by Archana Dubey
चितकुल मूल रूप से भारत-तिब्बत और चीन की सीमा पर बसा हुआ गांव है, लेकिन उत्तराखंड के सीमा पर बसे माणा गांव को आधिकारिक तौर पर ‘भारत के अंतिम गांव’ के रूप में माना जाता है।
अगर भूमि की बात करे तो धनुषकोडी को भारत की आखिरी भूमि कहा जाता है क्योंकि यहां मौजूद एक सड़क को भारत की अंतिम सड़क कहा जाता है। इस सड़क से धनुषकोडी से श्रीलंका केवल 31 किलोमीटर दूर है।
पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के हबीबपुर इलाके में बना सिंहाबाद रेलवे स्टेशन भारत का सबसे पुराना और आखिरी रेलवे स्टेशन है, जो बांग्लादेश के सटी सीमा पर बसा है।
यह रेलवे स्टेशन आज़ादी के पहले का बना है और यह आज भी वैसा ही है। सिंहाबाद रेलवे स्टेशन के बाद भारत का और कोई रेलवे स्टेशन नहीं है।
कन्याकुमारी समुद्रतट ना केवल खूबसूरत है, बल्कि भारत का आखरी समुद्र तट भी है। यहां पर स्थानीय खाने के साथ ही आपको खूबसूरत दृश्यों का भी आनंद मिलता है।
लद्दाख के सीमा खार दूंगला दर्रे पर बसा तुरतुक गांव अपने पहाड़ों की खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर बाल्टी संस्कृति के लोग रहते हैं और यह गांव अपने सभ्यता और संस्कृति के लिए जाना जाता है।
दिल्ली के महरौली में स्थित जफर महल, मुगलों द्वारा बनाई गई आखिरी इमारत है।
यह महल हज के उर्स मुगलों के लिए शाही महल के तौर पर काम करता था।
7. हिन्दुस्तान की अंतिम दुकान
उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीनी सीमा के भारतीय हिस्से में माणा गांव में यह भारत की आखिरी चाय की दुकान है। इस दुकान को चंदर सिंह बडवाल चलाते हैं। करीब 25 साल पहले गांव में चाय की दुकान खोलने वाले वह पहले व्यक्ति थे।