5 महिला IAS अधिकारी, जिन्होंने UPSC CSE में सफलता हासिल करने के लिए पार की हर बाधा

श्वेता अग्रवाल

1.

स्टेट टॉपर, ऑल इंडिया रैंक (AIR) 19

Green Leaf
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श्वेता का जन्म पश्चिम बंगाल के एक रूढ़िवादी मारवाड़ी परिवार में हुआ था।

उनके माता-पिता के अलावा, परिवार में किसी ने भी उन्हें सपने देखने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया।

घर में 15 बच्चों के बीच, श्वेता सबसे छोटी थीं, इसके बावजूद, वह ग्रेजुएशन करने वाली घर की पहली लड़की थीं। 

उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में UPSC क्लियर किया।

2.

पूविथा सुब्रमण्यन

ऑल इंडिया रैंक (AIR) 175

तमिलनाडु के एक डेयरी किसान की बेटी पुविथा, अपने परिवार की पहली ग्रेजुएट थीं।

उन्होंने जातिगत भेदभाव, दहेज व लैंगिक असमानता जैसी बुराइयों को बेहद करीब से देखा।

उनके माता-पिता उनकी शादी करना चाहते थे। लेकिन पुविथा ने उन्हें समझाया और UPSC की परीक्षा पास की।

सुरभि गौतम

ऑल इंडिया रैंक (AIR) 50

3.

सुरभि के लिए अंग्रेजी काफी मुश्किल विषय रहा। इसे सुधारने में उन्होंने दोगुनी मेहनत की और 2015 में UPSC क्लियर कर लिया।

"मैं चाहती थी कि मेरे गांव में अच्छी चिकित्सा सेवाएंं, घर-घर में बिजली और तत्कालिक बुनियादी सुविधाएं हों, जिसके लिए मैंने कलेक्टर बनने का सफर शुरू किया।"

सुरभि गौतम

4.

प्रांजल पाटिल

ऑल इंडिया रैंक (AIR)  773

7 साल की उम्र में प्रांजल ने अपनी दोनों आंखों की रोशनी खो दी।

लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें अपने सपनों की उड़ान भरने के लिए मजबूत और स्वतंत्र बनाया।

टेक्नोलॉजी में MPhill की डिग्री हासिल कर, उन्होंने नेत्रहीन व दृष्टिबाधित लोगों के लिए एक सॉफ्टवेयर (JAWS) बनाया।

साल 2016 में उन्होंने अपने पहले प्रयास में ही UPSC क्लियर कर लिया।

5.

अनु कुमारी

ऑल इंडिया रैंक (AIR) 2

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शादी के बाद अनु को लगा कि अगर वह CSE क्लियर कर लेंगी, तो सही मायनों में समाज के लिए कुछ कर पाएंगी.

इसलिए साल 2016 में उन्होंने अपनी कॉर्पोरेट जॉब छोड़ दी और UPSE की तैयारी करने लगीं।

उन्होंने अपनी पढ़ाई और बच्चे की देख-भाल के बीच शानदार बैलेंस बनाए रखा और अपने दूसरे प्रयास में सफलता हासिल कर ली।