व्हीलचेयर पर होते हुए भी अपनाया 30 स्पेशल बच्चों को, उनके लिए उगाती हैं जैविक सब्ज़ियां

Prem Illam

तमिलनाडु की डी इंद्रा ने तमाम मुश्किलों के बावजूद उच्च शिक्षा प्राप्त की और आज वह 30 अन्य विकलांग बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का काम कर रही हैं। इसके अलावा, वह कोरोना महामारी के कारण परेशान लोगों की मदद भी करती हैं।

तमिलनाडु की रहनेवाली डी इंद्रा, व्हीलचेयर के सहारे चलती हैं। वह लगभग चार साल की थीं, जब उन्हें मानसिक व शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए बने आश्रयगृह में भर्ती कराया गया था। उस दौरान इंद्रा, अपने माता-पिता और बड़ी बहन से वीकेंड पर ही मिल पाती थीं। इसलिए वह अपनों से दूर रहने के दर्द और ऐसे बच्चों की जरूरत को अच्छे से समझती हैं। 

आज, इंद्रा 36 साल की हैं और COVID-19 महामारी और लॉकडाउन के दौरान, अपने गाँव के ज़रूरतमंद लोगों की मदद कर रही हैं। तमिलनाडु के सिरुनल्लूर गांव में, वह प्रेमा वासम  नाम की एक संस्था चलाती हैं। इस संस्था के अंतर्गत ही, वह प्रेम इल्लम नाम का एक आश्रयगृह भी चलाती हैं, जो विकलांग बच्चों का घर है।

साल 2019 में, इंद्रा ने प्रेमा इल्लम में रहनेवाले बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जैविक खेती करनी शुरू की थी। पिछले साल जब लॉकडाउन हुआ, तो उन्होंने अपने खेत की उपज को बढ़ा दिया। ताकि वह अपने गांव के आर्थिक रूप से कमजोर या COVID-19 के कारण प्रभावित लोगों को भोजन मुहैया करा सकें। उस दौरान, वह उन बच्चों के भोजन का भी ध्यान रखने लगीं, जिनके माता-पिता वायरस से संक्रमित थे।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए इंद्रा कहती हैं, “हम खेती के एक च्रक में तक़रीबन 25 बोरी चावल उगाते हैं, जो हमारे संस्था के बच्चों की जरूरत के हिसाब से काफी है। बाकी का बचा हुआ आनाज, हम आस-पास के गांव के जरुरतमंद लोगों में बांट देते हैं। हम अपने आश्रयगृह के कंपाउंड में कुछ सब्जियां और फल भी उगाते हैं। महामारी के कठिन दौर में, हम जैविक खेती से लोगों तक खाना पहुंचा पाए, इसकी मुझे बेहद खुशी है।” 

Inspiring woman D Indra

उनके खेत, गांव से कुछ दूरी पर हैं, जहां वह समय-समय पर जाती रहती हैं। 

इंद्रा, प्रेम इल्लम  में रहतीं हैं। वह, करीब 30 विकलांग लड़कियों के लिए माँ के समान हैं। लेकिन, उनमें से कुछ ही उनके जीवन की प्रेरक कहानी के बारे में जानती हैं। 

जब इंद्रा सिर्फ पांच महीने की थीं, तब उन्हें पोलियो हो गया था। जिसके कारण उनमें 90% विकलांगता आ गई थी। उनके माता-पिता ने उन्हें चेन्नई स्थित बच्चों के लिए बनी एक विशेष संस्था में डाल दिया। उन्हें उम्मीद थी कि एक दिन वह जरूर चलने लगेंगी। शुरुआत में उन्होंने कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी और संस्था में आकर ही, उन्होंने पढ़ना-लिखना सीखा। वहां मौजूद बाकी बच्चे खिलौनों के प्रति आकर्षित होते थे, लेकिन इंद्रा को किताबें पढ़ना पसंद था। हालाँकि, उनके परिवार की ओर से उनके पढ़ने के सपने और करियर के लक्ष्यों को, कभी प्रोत्साहन नहीं दिया गया था।

 नई शुरुआत

इंद्रा के जीवन में असल बदलाव तब आया, जब वह सेल्विन रॉय के सम्पर्क में आईं। पेशे से क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट सेल्विन, भारत और श्रीलंका के आश्रयगृहों में रहनेवाले बच्चों की सेवा के लिए काम करते थे। 

feeding the hungry at prem illam shelter home

इंद्रा के उत्साह और सीखने की जिज्ञासा से प्रभावित होकर, सेल्विन ने विकलांग बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का फैसला किया। उन्होंने, साल 1999 में प्रेमा वासम  नाम की संस्था शुरू की।  

इंद्रा, सेल्विन को अपना भाई मानती हैं। वह कहती हैं, “सेल्विन भाई ने मुझ पर विश्वास किया और मेरे माता-पिता को समझाया कि मैं भी सामान्य बच्चों की तरह स्कूल जा सकती हूं। लेकिन मेरे माता-पिता नहीं चाहते थे कि स्कूल में मेरी कमजोरियों का मजाक बने। साथ ही उन्हें मेरी सुरक्षा का भी डर था। लेकिन सेल्विन भाई ने मुझे हिम्मत दिलाई और समझाया कि यह थोड़ा मुश्किल जरूर होगा पर वह मेरा साथ देंगे।”  

