याद हैं ये Mascots?  जानिए इनकी कहानी

Parle-G गर्ल

पार्ले-जी बिस्कुट के पैकेट पर दिखने वाली प्यारी सी बच्ची के बारे में समय-समय पर खबरें सामने आती हैं। कोई दावा करता है कि बच्ची अब ऐसी दिखती है तो कोई उसका नाम बताता है। लेकिन असल में ऐसा कुछ नहीं है।

सच यह है कि पार्ले-जी बिस्कुट के पैकेट पर बनी बच्ची का चित्र कल्पनात्मक है। असल में इस तरह दिखने वाली कोई बच्ची नहीं है। यह केवल एक इलस्ट्रेशन है।

60 के दशक में मगनलाल दहिया नाम के एक चित्रकार ने इस बच्ची का चित्र  बनाया था।

निरमा गर्ल

निरमा वॉशिंग पाउडर जितना प्रसिद्ध है, इसपर छपी लड़की की तस्वीर के पीछे की कहानी उतनी ही भावुक है!

निरमा वॉशिग पाउडर की शुरुआत साल 1969 में गुजरात के रहने वाले व्यक्ति करसन भाई ने की थी। करसनभाई एक बेटी के पिता थे जिसका नाम निरूपमा था, लेकिन वह अपनी बेटी को प्यार से निरमा कहकर पुकारते थे।

हर पिता की तरह वह भी अपनी बेटी से बेहद प्यार करते थे और चाहते थे कि वह बड़ी होकर खूब नाम कमाएं। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था...

निरूपमा की एक्सीडेंट में मौत हो गई। करसन भाई बिल्कुल टूट चुके थे और इसके साथ ही उनका अपनी बेटी को कुछ बनते देखने का सपना भी। लेकिन फिर उन्होंने अपनी बेटी को दुनिया में पहचान दिलाकर उसे अमर बना देने की ठान ली।

उन्होनें वॉशिंग पाउडर बनाया जिसका नाम निरमा रखा और उसके पैकेट पर अपनी बेटी निरमा की फोटो लगाकर बेचना शुरू कर दिया। आज निरमा गर्ल को भारत में कौन नहीं पहचानता!

अमूल गर्ल

अमूल के Logo में पोल्का डॉटेड फ़्रॉक पहने और नीले बालों की पोनी वाली एक लड़की दिखाई देती है, जिसे ‘अमूल गर्ल’ के नाम से जाना जाता है। इसे ‘अमूल’ के प्रतिद्वंद्वी ब्रांड ‘पोलसन’ की ‘बटर-गर्ल’ की प्रतिक्रिया के रूप में बनाया गया था।

इसके पीछे ‘श्वेत क्रांति’ के जनक और गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फ़ेडरेशन लिमिटेड के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. वर्गीज कुरियन का दिमाग था।

दरअसल, जब अमूल ऐड कैंपेन के हेड सिल्वेस्टर दा कुन्हा को Logo समझ नहीं आ रहा था तो डॉ. कुरियन ने उन्हें Amul Girl का सुझाव दिया। इसी दौरान अमूल की टैगलाइन ‘Amul The Taste of India’ भी फ़ाइनल की गई थी।

एयर इंडिया का 'महाराजा'

गोल चेहरा, बड़ी मूंछें, एक धारीदार भारतीय पगड़ी और महाराजा की तरह एक लंबी तेज़ नाक वाला व्यक्तित्व। यही एयर इंडिया का महाराजा है जो बाद में इंडियन एयरलाइंस की शान बन गया।

1938 में जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की थी। यह भारत की पहली कमर्शियल एयरलाइन सर्विस थी, जो दुनिया भर में उड़ान भरने लगी। इसी साल जेआरडी टाटा की टीम में मार्केटिंग के जादूगर कहे जाने वाले बॉबी कूका शामिल हुए।

जेआरडी ने उन्हें एक ऐसा लोगो बनाने को कहा, जो न सिर्फ अनोखा हो, बल्कि उसमें भारतीयता झलकती हो।

बॉबी ने जे वाल्टर थॉम्पसन के लिए काम करने वाले उमेश राव की सहायता ली और एयर इंडिया के महाराजा का जन्म हुआ। 1946 में महाराजा लोगो की लॉन्चिंग होने के साथ ही यह दुनिया भर में छा गया।

एशियन पेंट का 'गट्टू'

भारत की सबसे बड़ी पेंट कंपनी एशियन पेंट से लोगों को जोड़ने में मैस्कॉट 'गट्टू' की बड़ी भूमिका रही है। इसे स्वर्गीय आरके लक्ष्मण ने बनाया था।

उन्होंने लोगों में इसका नाम रखने की प्रतियोगिता की घोषणा की। लोगों ने जमकर इसमें हिस्सा लिया और इसके मैस्कॉट गट्टू का नाम तय किया गया। इस नाम के लिए तब 47 हज़ार लेटर्स आए थे और इसे जीतने वाले को 500 रुपये का इनाम दिया गया था।

मर्फी रेडियो का मर्फी बेबी

70 से 80 के दशक में देश के घर- घर में मर्फी रेडियो था, इसको लोगों तक पहुंचाने में मर्फी बेबी की भी काफ़ी अहम भूमिका थी। यह मर्फी बेबी काग्युर टी रिनपोचे ठाकुर है। इससे पहले असली मर्फी बेबी एक लकड़ी थी, जिसकी मृत्यु हो गई थी।

जिस समय यह ऐड शूट हुआ तब काग्युर टी की उम्र करीब 3 साल थी। आगे चलकर उन्होंने मशहूर भारतीय अभिनेत्री मंदाकिनी से शादी की।