तमिलनाडु सरकार ने छह महीने पहले ही राज्य में प्लास्टिक बैन की घोषणा कर दी थी, लेकिन 1 जनवरी 2019 से इस फैसले को प्रभाव में लाया जा रहा है। प्लास्टिक बैन के फैसले का राज्य के लोगों ने पूरे दिल से स्वागत किया है और अब इसलिए बहुत से लोग दैनिक जरूरतों के लिए प्लास्टिक की जगह पारम्परिक और इको-फ्रेंडली तरीके ढूंढ रहे हैं।
बहुत से स्थानीय दुकानदारों ने खाने और सामान की पैकिंग के लिए केले और सुपारी के पत्तों से बनी प्लेटों का इस्तेमाल करना शुरू किया है तो वहीं नारियल-पानी विक्रेताओं ने भी प्लास्टिक के स्ट्रॉ की जगह पपीते और बांस की स्ट्रॉ को दे दी है।
मदुरै के निवासी और एक जैविक किसान, थंगम पांडियन को ख़ुशी हुई जब मारवांकुलम बस स्टॉप पर उन्होंने एक नारियल-पानी विक्रेता को प्लास्टिक स्ट्रॉ की जगह पपीते के डंठल को इस्तेमाल करते हुए देखा। थंगम ने कहा कि बहुत से पपीता फार्म से ये डंठल आसानी से इकट्ठे किये जा सकते हैं और साथ ही, धूप में थोड़ा सुखाने के बाद ये डंठल प्लास्टिक स्ट्रॉ के जैसे आसानी से मुड़ते भी नहीं है।
इस नारियल पानी विक्रेता की ही तरह तिरुनेलवेली जिले के तेनकासी शहर में भी एक विक्रेता ने ग्राहकों को नरियल पानी पीने के लिए बांस की स्ट्रॉ देना शुरू किया है।
तेनकासी के रहने वाले जे. शनमुगा नाथन ने तेनकासी और इदैकल के बीच एस्सार पेट्रोल पंप के पास एक प्रसिद्ध नारियल-पानी विक्रेता के बारे में बताया। नाथन ने कहा, “सड़क के दूसरी तरफ उसे बहुत से बांस के तने पड़े मिले, जिनसे उसने स्ट्रॉ बनाने की सोची। एक बांस से वह लगभग 6 से 10 स्ट्रॉ बना सकता है।”
नारियल पानी को बांस की स्ट्रॉ से पीने पर एक अलग ही स्वाद आता है। नाथन को इस नारियल पानी विक्रेता की इस सोच ने काफ़ी प्रभावित किया। हालांकि, उनका मानना है कि सरकार का यह कदम तभी सार्थक होगा जब बड़ी कॉर्पोरेट कंपनी और ब्रांड्स भी इसमें अपना योगदान दें।