द एलिफेंट व्हिस्पर्स ने शॉर्ट फिल्म डॉक्यूमेंट्री कैटेगरी में ऑस्कर अवॉर्ड हासिल किया है।
द एलिफेंट व्हिस्पर्स को ऑस्कर मिलने के साथ ही, पहली बार किसी भारतीय प्रोडक्शन को ऑस्कर जीतने का मौका मिला।
95 अकादमी अवॉर्ड में इस बार भारत की दो फ़िल्में छाई रहीं।
एक ओर जहां एस. एस राजामौली की फिल्म के गीत नाटू-नाटू ने बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग कैटेगरी में अवॉर्ड में जीता
वहीं इंडियन अमेरिकन तमिल डॉक्यूमेंट्री द एलिफेंट व्हिस्पर्स ने शॉर्ट फिल्म डॉक्यूमेंट्री कैटेगरी में अवॉर्ड हासिल किया है।
द एलिफेंट व्हिस्पर्स, फ़ोटो जर्नलिस्ट और फ़िल्ममेकर कार्तिकी गोंजाल्विस के निर्देशन में बनी पहली फिल्म है।
एक इंटरव्यू में कार्तिकी ने कहा था कि वह प्रकृति से तब से जुड़ गई थीं, जब उन्होंने चलना भी नहीं सीखा था।
"अमूमन लोग परिवार के साथ शॉपिंग करने, फ़िल्में देखने या दोस्तों के घर जाते हैं, लेकिन हम पहाड़, नदी, म्यूजियम, ज़ू या जंगलों में जाते थे।"-
जब वह सिर्फ 18 महीने की थीं तब उन्होंने पहली बार एक नेशनल पार्क में कैंपिंग की थी।
अपनी पहली फिल्म में उन्होंने इंसानों और जानवरों के बीच के खूबसूरत सम्बन्ध को दर्शाया है। यह रघु नाम के एक हाथी की कहानी है जिसका कोई परिवार नहीं है।
इस डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग मुदुमलाई नेशनल पार्क तमिलनाडु में हुई है। कार्तिकी, पांच साल तक वहीं रहकर इस विषय पर काम कर रही थीं।
वह, एशियाई हाथी और जंगल में इनसे जुड़ीं समस्या पर जागरूकता लाना चाहती थीं।
40 मिनट की इस नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री की प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा हैं।
अवॉर्ड लेते समय उन्होंने कहा, "मैं आज यहां हमारे और हमारी प्राकृतिक दुनिया के बीच के पवित्र बंधन के लिए बोलने के लिए खड़ी हूं।"
उन्होंने एक स्थानीय भाषा और देसी समुदाय पर बनी फिल्म को अवॉर्ड देने के लिए अकादमी अवॉर्ड का शुक्रिया अदा किया और इस सम्मान को भारतवासियों के लिए समर्पित किया।