किसी कला से कम नहीं हैं ये  भारतीय मिठाइयां

नक्षी पीठा

यह एक बंगाली स्वीट है जो चावल के आटे से तैयार की जाती है। इसके ऊपर की गई कलाकारी के कारण यह  दिखने में बेहद ही आकर्षक लगती है। 'नक्षी कांथा' कला से इसे अपना नाम मिला है जो कपड़ों पर की जाने वाली सदियों पुरानी कढ़ाई है।

इमरती या जंगीरी

इमरती गोल और फूलों के आकार की तरह सुंदर और खाने में बहुत ही नर्म और स्वादिष्ट होती है। यह मुंह में रखते ही घुल जाती है और इसकी मिठास जबेली से थोड़ी कम होती है। इसमें रंग लाने के लिए केसर का इस्तेमाल होता है।

ठेकुआ

ठेकुआ

यह मिठाई बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और मध्य प्रदेश में मशहूर है। इसे बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे का इस्तेमाल किया जाता है और आम की लकड़ियों से आंच देकर पकाया जाता है। इसकी वजह है कि हाथ से बने ठेकुएं की रूप रेखा पकने के बाद भी सुंदर दिखे।

बताशा

तीज-त्योहारों में बताशे की मिठास अरसे से बरकरार है। पहले चीनी की चाशनी बनती है फिर इसे लकड़ी के सांचों में डाल दिया जाता है। इस सांचे में हाथी, शेर, मीनार, मछली, बत्तख, मुर्गा, झोपड़ी, ताजमहल जैसी आकृतियां बनी होती है। खाने में यह काफी कुरकुरे होते हैं और चीनी के वजह से भरपूर मीठे भी।

सूर्यकला और चंद्रकला

इन्हें बिहार की पारंपरिक मिठाइयों में से भी एक माना जाता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, सूर्यकला सूर्य की तरह एक गोलाकार आकृति की होती है, जबकि चंद्रकला अर्धचंद्र के आकार में।

गोयना या गोहोना बोरी

बंगाल के सबसे पुराने और पारंपरिक व्यंजनों में से एक है गोयना बोरी। बंगाली में गोयना या गोहोना का अर्थ गहना यानी आभूषण है। इस मिठाई को भी गहने के रूप में डिज़ाइन किया जाता है।