दोनों ने करीब 3 लाख रुपये का निवेश के साथ सूता लॉन्च किया किया। जिसके बाद उन्होंने कई प्रदर्शनियों का हिस्सा बनना शुरू किया और सोशल मीडिया का सहारा लेकर काम को आगे बढ़ाया।
उन्होंने सोशल मीडिया पर बुनकरों की कहानियों के साथ उनकी तस्वीरें पोस्ट करना और साड़ी के पीछे की कहानी पर चर्चा करना शुरू किया।
आख़िरकार, 1 अप्रैल 2016 को सुजाता और तान्या बिस्वास ने अपने कॉरपोरेट करियर को अलविदा कहा और ‘सूता' को एक बड़ा ब्रांड बनाने का फैसला किया।
बुनकरों के साथ सूता (Suta) का जुड़ाव कोविड-19 महामारी के दौरान और बढ़ गया। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने देशभर के बुनकरों का समूह बनाकर काम करना शुरू किया।
अपने ब्रांड के तहत बुनकर और कारीगर समुदायों को सशक्त बनाने की कोशिश के साथ-साथ, उन्होंने पारंपरिक शिल्पकला पर भी ध्यान केंद्रित किया।