पद्मश्री सुभाष पालेकर से प्राकृतिक खेती का गुर सीखकर गिरजा ने खेती का जो मॉडल अपनाया उससे कुछ भी बेकार नहीं जाता, जिससे अच्छी कमाई के साथ वह जमीन की उर्वरकता को भी बढ़ा रहे हैं।
उनके खेतों की उर्वरकता और खेती के तरीके को देखकर वैज्ञानिक भी उन्हें गोद लेना चाहते हैं। गिरजा शंकर मौर्य को प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
इनमें उड़द, हल्दी, अरहर, अमरूद, केला, पपीता, परवल, कुंदरू, धनिया, तरोई, लौकी, कद्दू और नैपियर तक शामिल होते हैं। इसके अलावा वह खेतों की बाउंड्री पर मनोकामिनी लगाते हैं, जो नेचुरल बाउंड्री का काम करती है।