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एक ओर जहां किसान पराली जलाने को एक आसान हल मानते हैं, वहीं मलेरकोटला के इस किसान ने पराली से, एक महीने में 16 लाख रुपये कमाए

12वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ने वाले गुरप्रीत सिंह कुठाला, मलेरकोटला के कुथला गांव में अपने परिवार की 40 एकड़ ज़मीन पर खेती करते हैं।

गुरप्रीत ने धान की पराली बेचकर एक महीने में 16 लाख रुपये तक की कमाई की है। साथ ही वह पंजाब के दूसरे किसानों को भी पराली का सही इस्तेमाल कर आय बढ़ाने के तरीके समझा रहे हैं।

25 साल के इस किसान ने संगरूर के जैव ईंधन उत्पादन कंपनी के साथ 10,000 क्विंटल धान की पराली देने का एक समझौता किया था।

गुरप्रीत समझौते के मुताबिक पराली मुहैया कराने के लिए लगभग 750 एकड़ ज़मीन से 12,000 क्विंटल पराली इकट्ठा करते हैं। वह अपने खेत के साथ-साथ बधरांवा, खुर्द और चीमा गांवों के किसानों से भी पराली लेते हैं।

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गुरप्रीत की कोशिशों से मलेरकोटला में पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई।

गुरप्रीत, पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में अच्छे से जानते हैं। उन्होंने कृषि अवशेषों के प्रबंधन के पर काम किया और फिर फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत रियायती दरों पर दो रैकर और दो बेलर खरीदे।

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ट्रांसपोर्ट खर्च, श्रम लागत और ईंधन पर होने वाले खर्च को हटा दें, तो भी उन्हें 8 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा हुआ।

गुरप्रीत अब अगली कटाई के मौसम से पहले और मशीनें खरीदने की योजना बना रहे हैं, ताकि वह कम समय में अधिक पराली इकट्ठा कर सकें।

वह अब गन्ने की फसल के अवशेषों को भी इकट्ठा करने की योजना बना रहे हैं। गन्ने की कटाई नवंबर के अंत तक या दिसंबर के पहले सप्ताह में हो जाती है और किसान इसकी पराली को भी जला देते हैं।

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धूरी में एक चीनी मिल है, इसलिए क्षेत्र के किसानों ने 5000 एकड़ से अधिक में गन्ना बोया है। ऐसे में गुरप्रीत इसे उन किसानों से खरीदने का प्लान बना रहे हैं।