इस प्राचीन किले के बारे में कहा जाता है कि इसपर भारत में मौजूद बाकी किलों के मुकाबले सबसे ज़्यादा बार आक्रमण हुए हैं।
लेकिन यह बेहद ही पुराना व शानदार किला आज भी शान से खड़ा है।
राजस्थान के हनुमानगढ़ में स्थित 52 बीघों में फैले और 52 बुर्जों वाले इस भटनेर किले का इतिहास काफ़ी दिलचस्प है।
आज से करीब 1738 साल पहले यानी 285 ईस्वी में भाटी वंश के राजा भूपत सिंह ने इसे बनवाया था, इसलिए इसका नाम 'भटनेर किला' पड़ा।
वैसे इसे 'हनुमानगढ़' के नाम से भी जाना जाता है। राजस्थान में चूना पत्थर से बने चंद किलों में यह शामिल है।
पक्की ईंटों और चूने से बना यह किला प्राचीन समय का सबसे मजबूत किला माना जाता है। तैमूर लंग ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-तैमूरी में लिखा है कि उसने इससे मजबूत किला पूरे हिन्दुस्तान में नहीं देखा!
इसपर अकबर से लेकर पृथ्वीराज चौहान तक ने शासन किया है। वहीं अगर विदेशी आक्रमणकारियों की बात करें, तो 1001 ईस्वी में महमूद गजनवी ने इसपर कब्ज़ा कर लिया था।
इसके अलावा, 13वीं सदी में गुलाम वंश के शासक बलबन के चचेरे भाई शेर खां का भी यहां राज रहा। शेर खां की कब्र भी इसी किले में है। वहीं 1398 में यह किला तैमूर लंग के अधीन हो गया था।
इतिहासकारों के अनुसार इस किले से पंजाब के भटिण्डा और हरियाणा के सिरसा तक एक बहुत बड़ी भूमिगत सुरंग थी। विदेशी आक्रमणकारी जब भारत में प्रवेश करते, तो उनका पहला सामना भटनेर से ही होता था।
इसलिए ही भटनेर को भारत का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है।