सतीश धवन : वह वैज्ञानिक जिनके मार्गदर्शन में लॉन्च हुआ था भारत का पहला सैटेलाइट!
आज भारत चाँद पर है, उसके पीछे भी प्रोफेसर सतीश धवन की मेहनत और सोच शामिल है।
25 सितंबर, 1920 को श्रीनगर में पैदा हुए सतीश धवन ने पंजाब विश्वविद्यालय से अलग-अलग विषयों में स्नातक की डिग्री प्राप्त की- गणित विषय से बीए, अंग्रेजी साहित्य में एमए और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई।
बाद में वह एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के लिए कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (कैल्टेक) गए।
इसके बाद धवन ने कैल्टेक से ही साल 1954 में एरोनॉटिक्स और गणित में प्रमुख एयरोस्पेस वैज्ञानिक प्रोफेसर हंस डब्ल्यू लिपमैन के मार्गदर्शन में अपनी पीएचडी की पढ़ाई पूरी की।
इसके तुरंत बाद वह बंगलुरू के भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) में वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए।
आईआईएससी के निदेशक के रूप में 9 साल तक सेवा देने के बाद वे 1971 में एक साल के लिए आगे पढ़ने के लिए कैल्टेक चले गए।
इस दौरान उन्हें प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अनुरोध पर भारत वापस लौटकर इंडियन स्पेस प्रोग्राम का कार्यभार संभालना पड़ा।
विक्रम साराभाई की आकस्मिक मृत्यु के बाद, धवन ने यह जिम्मेदारी मिली थी। लेकिन उनकी दो शर्ते थीं- अंतरिक्ष कार्यक्रम का मुख्यालय बंगलुरु में बनाया जाये और उन्हें इस पद के साथ-साथ आईआईएससी के निदेशक के पद का कार्यभार भी संभालने की अनुमति मिले।
इसी समय इसरो और अंतरिक्ष आयोग औपचारिक रूप से स्थापित किये गए थे और धवन इन दोनों के अध्यक्ष बने।
धवन ने इसरो प्रोजेक्ट्स में स्वदेशी उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया – आज, सैकड़ों औद्योगिक फर्म, (सार्वजनिक और निजी दोनों) इसरो के लिए स्पेस-क्वालिटी हार्डवेयर का बड़े पैमाने पर निर्माण करते हैं।
धवन के कार्यकाल में इसरो ने अंतरिक्ष विज्ञान का उपयोग करने ग्रामीण शिक्षा, रिमोट सेंसिंग और उपग्रह संचार में कई एक्सपेरिमेंट किये व कई प्रोग्राम भी चलाये।
3 जनवरी, 2002 को उनकी मृत्यु के साथ, भारत ने अपने सबसे प्रतिष्ठित और काबिल वैज्ञानिकों में से एक को खो दिया! धवन, भारत के वह लीजेंड थें, जिन्होंने उस हर एक संगठन की तस्वीर बदल दी जहां भी उन्होंने काम किया।
देश के इस महान वैज्ञानिक को उनकी 103वीं जयंती पर
द बेटर इंडिया का दिल से सलाम!