अभाव में जीवन काटने से लेकर केरल की पहली आदिवासी महिला IAS बनने तक की प्रेरणादायक कहानी
केरल के वायनाड जिले के आदिवासी गांव की रहने वाली श्रीधन्या सुरेश ने बचपन से ही बड़े सपने देखे थे, लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति एक बड़ी चुनौती थी। फिर भी, वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए दृढ़ थीं।
माता-पिता बाज़ार में दिहाड़ी मज़दूरी करते; इसलिए बचपन में श्रीधन्या के पास पढ़ाई-लिखाई की अधिक सुविधाएं तक नहीं थीं। लेकिन उन्होंने हर स्थिति में वायनाड से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद कालीकट में सेंट जोसेफ कॉलेज से जूलॉजी में हायर स्टडीज पूरी की।
इसके बाद उन्होंने एक आदिवासी स्टूडेंट्स के हॉस्टल वार्डन के रूप में काम किया था और वहां पर तत्कालीन कलेक्टर श्रीराम राव ने उन्हें UPSC एग्ज़ाम क्लियर करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके बाद ही श्रीधन्या ने IAS बनने का फैसला किया।
उन्होंने नौकरी छोड़ पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया और अपने दृढ़ संकल्प और समर्पण के कारण ही मेन्स क्लियर करने में सफल हुईं।
इसके बाद भी मुश्किलें खत्म नहीं हुईं। उनके पास इंटरव्यू के लिए दिल्ली जाने के पैसे नहीं थे। ऐसे में उसके दोस्त समर्थन के लिये आगे आये और 40,000 रुपये जमा कर उनकी मदद की।
श्रीधन्या सुरेश ने अपने तीसरे अटेंप्ट में ऑल इंडिया रैंक 410 के साथ सीएसई 2018 में सफलता हासिल की।
श्रीधन्या सुरेश ने अपने तीसरे अटेंप्ट में ऑल इंडिया रैंक 410 के साथ सीएसई 2018 में सफलता हासिल की।
उन्होंने न केवल इंटरव्यू क्रैक किया, बल्कि केरल की पहली आदिवासी महिला आईएएस अधिकारी बनकर अपने माता-पिता का नाम रोशन करने के साथ-साथ देश का नाम भी रोशन किया है।
IAS श्रीधन्या सुरेश देश की सभी महिलाओं के लिए ही नहीं, हर उस युवा के लिए एक मिसाल हैं जो मुश्किल हालातों में भी अपने लक्ष्य को पाने के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं।
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