हौसले की मिसाल IPS अल्ताप शेख; रद्दी की किताबों से पढ़कर पास किया UPSC

आज कहानी उस ज़िद और जुनून की जिसने एक चाय पकौड़े-बेचने वाले को IPS अफ़सर बना दिया। यह कहानी है IPS अफ़सर अल्ताप शेख की!

महाराष्ट्र के एक गरीब परिवार में जन्में अल्ताप के पिता की साइकिल व बाइक रिपेयरिंग की एक छोटी सी दुकान चलाते थे और अम्मी चाय-पकौड़े बेचा करती थीं। अल्ताप भी इसमें उनकी पूरी मदद करते।

फिर भी पूरे परिवार को चलाने के लिए पैसे कभी काफ़ी नहीं होते। लेकिन अल्ताप के सपनों को इस बात से कोई फर्क़ नहीं पड़ा। उन्होंने दिन में काम किया और रात में पढ़ाई।

गरीबी के चलते अल्ताप किताबें खरीद नहीं पाए तो रद्दी की दुकान पर जाकर पढ़ने लगे। ऐसी कई मुश्किलों से लड़ते हुए उन्होंने ग्रेजुएशन पूरा किया और फिर एक पार्ट टाइम नौकरी करते हुए UPSC की तैयारी में जुट गए।

2015 में UPSC पास करके अल्ताप ने इंटेलिजेंस ब्यूरो की नौकरी तो हासिल कर ली लेकिन उनका अफसर बनने का सपना अब भी पूरा नहीं हुआ था।

इसलिए नौकरी के साथ-साथ वह हर साल UPSC की परीक्षा देते रहे।

आखिर साल 2020 में अल्ताप शेख ने UPSC में 545वीं रैंक हासिल कर ली और IPS अफसर बनकर यह साबित कर दिया कि हार तभी होती है जब मान लिया जाता है; जीत ज़रूर होती है अगर ठान लिया जाता है।