Written by Archana Dubey
इस सोसाइटी में रहने वाले लोग गार्बेज इकट्ठा करते हैं और फिर उससे खाद बनाकर सोसाइट में लगे पौधों में डालते हैं।
4. आर्किड पेटल्स, गुरुग्राम
ऑर्किड पेटल्स के 6000 निवासी हर रोज़ 1,900 किग्रा कचरा उत्पन्न करते हैं। इतने बड़े कचरे के ढेर को छाँटना नगर निगम के अधिकारियों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती साबित हो रहा था। तब सोसाइटी ने ठोस कदम उठाने का फैसला किया और आश्चर्यजनक रूप से, उन्होंने केवल सात महीनों में परिणाम दिए। आज, वे 95 % कचरे को खुद अलग करते हैं।
6. मातोश्री पर्ल, मुंबई
सोसायटी, सेल्फ-सस्टेनिंग वेस्ट मैनेजमेंट करती है, जिसके तहत, किचन वेस्ट को जैविक खाद में बदल दिया जाता है। यहां ऊर्जा संरक्षण के लिए LED का उपयोग होता है और इससे उन्हें हर महीने बिजली बिलों में 40,000 रुपये की बचत हो रही है। 2017 में शुरू किए गए अपने गो ग्रीन अभियान के ज़रिए, सोसायटी ने हर महीने 700-800 किग्रा किचन वेस्ट से 60-70 किग्रा खाद बनाई।
इस कॉलोनी में रहनेवाले लोगों ने पानी जमा होने वाली जगहों की पहचान कर वहां गड्ढे खोदे और साल 2010 में खोदे गए 15 गड्ढों ने उन्हें लाखों लीटर वर्षा जल के संरक्षण में मदद की है।
8. जेआरएन कॉलोनी, विजाग
10. सबरी टेरेस कॉम्प्लेक्स, शोलिंगनल्लूर, चेन्नई
अपने छतों पर एकत्रित वर्षा जल को इकट्ठा करने के लिए, यहां रहनेवालों ने सभी सुलभ टैरेस टॉप को फिर से बदल दिया। लगभग 1,500 फीट के पाइपलाइन नेटवर्क में फैले, लेआउट सभी छतों को दो टैंकों से जोड़ते हैं और हर एक में 3,000-लीटर पानी इकट्ठा होता है।