दि ल्ली के रहने वाले राजीव चावला और उनकी पत्नी शालिनी के लिए शायद शुक्रवार की वो रात किसी बुरे सपने से कम न होती, अगर जगजीत, सतनाम और गुरमीत वक़्त पर उनकी मदद को न आते।
“4 अक्टूबर 2019 की रात को मैं और मेरी पत्नी बाहर गए हुए थे। बाहर बारिश हो रही थी। हमें लगा थोड़ी देर में बारिश रुक जाएगी। पर बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। हम गुड़गाँव की तरफ जा रहे थे, और जैसे ही हम एक लेन में मुड़े तो अचानक बाढ़ जैसी स्थिति हो गयी,” राजीव ने बताया।
कुछ ही देर में राजीव और शालिनी की कार तैरने लगी और उसे कंट्रोल कर पाना मुश्किल हो गया। स्थिति गंभीर होती जा रही थी और अब इस जोड़े के पास कार से उतरने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।
“हमने किसी तरह कार के दरवाज़े को धक्का देकर खोला और बाहर निकल आये। रास्ते के किनारे कई लोग खड़े थे। मदद करना तो दूर वो लोग उल्टा हम जैसे आने-जाने वालों का मज़ाक उड़ा रहे थे,” राजीव ने याद करते हुए बताया।
वहां करीब 100 लोग खड़े थे पर इस दम्पति के मुताबिक कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया। लोग वीडियो बना रहे थे, शर्त लगा रहे थे कि अगली कौनसी कार तैरने लगेगी, पर किसी में भी इतनी इंसानियत नहीं थी कि वो फंसे हुए लोगों के कुछ काम आ जाते।
ऐसे में राजीव और शालिनी ने एक दुकान पर जाकर शरण लेनी चाही। पहले तो दुकानदार ने मना कर दिया पर फिर शालिनी को देखकर उसने इन्हें शरण दे दी। पर अब एक और मुसीबत उनके आगे खड़ी थी। रास्ते के बीचो-बीच खड़ी होने की वजह से उनकी कार किसी भी गाड़ी से टकरा सकती थी। राजीव ने सोचा कि वह जाकर कार को किसी सुरक्षित जगह पर खड़ी कर दें। अकेले इस काम को कर पाना नामुमकिन सा था। शालिनी भी बहुत घबराई हुई थी। पर रास्ते पर आते-जाते लोगों के साथ कोई हादसा न हो जाये यह सुनिश्चित करने के लिए राजीव को यह कदम उठाना ही था। बहुत हिम्मत करके जैसे ही राजीव रास्ते की ओर बढ़े तो तीन लोगों ने उनकी ओर मदद का हाथ बढ़ाया। ये तीन लोग थे गुरमीत सिंह, सतनाम सिंह और जगजीत सिंह।
“जगजीत, सतनाम और गुरमीत किसी फ़रिश्ते की तरह हमारी मदद के लिए आ गए। उन तीनों ने बिना कहे ही कार को कम से कम 400 मीटर तक धक्का लगाया और मैं स्टीयरिंग संभालता रहा। आखिरकार हमारी कार एक सुरक्षित जगह पर थी,” राजीव ने बताया।
राजीव और शालिनी को सुरक्षित करते ही ये तीनों बाकि फंसे हुए लोगों की मदद करने में जुट गए। राजीव ने भी एक टैक्सी ड्राइवर की गाड़ी को हटाने में इन तीनों की मदद की। इन तीनों ने सिर्फ आते-जाते लोगों की मदद ही नहीं, बल्कि इन्होंने ट्रैफिक सँभालने का भी काम किया ताकि जाम न लग जाए।
“इस घटना को कई दिन हो गए हैं, लेकिन अभी भी हम उस दिन को याद करके सिहर उठते हैं। अगर उस दिन ये तीनों न होते तो न जाने हमारा क्या होता,” राजीव याद करते हुए कहते हैं।
जब इन तीन भले लोगों में से एक जगजीत से द बेटर इंडिया ने संपर्क किया तो उन्होंने इस घटना के बारे में बात करते हुए कहा,”हम तीनों ने वही किया जो हमें करना चाहिए था। राजीव और शालिनी को देखकर मैंने सोचा कि क्या होता जो मैं और मेरी पत्नी इस स्थिति में फंसे होते? तो हम भी तो उम्मीद करते कि कोई हमारी मदद करें। बस हमने भी वही किया।”
आज के समय में जब लोग बिना स्वार्थ के किसी के लिए कुछ करने के लिए तैयार नहीं होते, ऐसे में अपनी जान जोखिम में डालकर भी अनजान लोगों की मदद करने वाले गुरमीत, सतनाम और जगजीत जैसे लोग इंसानियत पर हमारा विश्वास बनाएं रखते हैं। इन तीनों के इस जज़्बे को सलाम!