यह भी पढ़ें: बिजली-पानी मुफ्त और खाना बनता है सोलर कुकर में, बचत के गुर सीखिए इस परिवार से


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

(Sustainable living), (Sustainable living), (Sustainable living), (Sustainable living), (Sustainable living), (Sustainable living)

Exit mobile version