पिछले साल साउथ सेंट्रल रेलवे ज़ोन के सिकंदराबाद डिविजन के लिंगमपल्ली-विकाराबाद सेक्शन के बीच ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम 'कवच' का परीक्षण किया  गया था 

जानिए  इस स्वदेशी तकनीक से कैसे होगी रेलवे की मदद?

ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन ‘कवच’ को रिसर्च डिजाइन व स्टैंडर्ड्स ऑर्गेनाइजेशन (RDSO) ने इंडियन इंडस्ट्री के साथ मिलकर तैयार किया है।

इस सिस्टम में 'कवच' का संपर्क पटरियों के साथ-साथ ट्रेन के इंजन से होता है।  पटरियों के साथ इसका एक रिसीवर होता है तो ट्रेन के इंजन के अंदर एक ट्रांसमीटर लगाया जाता है, जिससे की ट्रेन की असल लोकेशन का पता चलता रहे।

जैसे ही उसे निर्धारित दूरी पर, उसी पटरी पर दूसरी ट्रेन के होने का सिग्नल मिलेगा .. यह ट्रेन को ऑटोमेटिक रूप से रोक देगा। 

मार्च 2022 में हुए कवच टेक्नोलॉजी के ट्रायल में एक ही पटरी पर दौड़ रही दो ट्रेनों में से एक ट्रेन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार थे  और दूसरी ट्रेन के इंजन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन खुद मौजूद थे।  

एक ही पटरी पर आमने-सामने आ रही ट्रेन और इंजन ‘कवच’ टेक्नोलॉजी के कारण टकराई  नहीं,

क्योंकि कवच ने रेल मंत्री की ट्रेन को सामने आ रहे इंजन से 380 मीटर की दूर पर ही रोक दिया और इस तरह परीक्षण सफल रहा।

कवच को साउथ सेंट्रल रेलवे के 1445 किलोमीटर रूट और 77 ट्रेनों में जोड़ा गया है,  इसके साथ ही दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर पर भी इसे जोड़ने का काम अभी चल रहा है।