केले के बेकार तनों से मेहुल ने खड़ा किया लाखों का कारोबार।

भोपाल से करीब 340 किमी दूर बुरहानपुर के मेहुल श्रॉफ, केले के तने से फाइबर बनाते हैं, जिसे Banana Fiber कहते हैं।

ज्वेलर्स के परिवार से ताल्लुक रखने वाले मेहुल ने पुणे से मार्केटिंग में MBA किया और तभी मन बना लिया था कि उन्हें फैमिली बिजनेस नहीं करना है।

उन्होंने देखा कि बुरहानपुर के आस-पास के गांव के किसानों को केला काटने के बाद मजदूरों से केले के तनों को हटवाकर या तो किसी गड्ढे में डंप करवाना पड़ता था या पड़े-पड़े सड़ जाया करता था। 

एक बार गुजरात की नवसारी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की टीम शहर आई थी, उन्होंने Banana Fiber को लेकर जानकारी दी। तब साल 2018 में मेहुल श्रॉफ ने इन तनों से Banana Fiber बनाना शुरू किया।

मेहुल ने मार्केट मॉडल और इसके पीछे की पूरी कहानी समझने के लिए 'तिरुचिरापल्ली के नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर बनाना' से ट्रेनिंग ली, जो पहले से Banana Fruit और स्टेम यानी केले के तने पर काम कर रहे थे।

मेहुल ने Banana Fiber की एक यूनिट शुरू की। यहां करीब 1 लाख रुपए की रास्पाडोर एक्सट्रैक्टर मशीन में केले के तने के हिस्से को डालते हैं और फिर वह हिस्सा रेशा यानी फाइबर बनकर बाहर निकल आता है।

मेहुल हर महीने 3 से 5 टन यानी 30 क्विंटल से 50 क्विंटल तक फाइबर तैयार कर रहे हैं और सालाना 30 लाख का टर्नओवर कर रहे हैं। वह इन फाइबर्स को उन घरेलू महिलाओं को भी सप्लाई करते हैं, जो हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट्स बनाती हैं।

इससे घरों की सजावट के लिए प्लांटर बास्केट, रस्सी, बैग, झाड़ू, योग मैट, वॉल घड़ी जैसी चीज़ें बनाई जाती हैं।

Banana Fiber का मार्केट कॉस्ट 100 से 120 रुपए प्रति किलो है। ऐसे में जो घरेलू प्रोडक्ट्स बनते हैं उनका कॉस्ट 500 से 2,000 रुपए तक का आता है।

6 महिला और 4 पुरुष समेत कुल 10 लोग मेहुल के साथ काम रहे हैं। जबकि 50 से 70 महिलाएं हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट्स बनाकर हर महीने 4,000 रुपए तक की कमाई कर रही हैं।

प्रोडक्ट्स की मार्केट सप्लाई मेहुल ही करते हैं। मेहुल अब बनाना स्टेम से फर्टिलाइज़र्स बनाने को लेकर काम कर रहे हैं। उनके साथ कोर टीम में 4 लोग हैं, जो पूरे बिजनेस की ब्रांडिंग से मार्केटिंग तक का काम संभालते हैं।