लागत सिर्फ 10 हज़ार और कमाई लाखों में! इनसे जानिए, फ़ूड प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग लेने के फायदेे

Food Processing Training

भठिंडा, पंजाब की बलविंदर कौर ने सिर्फ 10 हज़ार रुपये में अपना फूड स्टार्टअप- ज़ेबरा स्मार्ट फूड्स शुरू किया था और आज वह इससे हर महीने एक लाख रुपये कमा रहीं हैं।

“कुछ नया शुरू करने की कोई तय उम्र नहीं होती है। घर में खाली बैठने से बेहतर है कि हम कुछ न कुछ सीखते रहें और अपनी एक पहचान बनाने पर काम करें।” यह कहना है पंजाब की महिला ऑन्ट्रप्रनर बलविंदर कौर सिद्धू का। 52 वर्षीया बलविंदर कौर पंजाब के भठिंडा में अपना फूड स्टार्टअप- ज़ेबरा स्मार्ट फूड्स चला रही हैं। जिसके जरिए वह अचार, चटनी, मुरब्बा, मल्टीग्रेन आटा, स्क्वॉश और बिस्कुट जैसे खाद्य उत्पाद ग्राहकों तक पहुँचाती हैं। घर पर रसायन मुक्त तरीकों से बने उनके स्वस्थ और स्वादिष्ट व्यंजनों की मांग, पंजाब के बाहर गुरुग्राम और नोएडा जैसे शहरों में भी है। 

सबसे दिलचस्प बात यह है कि बलविंदर ने अपने व्यवसाय की शुरुआत 2018 में अपने घर से ही की थी। लगभग दो सालों तक, घर से दिन-रात मेहनत करने के बाद उन्होंने फरवरी 2020 में शहर में अपनी छोटी सी दुकान भी शुरू की। आज न सिर्फ लोग अपने घरों के लिए, उनसे व्यंजन खरीदते हैं बल्कि कई लोग उनसे ज्यादा मात्रा में चीजें खरीद कर आगे बेचते भी हैं। इस तरह से, बलविंदर कौर का व्यवसाय न सिर्फ उन्हें एक पहचान दे रहा है बल्कि बहुत से लोगों के लिए, अच्छे रोजगार का साधन भी बन रहा है। 

बलविंदर कौर ने द बेटर इंडिया को विस्तार से अपने सफर के बारे में बताया, “मैंने पंजाबी विषय में एमए की है। शादी के बाद घर-परिवार की जिम्मेदारियां आ गई तो नौकरी कभी नहीं की। लेकिन, हमेशा से मन था कि अपना कोई व्यवसाय शुरू किया जाए।” 

कृषि विश्वविद्यालय से ली ट्रेनिंग: 

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बलविंदर कौर

बलविंदर कौर कभी भी खाली नहीं बैठना चाहती थीं। इसलिए, वह अपने घर से ही कुछ न कुछ करने की कोशिश करती रहीं। पहले उन्होंने अपने घर में ‘पेइंग गेस्ट/पीजी’ का काम शुरू किया। हालांकि, कुछ सालों में ही उन्होंने यह काम बंद कर दिया। क्योंकि इसमें कई परेशानियां थी। इसके बाद, उन्होंने बुटीक या ब्यूटीशियन का काम करने के बारे में सोचा। उन्होंने ब्यूटीशियन की ट्रेनिंग भी ली। लेकिन, वह कभी भी इस सेक्टर में आगे नहीं बढ़ी क्योंकि, उनका पैशन कुछ और था। 

वह बताती हैं, “मुझे हमेशा से ही तरह-तरह के अचार, मुरब्बा आदि बनाने में दिलचस्पी रही है। मैंने घर में अपनी दादी और माँ को हमेशा मौसम के हिसाब से, कई तरह के अचार बनाते हुए देखा था। कभी खट्टा अचार तो कभी मीठा और कभी खट्टा-मीठा। मैंने उनसे ही तरह-तरह के अचार बनाना सीखा था। मेरे ससुराल में भी सभी को मेरे हाथ की बनाई चीजें पसंद आती है।” खाना बनाने के अपने इसी शौक के चलते बलविंदर ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लिया। 

