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चार्ज करते हैं 4 इलेक्ट्रिक वाहन, फिर भी बिजली बिल हुआ 70% तक कम

अगर किसी घर में 10 से ज्यादा बल्ब, ट्यूबलाइट, पंखें, छह एसी, दो फ्रिज और गीजर जैसे उपकरणों के साथ, चार इलेक्ट्रिक वाहन भी हों, तो क्या यह मुमकिन है कि उनका महीने भर का बिजली बिल, 10 हजार रुपए से कम आए? तो जवाब है, जी हां! ऐसा मुमकिन है। उत्तर प्रदेश के एक परिवार ने सोलर प्लांट (solar panel at home) का इस्तेमाल कर, अपने बिजली बिल में भारी बचत की है। इतने सारे उपकरणों का इस्तेमाल करने के बावजूद, इस परिवार को महीने में तीन से चार हजार रुपए का ही बिजली बिल आता है।

लखनऊ में रहने वाले 51 वर्षीय राकेश कुमार वर्मा और उनके परिवार वाले, तीन इलेक्ट्रिक स्कूटर और एक इलेक्ट्रिक कार का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा, उनके दो मंजिला घर में 10 से ज्यादा बल्ब-पंखों के साथ ही, AC जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का भी भरपूर इस्तेमाल होता है। पिछले तीन सालों से वर्मा परिवार, बिजली के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग कर रहा है। जिसके कारण, उनका बिजली बिल 70% तक कम हुआ है। 

राकेश कुमार वर्मा ने द बेटर इंडिया को बताया, “हमारा संयुक्त परिवार है और हमारे दो मंजिला घर में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की कोई कमी नहीं है। हम सभी पिछले छह साल से, इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पहले गर्मियों के मौसम में, हमारा बिजली बिल हर महीने लगभग 12 हजार रुपए तक आता था। लेकिन, जबसे हमने छत पर सोलर प्लांट (solar panel at home) लगाया है, तबसे हमारा बिजली बिल बहुत ही कम हो गया है। इसके साथ ही, पेट्रोल पंप पर भी हमारी निर्भरता कम हुई है। क्योंकि, हमारे पास सिर्फ एक डीजल गाड़ी है, जो बहुत ही कम इस्तेमाल होती है।”

Rakesh Kumar and His Daughter Shweta

सब्सिडी पर लगवाया सोलर प्लांट: 

राकेश ने आगे बताया, “हमें सोलर प्लांट लगवाने की चाह काफी समय से थी। लेकिन, कुछ साल पहले तक यह बहुत महंगा था। इसलिए, सोलर प्लांट लगवाना किफायती नहीं लग रहा था। लेकिन, पिछले चार-पाँच सालों में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में, काफी काम हुआ है, जिससे अब इसकी कीमतें भी कम हुई हैं। साथ ही, सरकार भी इस क्षेत्र में अच्छा काम कर रही है। हमने लगभग तीन साल पहले, सोलर रूफटॉप योजना के तहत सब्सिडी पर सोलर प्लांट लगवाया था।”
उनके घर में, कुल छह किलोवाट ऊर्जा की क्षमता का सोलर प्लांट (solar panel at home) है, जिसमें से एक किलोवाट सोलर प्लांट ‘ऑफ ग्रिड’ यानी बैटरी आधारित है और दूसरा, पाँच किलोवाट सोलर प्लांट ‘ऑन ग्रिड’ यानी नेट मीटर आधारित है। इस पूरे सिस्टम को लगवाने में उनका खर्च तीन लाख रुपए से ज्यादा आया, जिसमें से उन्हें एक लाख पाँच हजार रुपए की सब्सिडी मिली। 

राकेश कहते हैं, “सोलर प्लांट लगवाने में हमने जितने पैसे खर्च किए थे, उसे हम बिजली बिल में बचत करके वापस ले चुके हैं। बैटरी आधारित सोलर प्लांट से जो बिजली बनती है, हम उसे सीधा घरेलू इस्तेमाल में लेते हैं। इसके अलावा, नेट मीटर आधारित सोलर प्लांट (solar panel at home) से बनने वाली बिजली ग्रिड में जाती है। हमने ग्रिड से कितनी बिजली इस्तेमाल में ली और सोलर प्लांट ने कितनी बिजली ग्रिड में भेजी, इसके आधार पर हमारा बिजली बिल आता है।”

