1989 में 65 कोयला मज़दूरों की जान बचाने वाले देश के जाबाज़ रेस्क्यू मैन जसवंत सिंह गिल!
35 साल पहले वेस्ट बंगाल में रानीगंज के कोयला खदान में एक बड़ा हादसा हो गया था, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।
इसमें रियल लाइफ हीरो जसवंत सिंह गिल ने 6 घंटे अपनी जान की परवाह किए बिना, इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर काम किया।
कोल इंडिया लिमिटेड में बतौर इंजीनियर काम करने वाले जसवंत उस दौरान रानीगंज खदान में तैनात थे।
उनके अंडर 220 मजदूर रोज़ की तरह अपना काम कर रहे थे। ब्लास्ट के ज़रिए कोयले की दीवारें तोड़कर खदान से कोयला निकाला जा रहा था।
तभी खदान में पानी रिसने लगा और बाढ़ आ गई। 220 में से कई मजदूरों को दो लिफ्टों से बाहर निकाला गया। फिर शाफ़्ट में पानी भर गया और 71 मजदूर वहीं फंस गए।
उन्हें रेस्क्यू करने के लिए 3 से 4 टीमें बनाई गईं, कई कोशिशें की गईं लेकिन कोई जुगाड़ काम नहीं कर रहा था।
ऐसे समय में जब सब निराश हो चुके थे, जसवंत गिल को एक आइडिया आया, वो आइडिया था कैप्सूल का। उन्होंने एक कुआं खोदा और वहीं पर ढाई मीटर का स्टील का एक खास कैप्सूल बनाया।
गिल खुद कैप्सूल के सहारे नीचे उतर गए और एक-एक करके 65 लोगों को बाहर निकाला।
कोल इंडिया ने उन्हें ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ दिया। साथ ही कोल इंडिया ने उनके सम्मान में 16 नवंबर को 'रेस्क्यू डे' डिक्लेयर कर दिया।
अब जसवंत सिंह गिल की इस कहानी पर अक्षय कुमार 'मिशन रानीगंज- द ग्रेट भारत रेस्क्यू' नाम की फ़िल्म लेकर आ रहे हैं।