भारत का एक अनोखा गांव जहां का मुखिया खाता है भारत में और सोता है म्यांमार में,  पढ़ें नागालैंड के लोंगवा गांव की कहानी।

नागालैंड की राजधानी कोहिमा से 389 किमी दूर नॉर्थ ईस्ट में बसा लोंगवा, एक ऐसा गांव है,  जिसका आधा हिस्सा भारत में तो आधा पड़ोसी देश म्यांमार में पड़ता है।

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यहां की खास बात यह है कि, यहां लोकतंत्र के साथ-साथ राजा भी होते है।

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लोंगवा गांव में कोन्याक जनजाति रहती है।

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 इस गांव के मुखिया का घर बेहद अनोखा है। क्योंकि उनके घर के बीच से ही जाती है भारत-म्यांमार की सीमा रेखा।  

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गांव के मुखिया के घर का किचन भारत में है और बेडरूम म्यांमार में।

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कोन्याक आदिवासियों को बेहद ही खूंखार माना जाता है।

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 साल 1940 से पहले तक कोन्याक आदिवासी अपने कबीले और उसकी ज़मीन पर कब्जे के लिए दूसरे लोगों के सिर काट देते थे। इसलिए इन्हें हेड हंटर्स भी कहा जाता था। लेकिन अब इनपर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लग चुका है। 

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यहां की एक और अनोखी बात यह है कि यहां रहनेवाले कुछ लोग  म्यांमार सेना में भी शामिल हैं। 

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 इस गांव के नागरिकों को म्यांमार जानें के लिए किसी भी तरह के वीज़ा की ज़रूरत नहीं पड़ती, क्योंकि दो देशों के बीच बसे इस गांव के लोगों को दोनों ही देशों ने नागरिकता दी हुई है।

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 इस गांव में भले ही दो देशों की सीमा रेखा है, लेकिन लोगों के दिलों में कोई भेदभाव नहीं।  आप भी नागालैंड के इस अनोखे गांव की यात्रा जरूर करें।  

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