हमारे देश में कई बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें दिन का पहला मील ही नहीं मिल पाता। केरल में मुरीक्कट्टुकुडी के सरकारी जनजातीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के बच्चों का हाल भी कुछ ऐसा ही था।
यहां मुख्य रूप से आदिवासी और बागान में काम करने वाले लोगों के बच्चे पढ़ने आते हैं। माता-पिता तो घर से सुबह जल्दी निकल जाते हैं। ऐसे में, बच्चे घर पर रह जाते हैं और उन्हें खुद से ही अपनी देखभाल करनी होती है।
तब Murikkattukudi tribal HSS में प्राइमरी सेक्शन की टीचर लिंसी जॉर्ज इन बच्चों के लिए मानो फरिश्ता बनकर आईं। उन्हीं के कारण अब इन भूखे बच्चों को गर्म-गर्म नाश्ता मिलेगा।
लिंसी का कहना है कि, कुछ परिवार अपने बच्चों को एक टाइम भी ठीक-ठाक खाना नहीं खिला सकते हैं और सिर्फ स्कूल में मिलने वाला मिड डे मील ही उनके लिए एकमात्र पेट भरने का सहारा है।