उन्होंने बताया, “वहाँ पर हमें अचार और चटनी बनाने की ट्रेनिंग दी गयी। यूनिवर्सिटी में सबकुछ एक प्रक्रिया से सिखाया गया ताकि हम जो भी व्यंजन बनाएं, इसका स्वाद और पोषण बरकरार रहे। ट्रेनिंग से मेरा हौसला बढ़ा और बहुत सी नयी चीजें भी सीखने को मिली।” 

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से अचार और चटनी की ट्रेनिंग लेने के बाद, उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र से फलों के स्क्वॉश और शर्बत बनाने की ट्रेनिंग भी ली। वह बताती हैं कि उन्होंने अपने घर-परिवार के लिए ही अचार बनाना शुरू किया था। उनका बनाया अचार सबको इतना पसंद आया कि लोग उन्हें ऑर्डर देने लगे। आम तौर पर लोग जब उनका अचार चखते हैं तो उन्हें ऑर्डर देना नहीं भूलते। लोगों से मिली प्रतिक्रिया के बाद, बलविंदर का खुद पर विश्वास बढ़ गया और उन्होंने इस व्यवसाय को एक मौका देने के बारे में विचार किया। 

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साल 2018 में, उन्होंने मात्र 10 हजार रुपये से अपना व्यवसाय शुरू किया। वह बताती हैं, “मैंने छोटे स्तर पर काम शुरू किया और सबकुछ अपने घर से ही करती थी। मुझे कई व्यंजन बनाने आते थे लेकिन, व्यवसाय चलाने के लिए और भी स्किल की जरूरत होती है। जिसमें डॉ. गुरप्रीत कौर ढिल्लो ने मेरी काफी मदद की। उनके मार्गदर्शन में ही मैं आगे बढ़ पाई हूँ।” 

डॉ. गुरप्रीत कौर ढिल्लो, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के रीजनल स्टेशन, भठिंडा में बतौर असिस्टेंट फूड टेक्नोलॉजिस्ट नियुक्त हैं। इस केंद्र का उद्देश्य किसानों, महिलाओं और युवाओं को फूड प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बनाना है। डॉ. गुरप्रीत बताती हैं, “इस केंद्र की शुरुआत खासतौर पर इसी उद्देश्य से की गयी कि किसानों और महिलाओं की मदद की जा सके। हम तरह-तरह की ट्रेनिंग देते रहते हैं, जिनमें कोई भी भाग ले सकता है। ट्रेनिंग के बाद, अगर कोई अपना काम शुरू करना चाहता है तो हम उनकी भी मदद करते हैं। जैसे- हमने लाइसेंस, पैकेजिंग और मार्केटिंग आदि में बलविंदर जी की मदद की है।” 

उन्होंने आगे कहा कि बलविंदर बहुत ही मेहनती हैं और उन्होंने न सिर्फ अपना व्यवसाय खड़ा किया है बल्कि वह 10 महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं। उन्होंने आगे कहा, “हमारा उद्देश्य लोगों को सक्षम बनाना ही है। हम खुद भी बलविंदर जैसी बिजनेस वुमन की कहानी लोगों को बताते हैं ताकि वे भी प्रेरित हो सकें। इसलिए, अगर कोई भी फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहता है तो बेहिचक हमसे संपर्क कर सकता है।” 

बनाती हैं लगभग 30 तरह के व्यंजन: 

बलविंदर कौर ने अपनी शुरुआत भले ही अचार और चटनी से की थी लेकिन, आज वह और भी कई तरह के व्यंजन बना रही हैं। अचार की बात करें तो वह मौसमी फल और सब्जियां जैसे आम, नींबू, आंवला, मिर्च, मूली, गाजर आदि का अचार बनाती हैं। वह आंवले की कैंडी और मुरब्बा भी बनाती हैं। साथ ही, सेब का मुरब्बा भी आप उनसे खरीद सकते हैं। आम और अमरूद के स्क्वॉश के अलावा वह सेब, लीची, गुलाब आदि का शर्बत भी बनाती हैं। 

