हर साल 26 जनवरी को कर्तव्यपथ पर होने वाली परेड 1950 से 1954 तक राजपथ (पुराना नाम) के बजाय क्रमशः इरविन स्टेडियम (अब नेशनल स्टेडियम), किंग्सवे, लाल किला और रामलीला मैदान में आयोजित की गई थी।
हर साल 26 जनवरी की परेड में किसी देश के प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति/शासक को अतिथि के रूप में बुलाया जाता है। 26 जनवरी 1950 में हुई पहली परेड में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डॉ. सुकर्णो को आमंत्रित किया गया था।
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परेड के सभी प्रतिभागी तैयार होकर 3 बजे तक कर्तव्यपथ पर पहुंच जाते हैं। परेड की तैयारी जुलाई में शुरू होती है, अगस्त तक वे अपने संबंधित रेजीमेंट केंद्रों पर अभ्यास करते हैं और दिसंबर तक दिल्ली पहुंच जाते हैं।
परेड की प्रैक्टिस के लिए, हर समूह 12 किमी की दूरी तय करता है, लेकिन 26 जनवरी के दिन, वे 9 किमी परेड करते हैं। हर समूह को 200 मापदंडों के आधार पर जज किया जाता है और 'बेस्ट मार्चिंग ग्रुप' का खिताब दिया जाता है।
परेड के आयोजन में शामिल होने वाले सेना के हर जवान को 4 स्तरों की जांच से गुजरना होता है। इसके अलावा, हथियारों की पूरी तरह से जांच की जाती है कि कहीं उसमें असली गोलियां तो नहीं लगी हुई हैं।