शुरुआत में कई स्कूलों ने इंद्रा को एडमिशन देने से मना कर दिया। कुछ स्कूलों ने तो इसलिए ना कहा, क्योंकि वहां ऐसे बच्चों के लिए बुनियादी सुविधाएं नहीं थीं। वहीं, कुछ ने यह कहकर मना कर दिया कि यह स्कूल में पढ़ते बाकि बच्चों के लिए सहज नहीं होगा। कुछ समय बाद आख़िरकार, एक स्कूल में उन्हें कक्षा 8 में एडमिशन मिल गया। 

वह बताती हैं, “मैंने अपने जीवन के पहले 10-12 साल संस्था में या घर पर ही बिताए थे। इसलिए मैं बाहर की दुनिया, इसके लोग, समाज की व्यवस्था आदि से पूरी तरह से अनजान थी। मैं शारीरिक या मानसिक रूप से विकलांग बच्चों के साथ ही रही थी, लेकिन अब मुझे सामान्य बच्चों के साथ रहना था। मुझे न केवल अपने नए स्कूल में पाठ्यक्रम के साथ ताल-मेल बिठाना था, बल्कि अपनी उम्र के अन्य बच्चों के साथ रहना भी पड़ता था। हर दिन स्कूल से  मैं रोती हुई वापस आती और सेल्विन भाई से शिकायत करती थी। लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय, मुझे सिखाने के लिए कड़ी मेहनत की। वह मुझे खुद स्कूल भी ले जाते थे।”

सेल्विन ने उससे एक बार कहा था कि बार-बार असफल होना ठीक है, लेकिन हार मानना नहीं। इंद्रा ने इस बात को हमेशा अपने ज़हन में रखा और इसी से उन्हें पढ़ाई में और अच्छा करने की प्रेरणा मिली। 

inspiring woman D Indra at her graduation ceremony

अगले ही साल, जब इंद्रा ने 9वीं कक्षा में अपना स्कूल बदला, तो उन्हें सौभाग्य से बहुत सहायक और मिलनसार दोस्त मिल गए। स्कूल प्रशासन ने भी उसकी क्लास को ग्राउंड फ्लोर पर शिफ्ट कर दिया, ताकि उन्हें सीढ़ियां ना चढ़नी पड़ें। इससे उनका आत्मविश्वास और मनोबल काफी बढ़ा। शायद यही कारण था कि उन्होंने SSLC बोर्ड की परीक्षा में 420/500 नंबर हासिल किए। 

उन्होंने आगे चलकर, सेंट जोसेफ कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया और अन्ना यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इंद्रा बताती हैं,  “मेरे साथ पढ़नेवाले दोस्तों और शिक्षकों ने कॉलेज के दौरान मेरी बहुत मदद की,  जिससे मेरी कई मुश्किलें कम हो गईं। मेरे दोस्त मुझे एक लेक्चर से दूसरे लेक्चर तक ले जाते थे।”

अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ, उन्होंने न केवल ग्रेजुएशन में डिस्टिंक्शन हासिल किया, बल्कि कंप्यूटर एप्लीकेशन में मास्टर डिग्री भी ली। 

 नौकरी के बजाय, चुनी समाज सेवा

पढ़ाई के बाद जब, उन्हें नौकरी के लिए प्रस्ताव मिलने लगे, तो इंद्रा ने प्रेम इल्लम के साथ काम करने का विकल्प चुना। वह विशेष बच्चों के लिए वही बनना चाहती थीं, जो सेल्विन उनके लिए थे। इसलिए साल 2017 में, वह प्रमुख के रूप में संस्था में शामिल हो गईं और तब से वहीं काम कर रही हैं।

वह आगे कहती हैं, “यहां संस्था में हम 30 लड़कियों की देखभाल करते हैं, जिनमें से पांच स्कूल जा रही हैं। और बाकी होम-स्कूलिंग में पढ़ती हैं। मैंने इन बच्चों की मदद करने के लिए स्पेशल बी.एड की विशेष डिग्री भी हासिल की है।”

Premillam shelter home. Woman on wheelchair cuddling a child

सेल्विन, जो उनके जीवन में एक सहारे के रूप में हमेशा मौजूद थे, वह इंद्रा की प्रशंसा में कहते हैं, “इंद्रा बहुत मेहनती, महत्वाकांक्षी और दूसरों की मदद करने वाली हैं। वह बच्चों का बहुत ख्याल रखती हैं। साथ ही, जिस तरह से वह समाज की मदद कर रही हैं, यह देख कर मुझे काफी खुशी मिलती है।”

फिलहाल यह संस्था, डोनेशन पर चल रही है। इंद्रा और उनकी टीम को डोनेशन की जरूरत भी है, ताकि बच्चों के लिए बिस्तर, पशुओं के लिए चारा और एक सोलर पैनल के लिए पैसे जमा हो सकें।

संस्था के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें और डोनेशन के लिए जरूरी जानकारी नीचे दी गई है। 

Account Number: 6893753941

Account Name: PREM ILLAM

Account type: Savings

IFSC code: IDIB000M072

Bank Name: Indian Bank

Branch Name: Madurantakam

मूल लेख- गोपी करेलिया

संपादन-अर्चना दुबे

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