भरुच (गुजरात) के कमलेश कोसमिया पेशे से एक शिक्षक हैं और पर्यावरण प्रेमी भी। उनका हमेशा से मानना रहा है कि बच्चों को भी पेड़-पौधे और प्रकृति से जोड़े रखना बेहद जरूरी है, तभी उनका संपूर्ण विकास संभव है।
वह कहते हैं, “कल को सुरक्षित करने के लिए. हमें आज अपने बच्चों को प्रकृति से जोड़ना होगा, नहीं तो फिर न आस-पास हरियाली होगी और न ही विकास।”
उन्होंने अपनी इस सोच को अपने जीवन में बखूबी उतारा है। साल 1984 से वह भरुच जिले में सरकारी शिक्षक के तौर पर काम कर रहे हैं और तब से ही स्कूल में बच्चों को पेड़-पौधों से प्यार करना भी सिखा रहे हैं।
सबसे पहले वह भरुच के डेडियापाड़ा में पढ़ाते थे। उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाका होते हुए भी, वहां के लोगों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति अच्छी जागरूकता थी। गांव की जीवन शैली और पौधों से प्यार देखकर उन्होंने स्कूल को भी गांव के अनुसार हरा-भरा बनाने का प्रयास किया। लेकिन मात्र चार साल में ही उनका ट्रांसफर वालिया तालुका में हो गया, यहां भी उन्होंने पुराने स्कूल की तरह ही पौधे लगाने का काम जारी रखा।
वह कहते हैं, “न सिर्फ स्कूल बल्कि, मैं जहां जगह मिलती है वहां कुछ-कुछ पौधे लगाता रहता हूँ।” स्कूल में उन्होंने हर तरह के वेस्ट का उपयोग करके एक सुन्दर गार्डन तैयार किया है।
जब पौधों की संख्या बढ़ने लगी, तब खाद की जरूरत भी ज्यादा पड़ने लगी। तभी उन्होंने स्कूल में ही एक प्रयोगशाला बनाई और गीले कचरे से खाद बनाने का काम शुरू किया। कमलेश, खुद बच्चों को कचरे से खाद बनाने और पौधे लगाने का काम भी सिखाते हैं। इस प्रायोगशाला का नाम उन्होंने ‘पर्यावरण प्रयोगशाला’ रखा है।
बच्चों को भी सिखाते हैं पौधे लगाना
स्कूल के बच्चे भी इस काम में उनका साथ देते हैं। लेकिन पौधों को पानी देने और बाकि की देखभाल के लिए वह सालों से स्कूल के समय से दो तीन घंटे पहले आते हैं।
इतना ही नहीं, उन्होंने कबाड़ के सामान से एक बढ़िया रीडिंग लाइब्रेरी भी बनाई है। गार्डन में बनी इस ओपन लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ना बच्चों को बेहद पसंद भी है। पूरे गार्डन को वेस्ट से बेस्ट के तर्ज पर बनाया गया है, अब तो बच्चे भी अपने घर या आस-पास से वेस्ट चीजें लेकर पौधे लगाने का काम करना सीख गए हैं। न सिर्फ पौधे, बल्कि पक्षियों के लिए पानी के पियाउ भी स्कूल गार्डन में बने हैं। जहां बच्चे खुद की जिम्मेदारी पर पानी भरते हैं।
उन्होंने बताया, “यह एक इंडस्ट्रियल इलाका है, इसलिए यहां प्रदूषण की समस्या भी है। इस समस्या का हम कोई समाधान नहीं दे सकते, लेकिन ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाकर थोड़ी ताज़ी हवा का आनंद तो ले ही सकते हैं। मैंने पिछले 22 सालों में हजारों पौधे स्कूल और आस-पास के इलाके में लगाए हैं।”
कमलेश, बच्चों को जीवन का वह अनमोल ज्ञान दे रहे हैं, जिससे वह न सिर्फ अपना विकास करेंगे, बल्कि हमारी पृथ्वी को भी सुरक्षित कर सकेंगे।
आप कमलेश कोसामिया से बात करने के लिए उन्हें 9879964656 पर संपर्क कर सकते हैं।
संपादन-अर्चना दुबे
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