राकेश ने बताया कि उनके घर में वॉशिंग मशीन, तीन गीज़र दो फ्रिज के साथ, रसोई के दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी हैं। गर्मियों के महीनों में उनके घर में छह एसी इस्तेमाल होते हैं। लेकिन, फिर भी उनका बिजली बिल मुश्किल से चार हजार रुपए ही आता है। सर्दियों के मौसम में, यह बिल और भी कम हो जाता है।

Solar Plant

पेट्रोल-डीजल का खर्च भी अब न के बराबर: 

राकेश ने बताया कि वह और उनके बड़े भाई, सुरेश कुमार वर्मा हमेशा से ही, पर्यावरण के अनुकूल तकनीक को पसंद करते हैं। इसलिए, लगभग पाँच-छह साल पहले जब ई-स्कूटर का चलन बढ़ने लगा, तो उन्होंने अपने घर के लिए भी एक ई-स्कूटर खरीद लिया। वह कहते हैं, “बहुत से लोगों को लगता है कि ई-वाहन, पेट्रोल-डीजल के वाहनों की तरह कामयाब नहीं है। लेकिन, मेरा मानना है कि अगर आप इनका सही से इस्तेमाल करें, तो ई-वाहन भी आपको अच्छे नतीजे देते हैं। सबसे बड़ी बात है कि पेट्रोल-डीजल के वाहनों की तरह, ई-वाहनों की देखरेख पर आपको अलग से खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती है।”

फिलहाल, वर्मा परिवार के पास तीन ई-स्कूटर और एक ई-कार है। अपने सभी कामों के लिए, उनका परिवार ई-वाहन ही इस्तेमाल करता है। राकेश कहते हैं, “ई-स्कूटरों को पूरा चार्ज होने में, लगभग चार घंटे लगते हैं और वह भी तब, जब उनमें बिल्कुल भी बैटरी न हो। इसी तरह, ई-कार भी साढ़े चार घंटे में पूरी तरह से चार्ज हो जाती है। हम बस सभी वाहनों की चार्जिंग का ध्यान रखते हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर इन्हें तुरंत इस्तेमाल में लिया जा सके।” 

राकेश वर्मा की बेटी, श्वेता अपने कॉलेज के समय से ई-स्कूटर का इस्तेमाल कर रही हैं। वह कहती हैं, “मुझे ई-स्कूटर चलाते हुए लगभग पाँच साल हो गए हैं। पहले मैं कॉलेज आने-जाने के लिए, इसका इस्तेमाल करती थी और अब ऑफिस के लिए भी, ई-स्कूटर का ही इस्तेमाल करती हूँ। अगर मैं अपने किसी दोस्त के साथ घूमने जाती हूँ, तब भी ई-स्कूटर ही ले जाती हूँ। क्योंकि, उनके पेट्रोल-डीजल वाले स्कूटर और बाइक के मुकाबले, यह बहुत ही किफायती और पर्यावरण के अनुकूल है।” 

They have 4 Electric Vehicle

राकेश बताते हैं कि वह डीजल से चलने वाली कार का इस्तेमाल सिर्फ तब करते हैं, जब उन्हें शहर से कहीं बाहर लंबी यात्रा पर जाना हो। एक साल में वह मुश्किल से तीन-चार बार ही, ऐसी किसी लंबी यात्रा पर जाते हैं और पिछले एक साल से वह कहीं बाहर नहीं गए हैं। इसलिए, पिछले एक साल में डीजल पर भी, न के बराबर ही खर्च आया है। वह कहते हैं, “अब इससे अच्छा क्या हो सकता है कि हमारे पैसे भी बच रहे हैं और हम पर्यावरण की रक्षा भी कर रहे हैं।” 

आज के जमाने में, जहाँ लोग बढ़ते बिजली बिल और पेट्रोल-डीजल की कीमतों के साथ-साथ, पर्यावरण को लेकर परेशान हैं। वहीं, वर्मा परिवार लोगों के लिए एक अच्छी मिसाल पेश कर रहा है। 

राकेश अंत में कहते हैं कि हर एक परिवार के लिए, एकदम से सोलर प्लांट लगवाना या ई-वाहन अपनाना मुमकिन नहीं है। क्योंकि, सभी की आर्थिक स्थिति और जरूरतें अलग हैं। लेकिन, जो परिवार ऐसा करने में सक्षम हैं, उन्हें ऐसा जरूर करना चाहिए। खासकर कि आज के समय में, जब सरकार भी स्वच्छ और हरित ऊर्जा अपनाने पर जोर दे रही है।

अगर आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है और आप वर्मा परिवार से संपर्क करना चाहते हैं, तो उन्हें shweta.94verma@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

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