पुरानी टूटी कुर्सियों को अपनी कला से नया रूप देते हैं दृष्टिहीन मगनभाई
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अंधशाला में की पढ़ाई फिर किया ITI का कोर्स
स्कूल में सीखी बुनाई कला से शुरू किया बिज़नेस
30 सालों से रोज़ 14 किमी दूर पाटन शहर आकर करते हैं काम
हिम्मत और जज्बे की मिसाल मगन भाई को हमारा सलाम!
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