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एक स्कूल टीचर, जो 50 बच्चों के लिए बनीं फ़रिश्ता, रोज़ अपने पैसों से खिलाती हैं खाना!

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हमारे देश में  कई बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें  दिन का पहला मील ही नहीं मिल  पाता। केरल में मुरीक्कट्टुकुडी के सरकारी जनजातीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के बच्चों का हाल भी कुछ ऐसा ही था।

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यहां मुख्य रूप से आदिवासी और बागान में काम करने वाले लोगों के बच्चे पढ़ने आते हैं। माता-पिता तो घर से सुबह जल्दी निकल जाते हैं। ऐसे में, बच्चे घर पर रह जाते हैं और उन्हें खुद से ही अपनी देखभाल करनी होती है।

ये बच्चे हर रोज़ खाली पेट स्कूल पहुंचते और स्कूल में मिड-डे मील मिलने तक भूखे रहते। इससे उनके स्वास्थ्य के साथ-साथ, पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा था। 

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तब Murikkattukudi tribal HSS में प्राइमरी सेक्शन की टीचर लिंसी जॉर्ज इन बच्चों के लिए मानो फरिश्ता बनकर आईं। उन्हीं के कारण अब इन भूखे बच्चों को गर्म-गर्म नाश्ता मिलेगा।

लिंसी का कहना है कि, कुछ परिवार अपने बच्चों को एक टाइम भी ठीक-ठाक खाना नहीं खिला सकते हैं और सिर्फ स्कूल में मिलने वाला मिड डे मील ही उनके लिए एकमात्र पेट भरने का सहारा है।

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सरकार ने जितना पैसा स्कूल को दिया है, उससे वे सिर्फ 1 से 8 क्लास तक के लगभग 300 बच्चों को दोपहर का खाना दे सकते हैं।

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दरअसल, स्कूल में एक बार प्लस-टू की एक छात्रा ने लिंसी को बताया कि वह पूरे दिन भूखी रहती हैं, तो लिंसी ने हायर क्लासेज़ के 50 और बच्चों के लिए खाने की व्यवस्था करने की ठानी।

इसके लिए उन्होंने अपनी जेब से कुछ पैसे दिए और उनके साथी शिक्षकों और कुछ अन्य लोगों ने भी उनकी मदद की।

लिंसी का कहना है कि अभी 50 बच्चों के लिए हर दिन खाने की व्यवस्था की गई, लेकिन जैसे ही उनके फंड्स और बढ़ेंगे, वे बच्चों को और अच्छे से खाना दे पाएंगे।

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