युवाओं में क्यों बढ़ने लगा है हार्ट अटैक का खतरा? कार्डियोलॉजिस्ट से जानिए..

एक समय था, जब हार्ट अटैक को बड़े-बूढ़ों की बीमारी माना जाता था, लेकिन आजकल 30-40 की उम्र वाले भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।

WHO के अनुसार, भारत में 40-69 साल के आयु वर्ग में होने वाली मौतों में से 45% मामले दिल की बीमारियों के होते हैं।

फोर्टिस अस्पताल, वसंत कुंज के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ, डॉक्टर रजनीश सरदाना बता रहे हैं कि इसके पीछे क्या वजह हो सकती है!

डॉ. सरदाना कहते हैं, "दिल को खून की आपूर्ति करने वाली धमनियों में जब प्लॉक जमा हो जाता है और रक्त प्रवाह धीमा पड़ जाता है या रुक जाता है, तो हार्ट अटैक आता है।"

इसके अलावा, युवाओं की लाइफस्टाइल में हो रहे बदलाव से टाइप-2 डायबिटीज़, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर व खराब कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां बेहद तेज़ी से बढ़ रही हैं, जो हार्ट अटैक के खतरे को और बढ़ाती हैं।

वह बताते हैं, "विकसित देशों में जहां ऐसे मामलों की संख्या घट रही है, वहीं भारत जैसे विकासशील देशों में यह बढ़ रही है।"

ज़्यादा स्ट्रेस, अपने डेली रूटीन का ख्याल न रखना, गलत खान-पान, बहुत कम सोना और ज़्यादा शराब व सिगरेट पीने जैसी आदतें आपके दिल को बीमार करने का कारण बन सकती हैं।

डॉ. सरदाना कहते हैं कि इसके अलावा, हार्ट रिलेटेड बीमारी वाले लोगों को जिम में हैवी वर्कआउट करने से दिल पर दबाव बढ़ने का खतरा हो सकता है, जो हार्ट अटैक की वजह बन सकता है।

उन्होंने देखा कि कोविड-19 से रिकवर होने के बाद भी हर उम्र के लोग हार्ट डिज़ीज़ का सामना कर रहे हैं।

अगर 10 मिनट से ज़्यादा देर तक सीने में दर्द, पसीना और बेचैनी महसूस होती है, तो यह हार्ट अटैक का संकेत है।

ऐसे में जल्द से जल्द हॉस्पिटल पहुँचने की कोशिश करें और ECG कराएं।