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इसके अलावा, उन्होंने रागी, बाजरा, कोदो, ज्वार, चना आदि को मिलाकर ‘मल्टीग्रेन आटा’ भी बनाना शुरू किया है। यह आटा सामान्य गेहूं के आटा से ज्यादा बेहतर रहता है, खासकर डाइबिटीज के मरीजों के लिए। इसी तरह, वह ग्लूटन-फ्री आटा और बिस्कुट भी बनाकर ग्राहकों को उपलब्ध करा रही हैं। वह बताती हैं, ” ग्राहकों की मांग पर हमने ज्यादातर चीजें बनानी शुरू की है। जैसे-जैसे हमारे ग्राहक बढ़े, हमारे काम का स्तर और मेन्यू भी बढ़ा है। बहुत से लोगों को गेहूं में मौजूद ‘ग्लूटन’ से एलर्जी मिलती है इसलिए, हमने फाइबर युक्त तथा ग्लूटन फ्री आटा और बिस्कुट भी बनाना शुरू किया है।” 

उन्होंने अपने व्यवसाय की मार्केटिंग ज्यादातर व्हाट्सऐप और फेसबुक के जरिए ही की है। इसके अलावा, वह कई बार अलग-अलग जगह आयोजित होने वाले ‘कृषि मेलों’ या ‘जैविक मेलों’ में भी स्टॉल लगा चुकी हैं। दिल्ली में लगे एक ऑर्गेनिक मेला में उन्होंने स्टॉल लगाया था और वहीं पर उन्हें गुरुग्राम और नोएडा से कई ग्राहक मिल गए। लॉकडाउन के पहले, उनके व्यंजन गुरुग्राम और नोएडा तक पहुँच रहे थे। लेकिन, वर्तमान में उनका काम सिर्फ पंजाब तक ही सीमित है। 

हर महीने लगभग 250 ग्राहकों के ऑर्डर पूरे करने के साथ-साथ वह कई रिसेलर को भी उत्पाद देती हैं। उनके अचार, मुरब्बा आदि खरीदकर आगे ग्राहकों को बिक्री करने वाले रिसेलर, गुरविंदर सिंह बताते हैं कि उन्होंने साल 2021 की शुरुआत में उनसे सामान खरीदना शुरू किया है। उनके सभी ग्राहकों में, बलविंदर के बनाए व्यंजनों की काफी ज्यादा मांग है। क्योंकि, उनके व्यंजन जैविक तरीकों से बने हुए हैं और बाजार में मिलने वाले अन्य व्यंजनों से काफी ज्यादा बेहतर हैं। इसलिए, अब उन्हें भी संतोष है कि वह ग्राहकों को अच्छी चीज दे रहे हैं और अच्छा कमा रहे हैं। 

बलविंदर कहती हैं कि अपने इस व्यवसाय से वह महीने में एक लाख रुपए तक की कमाई कर लेती हैं। उनका कहना है कि पिछले तीन सालों में उनका व्यवसाय काफी बढ़ा है और तभी आज उन्होंने शहर में अपनी दुकान भी सेटअप कर ली है। आने वाले कुछ सालों में वह अपने व्यवसाय को पूरे भारत में फैलाना चाहती हैं। इसके लिए, वह लगातार मेहनत भी कर रही हैं ताकि वह अपनी एक प्रोसेसिंग यूनिट सेटअप कर पाएं और ज्यादा से ज्यादा लोगों को काम दे सकें। 

अगर आप बलविंदर के बनाए व्यंजन खरीदना चाहते हैं तो उन्हें 7589827287 पर व्हाट्सऐप मैसेज कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा 

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