आदिवासी कलाकार जंगगढ़ सिंह श्याम, कभी झोपड़ियों की दीवारों और भैंसों की पीठ पर कलाकृतियां उकेरा करते थे। 

लेकिन उन्होंने इस कला और कलाकारों को विदेशों के प्रतिष्ठित संग्रहालयों तक पहुंचाया।

उनका यह सफर शुरू हुआ, मप्र सरकार के कला केंद्र बनाने की योजना से, जिसकी जिम्मेदारी दी गई फेमस आर्टिस्ट जे स्वामीनाथन को

जगदीश स्वामीनाथन

उन्होंने आदिवासी घरों पर बने भगवान हनुमान के चित्रों को देख जंगगढ़ सिंह में छिपी प्रतिभा को पहचाना और अपने साथ भोपाल ले आए 

भोपाल आकर स्वामीनाथन ने युवा जंगगढ़ को कैनवास और एक्रेलिक पेंट से रू-ब-रू कराया और जल्द ही  प्रतिभाशाली जंगगढ़ ने इस नए माध्यम से भी नजदीकियां बना लीं।

दीवारों पर कोयले और भैंसों पर चॉक से बनी कलाकृतियां अब एक नया आयाम लेने लगी थीं और उसके बाद की कहानी ने तो इतिहास लिख दिया।